योगी आदित्यनाथ की जीवनी, इतिहास, जाति और सन्यासी से राजनैतिक सफ़र | Yogi Adityanath Biography, Birth, Education, Caste and Political career in Hindi
योगी आदित्यनाथ एक ऐसी शख्सियत की जो एक संत होने के साथ-साथ राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी पहचान रखते हैं. वह उत्तरप्रदेश राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं. योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर हिन्दू के रूप में प्रसिद्द हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत बाबरी मस्जिद विध्वंस और राम मंदिर निर्माण की लहर के दौरान की थी. वह नेता होने के साथ-साथ विश्व हिन्दू वाहिनी के संस्थापक भी हैं. इस संस्था की स्थापना उन्होंने वर्ष 2002 में की थी.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
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नाम (Name) | योगी आदित्यनाथ |
जन्म (Birth) | 5 जून 1972 |
पिता का नाम (Father Name) | आनन्द सिंह बिष्ट |
माता (Mother Name) | सावित्री बिष्ट |
पत्नी (Wife Name) | ब्रह्मचारी |
जन्म स्थान (Birth Place) | उत्तराखंड |
शिक्षा (Education) | ग्रेजुएट |
राजनीतिक सक्रिय(Active Years) | 1991 से अभी तक |
जाति (Caste) | राजपूत |
योगी आदित्यनाथ का जन्म और परिवार(Yogi Adityanath Birth and Family)
अजय सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड (वर्तमान उत्तरप्रदेश) के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गाँव मे हुआ. ये गढ़वाल राजपूत परिवार में जन्मे हैं. इनके पिता का आनन्द सिंह बिष्ट हैं. इनकी माता का नाम सावित्री हैं. इनके पिता फारेस्ट बिभाग में रेंजर के रूप में कार्यरत हैं. ये अपने सात भाइयों और बहनों में पांचवे हैं. इनसे छोटे दो भाई हैं. इनकी दो बड़ी बहनें और एक बड़ा भाई हैं.
योगी आदित्यनाथ की शिक्षा(Yogi Adityanath Education)
ग्राम टिहरी से 1977 में अपनी शिक्षा आरंभ करने वाले योगी आदित्यनाथ ने सन 1987 में दसवीं की परीक्षा पास की. इसके बाद इन्होंने श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज में प्रवेश लिया और यहाँ से सन 1989 इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की.
इसके बाद उन्होंने अपनी बी.एस.सी. मैथ्स की परीक्षा सन 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी उत्तराखंड से पूरी की. इसी दौरान उनके कमरे से समान चोरी हो गया, इसके साथ-साथ इनका प्रमाण पत्र भी चोरी हो गया, जिस कारण ये गोरखपुर से आगे की पढ़ाई नही कर पाए. अंततः इन्होंने 1993 में विज्ञान में स्नाकोत्तर करने के लिए ऋषिकेश में प्रवेश लिया.
सन 1992-93 के आस-पास राम मंदिर का मुद्दा बहुत जोरों पर था इसी मुद्दे से प्रभावित होकर योगी आदित्यनाथ ने अपना घर छोड़ दिया और इस आंदोलन का हिस्सा बने. इस कारण इनका पढ़ाई से मन भी भटक गया. आखिरकार 1994 में इन्होंने पूर्ण सन्यास की दीक्षा ली.
योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक सफ़र(Yogi Adityanath Political Career)
विद्वान क्रिस्टोफ़ जाफ्रेलॉट कहते है कि योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश में हिंदुत्व राजनीति की एक विशिष्ट परंपरा से संबंधित है, जिसे महंत दिग्विजय नाथ में वापस देखा जा सकता हैं. दिग्विजय नाथ और उनके उत्तराधिकारी महंत अवय्याननाथ दोनों हिंदू महासभा के थे और उस पार्टी के टिकट पर संसद के लिए चुने गए थे. बीजेपी और संघ परिवार के 1980 के दशक में अयोध्या आंदोलन में शामिल होने के बाद, हिंदू राष्ट्रवाद के दो पक्ष एक साथ आए. 1991 में अवय्याननाथ भाजपा के पास चले गए लेकिन फिर भी उन्होंने स्वायत्तता को बनाए रखा. योगी आदित्यनाथ को 1994 में गोरखनाथ मठ के महांत के रूप में अवय्याननाथ के उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था. चार साल बाद वह भारतीय संसद के निचले सदन (लोकसभा) के लिए चुने गए थे.
