विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध
World Literacy Day 2020 Essay, Speech in Hindi
हर व्यक्ति का एक उद्देश्य होता है,कि वह एक सफल और खुशनुमा जिंदगी व्यतीत करे और इसी सफल और खुशनुमा जीवन के लिए जरूरी होता है आपका किसी ऊंचे स्तर पर काम करना. आज हर किसी की अपेक्षा होती है बड़ा आदमी बनना, पैसा कमाना. अच्छा पैसा कमाने के लिए काफी हद तक शिक्षा जरूरी होती है क्योंकि, जबतक आप शिक्षित नहीं है तब तक आप किसी बड़े स्तर पर काम नहीं कर सकते.
शिक्षा के इसी महत्व को समझाने और जीवन मे इसे अपनाने हेतु 17 नवम्बर 1965 में यूएन की संयुक्त राष्ट्र संग में यूनेस्को की शुरुआत हुई. इसी दिन को हर साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय तौर पर विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाने लगा. हमारे समाज मे जागरूकता फैलाने के लिए यह दिन बहुत अहम भूमिका निभाता है. यह दिन पूरे विश्व मे लोग रैलियों और प्रोग्राम्स के द्वारा लोगों को शिक्षा का महत्व समझाते हैं और उन्हें पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित करते हैं.
जो लोग पहले से ही शिक्षित हैं,वे शिक्षा का महत्व बखूबी समझते हैं पर मुख्य तौर पर शिक्षा का महत्व हमें उन्हें बताना होता है जो किसी कारणवश शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, जिसमे पैसों की कमी एक मुख्य कारण है. जिसके लिए हमारी सरकार ने योजनाएं बनाई हैं और जिन के पास पैसे नहीं है वे भी इसके तहत स्कूलों में जाकर निशुल्क पढ़ाई कर सकते हैं. इसका पूरा खर्च सरकार उठाती है.
इसके लिए सिर्फ इतना करना है कि गरीब लोगों को इन नीतियों को बारे में समझाया जाए. इसलिए विश्व साक्षरता दिवस पर लोग गरीबों की बस्तियों में जाकर उन्हें शिक्षा का महत्व और सरकार की नीतियों के बारे में समझाते हैं ताकि उन्हें भी हर जानकारी हो और वे हर नीति का फायदा ले सकें.
हमारे भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, पर शिक्षा के आभाव में हमारा देश बहुत पिछड़ गया. हर देश के विकसित होने में सबसे महत्वपूर्ण है, उस देश के हर वर्ग के लोगों का हर किस्म से विकसित होना. इसीलिए भारत के हर बच्चे का शिक्षित होना ये बहुत महत्वपूर्ण है. आज मैं आपके साथ विश्व साक्षरता दिवस पर एक निबंध साझा कर रही हूं, इसे स्कूल और कॉलेज सभी बच्चे इस्तेमाल कर सकते हैं
साक्षरता दिवस पर निबंध हिंदी में | International or World Literacy Day Essay in Hindi
अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (अंग्रेज़ी: International Literacy Day) विश्व में 8 सितंबर को मनाया जाता है. हमारे मॉडर्न युग में शिक्षा बहुत आवश्यक पूंजी है. शिक्षा के बिना किसी भी कार्य का सम्भव हो पाना मुमकिन नहीं है. जैसे हमारे शरीर के अंग हैं. मॉडर्न युग मे शिक्षा सफलता का अंग है. सरकार सर्वशिक्षा अभियान जैसे अभियान चलाकर प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर और सफल बनाने के लिए भरपूर कोशिशें कर रही है. शिक्षित होना सिर्फ आपको सफल नहीं,बल्कि देश को विकसित करता है. जब देश का हर व्यक्ति साक्षर होगा तभी देश की तरक़्क़ी हो सकेगी.
साक्षरता का आशय सिर्फ़ पढ़ने लिखने से नहीं है बल्कि यह सम्मान, अवसर और विकास से जुड़ा वह विषय है जो हमे सफलता के द्वार पर पहुंचाता है. दुनिया में शिक्षा और ज्ञान बेहतर जीवन व्यतीत करने के लिए बहुत आवश्यक है. आज अनपढ़ता देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा है. जिसके अभिशाप से ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है और अमीर और अमीर.
साक्षरता दिवस का मुख्य उद्देश्य नव साक्षरों को उत्साहित करना और उन्हें साक्षरता का महत्व ज्ञात कराना है. अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हमारे लिये एक अहम दिवस है, क्योंकि जीवन में शिक्षा का बहुत अधिक महत्त्व है. हमारे देश में पुरुषों के मुकाबले महिला साक्षरता कम है. तो आइए संकल्प लेते हैं एक शिक्षित और विकसित देश के निर्माण करने का और देश से निरक्षता को भगाने का.
भारत का शैक्षिक इतिहास अत्यधिक समृद्ध है. प्राचीन काल में देखा जाए तो ऋषि-मुनियों द्वारा शिक्षा मौखिक रूप में दी जाती थी. शिक्षा का प्रसार वर्णमाला के विकास के पश्चात् भोज पत्र और पेड़ों की छालों पर लिखित रूप में होने लगा. इस कारण भारत में लिखित साहित्य का उदय हुआ. देश में शिक्षा जन साधारण को बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ-साथ उपलब्ध होने लगी. नालन्दा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसी विश्व प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों की स्थापना शिक्षा के प्रचार हेतु ही कि गयी और ये साक्षरता में बहुत अहम भूमिका निभाती हैं. लोगों में व्यावसायिक कौशल विकसित करने के लिए साक्षरता एक बड़ी ज़रूरत है.
