स्नान (नहाना) की सही विधि, तरीका और स्नान कितने प्रकार के होते हैं | Snan Karne ke Sahi Vidhi, Tarika, Prakar | Right way to take Bath in Hindi
हम अच्छे स्वास्थ्य और के लिए रोज नहाते है. ओर हम सभी इस बात से भली भांति परिचित है की जो लोग प्रतिदिन नहाते हैं, उन्हें स्वास्थ्य लाभ तो मिलते ही है बल्कि धर्म की दृष्टि से भी कई लाभ होते हैं. यदि ठीक प्रतिदिन सूर्योदय के समय हम स्नान करते हैं तो यह धर्म की नजरिए से बहुत ही शुभ माना जाता है. और यही कारण है की प्राचीन समय में विद्वान और ऋषि-मुनि सूर्योदय से पूर्व या ठीक सूर्योदय के समय स्नान करते थे. और स्नान करने के बाद भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करते थे. सूर्योदय के समय स्नान से की गई दिन की शुरुआत से हमारे सभी कार्यों में सफलता और मानसिक शांति मिलती है. शास्त्रों के अनुसार इन बातों का ध्यान हमें भी रखना चाहिए. सूर्यदेव को जल अर्पित करने से समाज में मान-सम्मान और त्वचा को चमक प्राप्त होती है. अतः हमे भी प्रतिदिन सूर्योदय के समय स्नान करना चाहिए और सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए.
हमारे धर्म शास्त्रों में स्नान के अलग-अलग प्रकार बताए गए हैं,जो समय के अनुसार है. इसके अतिरिक्त शास्त्रों में नहाने की एक विशेष विधि भी बताई गई है. अतः यदि आप इस विधि से और सही समय पर स्नान करते है तो आपको शुभ फल प्राप्त होंगे.
स्नान की सही विधि (Snan ki Sahi Vidhi)
हमारे शास्त्रों में दिन के सभी आवश्यक कार्यों के लिए अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं. इनके अनुसार हमे प्रत्येक कार्य को करते समय मन्त्रो का जप करना चाहिए. इसी प्रकार नहाते समय भी हमें मंत्र जप करना चाहिए. स्नान करते समय हम किसी स्त्रोत का पाठ क्र सकते है या भजन-कीर्तन अथवा भगवान का नाम लिया जा सकता है.
स्नान की विधि में आगे बताया गया है की नहाते समय कुछ लोग सिर पर बाद में पानी डालते हैं उससे पहले पूरे शरीर को गिला कर लेते हैं, जो शास्त्रों के अनुसार उचित नही है. इसलिए हमे इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की नहाते समय हम सर्वप्रथम अपने सिर पर पानी डाले और उसके बाद ही पुरे शरीर को गिला करे. ऐसा करने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है कि सिर पर पहले पानी डालने से हमारे सिर की गर्मी हमारे शरीर से होते हुए पैरों से बाहर निकल जाती है. जिसके कारण शरीर को अंदर तक शीतलता का अनुभव होता है.
स्नान के प्रकार (Snan Ke Prakar)
1. देव स्नान- आज हम देखते है की अधिकांश लोग सूर्योदय होने के बाद ही स्नान करते हैं. शास्त्रों के अनुसार यदि सूर्योदय के ठीक बाद किसी नदी में स्नान करते हैं या घर पर ही विभिन्न नदियों और मन्त्रो का जप करते हुए स्नान किया जाता है तो इस स्नान को देव स्नान कहा जाता है.
2. ब्रह्म स्नान- सुबह 4-5 बजे के बीच के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते है. अतः ब्रह्म मुहूर्त में भगवान का चिंतन-मनन करते हुए स्नान किया जाता है, उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं. इस प्रकार का स्नान करने वाले व्यक्त्ति पर इष्टदेव की विशेष कृपा होती है और उसके समस्त दुखों का नाश होता है.
3. ऋषि स्नान- जब अलसुबह आकाश में तारे दिखाई देते हो उस समय यदि कोई व्यक्ति स्नान करता है तो उस समय किये गये उस स्नान को ऋषि स्नान कहा जाता है. ऐसे स्नान जो सूर्योदय से पूर्व किए जाते है उन्हें उन्हें मानव स्नान भी कहा जाता है. और शास्त्रों में सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले स्नान को ही सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं.
4. दानव स्नान- अधिकांश लोग ऐसे है जो सूर्योदय के बाद और चाय-नाश्ता और खाना आदि खा पी लेने के बाद स्नान करते हैं, ऐसे स्नान को दानव स्नान कहा जाता है. अतः हमे ऐसे समय स्नान नही करना चाहिए. और स्नान करने से पहले खाना खाने से बचना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार हमें ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान करना चाहिए. क्योकि यही सर्वश्रेष्ठ स्नान हैं.
शास्त्रों के अनुसार एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की हमे कभी भी रात में या शाम के समय नही नहाना चाहिए. यदि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का दिन हो तो उस स्थिति में रात के समय स्नान किया जा सकता है.