Atal Bihari Vajpayee Biography, Political Career, Awards and Achievements and Death Story in Hindi | अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी, राजनीतिज्ञ सफ़र, अवार्ड्स और मृत्यु
भारत के कुशल राजनीतिज्ञ पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति में 50 वर्षों तक सक्रीय थे और जिन्होंने अपने आदर्शो के कारण एक अलग पहचान बनाई थी.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
नाम(Name) | अटल बिहारी वाजपेयी |
जन्म तारीख (Date of Birth) | 25 दिसंबर 1924 |
जन्म स्थान (Birth Place) | ग्वालियर |
कास्ट(Caste) | ब्राह्मण |
मृत्यु (Death) | 16 अगस्त 2018 |
धर्मं (Religion) | हिन्दू |
नागरिकता (Nationality) | भारतीय |
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म और परिवार(Atal Bihari Vajpayee Birth and Education)
अटलजी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम कृष्णा बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था. परिवार में कुल 10 सदस्य थे जिनमे उनके 7 भाई बहन थे. अटल जी जीवनभर अविवाहित रहे.
अटल बिहारी वाजपेयी की शिक्षा(Atal Bihari Vajpayee Education)
अटलजी की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती स्कूल से हुई. लक्ष्मीबाई कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया इसके बाद कानपूर के के.डी.ऐ.वी (KDAV) कॉलेज से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. फिर वे आर.एस.एस. द्वारा प्रकाशित पत्रिका में बतौर संपादक का कार्य करने लगे और पूर्ण रूप से संघकार्य में जुट गए. अटलजी एक प्रखर वक्ता और कवि भी थे. उन्होंने पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, वीर अर्जुन और दैनिक स्वदेश जैसी पत्रिकाओं में अपनी सेवाएं प्रदान की.
अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ सफ़र(Atal Bihari Vajpayee Political Career)
अटल जी ने आजादी से पहले स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. इसी दौरान उनकी मुलाकात श्यामाप्रसाद मुखर्जी से हुई जो कि भारतीय जनसंघ के लीडर थे. मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय को अटल जी का राजनीतिक गुरु भी कहा जाता है.
1977 में अटल जी को जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री बनाया. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के बाद अटल जी जनसंघ के लीडर बने और पूरे भारत में पार्टी का कार्य विस्तार किया. वे 1968 से लेकर 1973 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे.
अटलजी ने वर्ष 1980 में लालकृष्ण आडवाणी और भैरवसिंह शेखावत के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की स्थापना की और पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. पार्टी के विस्तार के लिए पूरे भारत में संपर्क साधने का काम किया.
1984 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव लडा. इस चुनाव में सिर्फ दो सीट जीती. अटलजी भारतीय सांसद में 1993 में विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष बने. भारतीय जनता पार्टी ने 1995 लोकसभा चुनाव में अटल जी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी नियुक्त कर दिया. इस चुनाव में बीजेपी देश में सबसे बडी पार्टी थी परन्तु अन्य दूसरी पार्टियों का समर्थन न मिलने के कारण वह सरकार मात्र 13 महीने में ही गिर गयी.
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वर्ष 1997 में चुनाव के बाद अटल जी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और देश की कमान संभाली. सरकार बनने के तुरंत 1 महीने बाद ही राजस्थान के पोखरण जिले में परमाणु परिक्षण करवाए यह मिशन पूर्ण से सफल रहा और काम के कारण उन्हें पूरे विश्व में पहचान दिलाई.
1999 में हुए भारत-पाक युद्ध में हुई जीत ने सरकार को और मजबूती प्रदान की इस कारण उन्हें प्रभावी नेता के रूप में देखा जाने लगा. 2004 में कांग्रेस को चुनाव में विजय मिली और साथ ही अटल जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. सन 2005 में अटल जी ने राजनीति से संन्यास ले लिया.
अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु(Atal Bihari Vajpayee Death)
अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में 93 साल की उम्र में 16 अगस्त 2018 को शाम 5 बजकर 5 मिनिट पर अपनी आखरी सांस ली. उनकी मृत्यु का कारण यूरिन इन्फेक्शन को बताया गया. उनके अंतिम समय में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई बड़े दिग्गज नेताओं ने उनसे आखरी मुलाकात की.