शिक्षा के शुल्क में अनेक कारणों से (विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा) निरन्तर वृद्धि हो रही है. इस कारण ग़रीब परिवार के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होने लगी है, पर सरकार ने इस के चलते योजनाएं भी बनाई हैं जिससे हर बच्चा शिक्षित हो सकता है.
मनमोहन सिंह जी द्वारा साक्षर भारत’ मिशन का शुभारंभ
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सभी महिलाओं को अगले पाँच सालों में साक्षर बनाने के लक्ष्य के साथ अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर महिलाओं के लिए विशेष तौर पर ‘साक्षर भारत’ मिशन का शुभारंभ किया था. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सभी के मनों में उम्मीद जगाई थी कि ‘साक्षर भारत’ मिशन, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन से भी ज़्यादा सफल साबित होगा. उन्होंने कहा था कि- “देश की एक तिहाई आबादी निरक्षर है. देश की आधी महिलाएं अभी भी पढ़-लिख नहीं सकतीं. साक्षरता के मामले में हम विश्व में सबसे पिछड़े देशों में शुमार हैं.
”प्रधानमंत्री ने कहा कि- “अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य वंचित व पिछड़े वर्गो की महिलाओं का साक्षर न होना हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है और हमें इस चुनौती से पार पाना होगा. यदि हमें सभी नागरिकों को सशक्त करना है और तेज़ी से विकास करना है तो देश को पूरी तरह से साक्षर करना होगा. जिस ‘साक्षर भारत’ मिशन की आज हम शुरुआत कर रहे हैं वह साक्षरता के प्रति हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को ज़ाहिर करता है. यह मिशन ख़ासकर महिलाओं में साक्षरता की दर बढ़ाने की हमारी कोशिश में मददगार साबित होगा. ”उन्होंने कहा कि- “साक्षरता के मामले में आज़ादी के बाद से हमने लगातार वृद्धि की है. वर्ष 1950 में साक्षरता की दर 18 फ़ीसदी थी, जो वर्ष 1991 में 52 फ़ीसदी और वर्ष 2001 में 65 फ़ीसदी पहुँच गयी है.”
हम क्यो 100% साक्षर नहीं हैं ? : World Literacy Day 2020
साक्षरता दिवस का दिन हमें सोचने को पर मजबूर कर देता है, कि हम क्यो 100% साक्षर नहीं हैं. यदि केरल को छोड़ दिया जाए तो बाकि राज्यों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती. सरकार द्वारा साक्षरता को बढ़ाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, प्रौढ़ शिक्षा योजना, राजीव गाँधी साक्षरता मिशन आदि न जाने कितने अभियान चलाये गये, मगर सफलता आशा के अनुसार नहीं मिली. मिड डे मील में जहाँ बच्चो को आकर्षित करने के लिए स्कूलों में भोजन की व्यवस्था की गयी, इससे बच्चे स्कूल तो आते हैं, मगर पढ़ने नहीं खाना खाने आते हैं. शिक्षक लोग पढ़ाई की जगह खाना बनवाने की फिकर में लगे रहते थे.
हमारे देश में सरकारी तौर पर जो व्यक्ति अपना नाम लिखना जानता है, वह साक्षर है. जबकि साक्षरता एक बड़ा शब्द है. साक्षर होना मतलब सिर्फ पढ़े लिखे होना नहीं है. आंकड़े जुटाने के इस समय जो घोटाला होता है, वो किसी से छुपा नहीं है. अगर सही तरीक़े से साक्षरता के आंकडे जुटाए जाए तो देश में 64.9% लोग शायद साक्षर न हो. सरकारी आंकड़ो पर विश्वास कर भी लिया जाए तो भारत में 75.3% पुरुष और 53.7% महिलायें ही साक्षर हैं.
भारत 100% साक्षर कैसे बने ? : World Literacy Day 2020
भारत में सबसे ज़्यादा विश्वविद्यालय है. हमारे देश में हर साल लगभग 33 लाख विद्यार्थी स्नातक होते हैं. उसके बाद बेरोज़गारों की भीड़ में खो जाते हैं. हम हर साल स्नातक होने वाले विद्यार्थियो का सही उपयोग साक्षरता
को बढ़ाने में कर सकते हैं. स्नातक के पाठ्यक्रम में एक अतिरिक्त विषय जोड़ा जाए, जो सभी के लिए अनिवार्य हो. इस विषय में सभी छात्रों को एक व्यक्ति को साक्षर बनाने की ज़िम्मेदारी लेनी होगी. शिक्षकों के द्वारा इसका मूल्यांकन किया जाएगा. अन्तिम वर्ष में मूल्यांकन के आधार पर अंकसूची में इसके अंक भी जोड़े जाए. इससे हर साल लगभग 33 लाख लोग साक्षर होंगे. वो भी किसी सरकारी खर्च के बिना.
साक्षरता विश्व के हर कोने में जरूरी हो चुकी है, तो आइये आज इस साक्षरता दिवस पर हम अपने भारत को साक्षर बनाने और देश को वापस से कुशल और योग्य बनाने का हम प्रण लेते हैं.
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