कवि केशवदास का जीवन परिचय, जन्म, कविता, मृत्यु, रचनाएँ
Keshavdas (Poet) Biography, Dohe, Sahityik Parichay, Death, Poems In Hindi
कवि केशवदास जी रीतिकाल के प्रमुख कवि और युग प्रवर्तक थे. वे आचार्यत्व के साथ – साथ ही कवित्व की द्रष्टि से भी जाने जाते हैं.
कवि केशवदास का जीवन परिचय | Keshavdas Biography In Hindi
हिंदी काव्य जगत में अपनी पहचान बनाने वाले कवि केशवदास जी का जन्म सन 1555 ई. में भारत के बुंदेलखंड राज्य ओरछा मध्य – प्रदेश में हुआ था. केशवदास काफी मिलनसार और भावुक दिल के व्यक्ति थे. केशवदास जी सनाढ्य ब्राह्मण पं. काशीनाथ के पुत्र थे. ऐसा कहा जाता है कि इनकी महाराजा अकबर, बीरबल और टोडरमल से काफी घनिष्ठ मित्रता थी.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | केशवदास |
जन्म (Date of Birth) | 1555 |
आयु | 62 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | पं. काशीनाथ |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | लेखक, कवि |
मृत्यु (Death) | 1617 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | —- |
भाषा शैली | संस्कृत भाषा |
ओरछा के राज परिवारों में इनके परिवार को काफी मान सम्मान दिया जाता था. ओरछा के राजा नरेश के छोटे भाई इन्द्रजीत सिंह केशवदास जी को अपने दरबारी कवि होने के साथ – साथ ही उनको अपना मंत्री और गुरु भी माना करते थे. ओरछा के महाराज इन्द्रजीत सिंह द्वारा केशवदास जी को 21 गाँव भेंट स्वरूप दिए गए थे.
कवि केशवदास साहित्यिक परिचय
हिंदी साहित्य के यह एक प्रमुख कवि रहे, जिन्होंने संस्कृत के आचार्यों की परम्परा का हिंदी में अनुवाद किया था. इनकी साहित्यिक रचनाएं केवल संस्कृत भाषा में ही मिलती हैं. रीतिकाल के महाकवि केशवदास जी सूरदास और तुलसीदास के बाद भक्ति के लिए जाने जाते हैं. इन्होने कई वास्तु, ललित कलाओं से परिपूर्ण ग्रन्थ समाज को दियें. इनके प्रमुख ग्रन्थ हैं – कवि-प्रिया और रसिक-प्रिया.
रसिक – प्रिया में इन्होंने संस्कृत के लक्षण और 16 ग्रंथों का अनुवाद किया. 16 ग्रंथो में से आठ ग्रन्थ प्रमाणित हैं. इनमें रामचंद्रिका भक्ति से संबधित ग्रन्थ भी शामिल है. जिसमें केशवदास जी ने राम और सीता को अपना ईष्ट देव माना है और राम नाम का गुणगान किया है. यह ग्रन्थ पंडितो के ज्ञान को परखने के लिए उपयोग किया जाता है. यह एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है. कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी को दिखाने के लिए केशवदास जी ने एक रात में ही ‘रामचन्द्रिका’ महाकाव्य को पूरा कर लिया था. रामचन्द्रिका महाकाव्य का विषय ‘भगवान राम की भक्ति’ है. उनकी कविता की कुछ पक्तियों के विषय में कहा जाता है:
कवि को दैन न चहै बिदाई .
पूछै केशव की कविताई ..
केशवदास जी को महाराजा वीर सिंह देव का आश्रय प्राप्त था इसीलिए इन्हें कभी भी कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. केशवदास जी संस्कृत भाषा में अधिक रूचि लेते थे तथा इन्हें संस्कृत भाषा से बचपन से ही बहुत लगाव था. लगाव होने के कारण ये अपने आस – पास के लोगों को भी संस्कृत में वार्तालाप करने की प्रेरणा देते थे. उनके घर पर काम करने वाले नौकर भी संस्कृत में बात किया करते थे. इन्हें हिंदी भाषा में बात करना अपमानजनक लगता था. उन्होंने संस्कृत भाषा को महत्ता देते हुए कहा है –
भाषा बोल न जानही ,जिनके कुल के दास
तीन भाषा कविता करी, जडपती केशवदास
मृत्यु (Keshavdas Death)
हिंदी महकाव्य के अद्भुत रचयिता व संस्कृत के अनेक छंदो को अपनी भाषा में ढालने वालें कवि केशवदास जी का सन 1617 ई. में निधन हो गया था.
केशवदास की रचनायें
केशवदास की प्रमुख रचनायें निम्नलिखित हैं –
- वीर सिंह देव चरित्र (1607)
- रामचंद्रिका (1601)
- जहांगीर जस चन्द्रिका (1612)
- कवि प्रिया नख – शिख (1601)
- रतन बवानी (1607)
- विज्ञान गीता (1610)
- रसिक प्रिया 1591
केशवदास जी ने अपनी रचनाओं में मुख्य रूप से ब्रज भाषा का प्रयोग किया है, इनकी भाषा आलंकारिक है. इन्होने अपनी रचनाओं में बुन्देलखंडी भाषा को भी शामिल किया हैं. इनकी शैली प्रौढ़ और गंभीर है.
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मेघा झा जी को साधुवाद जो उन्होंने कवि केशव पर अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत की ,मेरा बार बार नमन उन्हें