अवार्ड व अचिवमेंट (Atal Bihari Vajpayee Awards and Achievements)
- अटल जी को राजनीतिक क्षेत्र में अच्छे कार्य के लिए 1992 में पदम् विभूषण से नवाजा गया.
- 1994 में उन्हें अच्छे सांसद का पुरुस्कार मिला.
- 25 दिसम्बर 2014 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति प्रोटोकाल को तोड़कर उनके घर जाकर उनके जन्मदिवस पर भारत रत्न से समानित किया.
- इसके अलावा उन्हें अनेक पुरुस्कार प्राप्त हुए.
अटल बिहारी वाजपेयी की कवितायेँ (Atal Bihari Vajpayee Peom)
“गीत नही गाता हूँ”
बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे हैं,
टूटता तिलस्म, आज सच से भय खाता हूँ.
गीत नही गाता हूँ.
लगी कुछ ऐसी नज़र,
बिखरा शीशे सा शहर,
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ.
गीत नहीं गाता हूँ.
पीठ मे छुरी सा चाँद,
राहु गया रेखा फाँद,
मुक्ति के क्षणों में बार-बार बँध जाता हूँ.
गीत नहीं गाता हूँ.
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है.
हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं.
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं.
कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है.
यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है.
इसका कंकर-कंकर शंकर है,
इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है.
हम जियेंगे तो इसके लिये
मरेंगे तो इसके लिये.
हिन्दू तन–मन, हिन्दू जीवन, रग–रग हिन्दू मेरा परिचय.
मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार–क्षार.
डमरू की वह प्रलय–ध्वनि हूँ, जिसमे नचता भीषण संहार.
रणचंडी की अतृप्त प्यास, मै दुर्गा का उन्मत्त हास.
मै यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुँआधार.
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूँ मैं.
यदि धधक उठे जल, थल, अंबर, जड चेतन तो कैसा विस्मय.
हिन्दू तन–मन, हिन्दू जीवन, रग–रग हिन्दू मेरा परिचय.
अटल बिहारी वाजपेयी के अनमोल वचन (Atal Bihari Vajpayee ke Anmol Vachan)
सूर्य एक सत्य है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता. मगर ओस भी तो एक सच्चाई है, यह बात अलग है कि क्षणिक है.
जलना होगा, गलना होगा. कदम मिलाकर चलना होगा.
पेड़ के ऊपर चढ़ा आदमी ऊंचा दिखाई देता है. जड़ में खड़ा आदमी, नीचा दिखाई देता है.
न आदमी ऊंचा होता है, न नीचा होता है, न बड़ा होता है, ना छोटा होता है. आदमी सिर्फ आदमी होता है.
हराम में भी राम होता है.
किसी संत कवि ने कहा है कि मनुष्य के ऊपर कोई नहीं होता, मुझे लगता है कि मनुष्य के ऊपर उसका मन होता है.
मैं अटल हूं…..
मैं बिहारी भी हूं.
छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता,
टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता.
पड़ोसी कहते हैं कि एक हाथ से ताली नहीं बजती, हमने कहा की चुटकी तो बज सकती है.
मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन ही जीते जाते हैं.
आपका मित्र बदल सकते है लेकिन पड़ोसी नहीं.
आदमी को चाहिए कि वह परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े.
मनुष्य का जीवन अनमोल निधि है. पुण्य का प्रसाद है. हम केवल अपने लिए न जिएं, औरों के लिए भी जिए. जीवन जीना एक कला है. एक विज्ञान है दोनों का समन्वय आवश्यक है.
आदमी की पहचान उसके धन या आसन से नहीं होती, उसके मन से होती है. मन की फकीरी पर कुबेर की संपदा भी रोती है.
कपड़ों की दूधिया सफेदी जैसे मन की मलिनता को नहीं छिपा सकती.
जो जितना ऊंचा होता है, उतना ही एकाकी होता है. हर बार को स्वयं ही ढोता है, चेहरे पर मुस्कान चिपका मन ही मन में रोता है.
ऐसी खुशियां जो हमेशा हमारा साथ दें. कभी नहीं थी, कभी नहीं है और कभी नहीं रहेंगी.
पृथ्वी पर मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है, जो भीड़ में अकेला और अकेले में भीड़ से घिरे होने का अनुभव करता है.
टूट सकते हैं मगर झुक नहीं सकते.
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शान्ति दे।।।ॐ नमः शिवाय