2002 में उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की. इसके पश्चात 2004 में यह दो लाख वोटों से विजय हासिल करके लोकसभा के सदस्य बने. 2009 में एक बार फिर यह सांसद के रूप में चुने गए, जिसमें उन्होंने भारी मतों से विजय प्राप्त की.
2014 भाजपा के लिए बहुत ही अच्छा वर्ष रहा है, जिसमें भाजपा ने केंद्र में अपनी सरकार बनाई. इसी के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ का उत्तरप्रदेश में प्रभाव बढ़ने लगा और उन्होंने भारी मतों के साथ विजय हासिल किया.
इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ भाजपा के मुख्य प्रचारक बनकर के उभरे और इनकी नेतृत्व में भाजपा ने उत्तरप्रदेश में बहुत ही अच्छा परिणाम दिया और जनता की पहली पसंद बन करके उभरी.
अंततः 19 मार्च 2017 को विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल के नेता के रुप में चुना गया और मुख्यमंत्री का पदभार सौंपा गया.
योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचन(Yogi Adityanath as a Chief Minister)
योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे. इसके अलावा विपक्षी दल के नेताओं में अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव भी मौजूद थे. मुख्यमंत्री के अलावा राज्य में दो उप-मुख्यमंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई. उत्तरप्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब राज्य में दो उप-मुख्यमंत्री बने हो.
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संसद सदस्य के रूप में(Yogi Adityanath as a MP)
योगी आदित्यनाथ 12वी लोकसभा के सबसे युवा सदस्य थे इनकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी. आदित्यनाथ की लोकसभा में उपस्थिति 77% रही है इसके अलावा उन्होंने लोकसभा में अब तक 284 प्रश्न पूछे हैं. अब तक इन्होंने 56 बहस में हिस्सा लिया है इसके अलावा 16वी लोकसभा में इन्होंने प्राइवेट मेंबर के तौर पर तीन बिल संसद में प्रस्तुत किए हैं.
योगी आदित्यनाथ से जुड़े विवाद(Yogi Adityanath Controversy)
योगी आदित्यनाथ की छवि एक कट्टर हिंदुओं के तौर पर रही है इस वजह से जब भी कभी हिंदुओं पर किसी भी तरीके का मौखिक प्रहार किया गया. उन्होंने उसका जवाब देने में देर नहीं की. इसी वजह से इनकी कुछ बयान बहुत विवादित दिखाई पड़ते हैं. जिनमें इन्होंने गोरखपुर के एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था यदि ‘मुसलमान हमारी एक बच्ची को उठाएगा तो हम 100 मुस्लिम बच्चियों को उठाएंगे और यदि हमारे एक हिंदू को मारेगा तो हम 100 मुसलमानों को मारेंगे’.
अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ तक सफ़र(Yogi Adityanath Sanyas)
बात सन 1993 की है 1993 में गणित में एमएससी करने के दौरान इन्हें इन्हें गुरु गोरखनाथ पर शोध करने के लिए भेजा गया. इसी बीच गोरखपुर में यह संत अवैधनाथ के संपर्क में आए जो इनके परिवार से पूर्व से ही परिचित थे. अंततः यह महाराज की शरण में चले गए और दीक्षा ले ली. सन 1994 में यह पूर्णतया सन्यासी बन गए तथा इनका नाम बदलकर योगी आदित्यनाथ हो गया. गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैधनाथ का निधन होने के बाद इन्हें यहां का महंत बनाया गया तत्पश्चात नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार इन्हें मंदिर का पीठाधीश्वर मनाया गया.
aap ne bhut acchi post dali hai.