कवि नागार्जुन का जीवन परिचय, जन्म, मृत्यु, काव्य विशेषता
Nagarjun (Poet) Biography, History, Story, Rchnaye, Death, Awards In Hindi
नागार्जुन एक कवि होने के साथ ही उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में जाने जाते हैं. इन्होने कविताओं के साथ-साथ उपन्यास और अन्य विधाओं का लेखन वर्णन किया. ये शुरु से अपनी कविताओं को यात्री उपन्यास में लिखा करते थे. इनकी सारी कविताएं भारतीय जन – जीवन से जुड़ीं हुईं हैं. परंपरागत प्राचीन पद्धति से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने वाले बाबा नागार्जुन हिन्दी, मैथिली, संस्कृत तथा बांग्ला भाषा में अपनी कविताएँ लिखा करते थे. इनको काव्य संग्रह ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
कवि नागार्जुन का जीवन परिचय | Nagarjun (Poet) Biography In Hindi
जीवन परिचय – हिंदी साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान बनाने वाले प्रगतिवादी विचारधारा के प्रमुख लेखक और कवि नागार्जुन का जन्म 30 जून 1911 ई. में बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा गाँव में एक माध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनका मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था. इनके पिता का नाम गोकुल मिश्र और माता का नाम उमा देवी था.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | वैद्यनाथ मिश्र |
उपनाम | नागार्जुन |
जन्म (Date of Birth) | 30/06/1911 |
आयु | 87 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | सतलखा गाँव, बिहार |
पिता का नाम (Father Name) | गोकुल मिश्र |
माता का नाम (Mother Name) | उमा देवी |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | उपन्यासकार, कवि |
बच्चे (Children) | ज्ञात नहीं |
मृत्यु (Death) | 05/11/1998 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | —- |
अवार्ड (Award) | साहित्य अकादमी पुरस्कार |
गोकुल मिश्र और उमा देवी को लगातार चार संताने हुईं और असमय ही वे चारों संताने जीवित न रही. संतान न जीने के कारण गोकुल मिश्र अति निराशापूर्ण रहने लगे थे. फिर जब पाचवीं संतान हुई तो उनके मन में यह आशंका आई कि यह भी पनपेगा कि नहीं या चार संतानों की तरह यह भी कुछ समय में ठगकर चल बसेगा. अतः तभी से इनको ‘ठक्कन’ नाम से पुकारा जाने लगा. फिर कुछ समय बाद ठक्कर का नामकरण हुआ और बाबा वैद्यनाथ की कृपा अथवा प्रसाद मानकर इनका नाम वैद्यनाथ मिश्र रखा गया.
तीन साल की अल्पायु में ही उनकी माता का देहान्त हो गया था. वैद्यनाथ जी का लालन – पालन उनके पिता गोकुल मिश्र जी ने किया था. नागार्जुन जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव सतलखा से प्राप्त की थी. फिर बाद की शिक्षा प्राप्त करने के लिए ये वाराणसी चले गए थे. इसके कुछ दिनों पश्चात् इन्होनें कोलकाता से अपना बाकी ज्ञान अर्जित किया तथा वहीँ पर रहकर इन्होंने एक अध्यापक के रूप में भी काम किया.
कवि नागार्जुन का इतिहास | Nagarjun History
इसी दौरान वे आर्य समाज के लोगों के विचारों से काफी प्रभावित हुए और इनका मन बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित होने लगा. जिसके बाद वे बौद्ध धर्म ग्रन्थ, संस्कृत ग्रंथों और दार्शनिक व्याख्यानों को जानने के लिए श्री लंका चले गये और फिर वहीँ पर उन्होंने “विद्यालंकार परिवेण” से बौद्ध धर्म की शिक्षा प्राप्त की और फिर कुछ समय बाद इन्होनें बौद्ध धर्म को अपना लिया था.
बौद्ध धर्म के साथ – साथ ही इनका ध्यान राजनीति की ओर भी गया तथा उस समय भारत की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था. जिसका बाबा नागार्जुन पर काफी प्रभाव पड़ा और फिर उन्होंने भी राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया. बिहार के किसान आंदोलन में भी भाग किया था. इसके अलावा इन्होंने चंपारण के किसानों के साथ मिलकर सशस्त्र विद्रोह का भी सामना किया था.
नागार्जुन जी हिंदी साहित्य के विद्वान कवि थे तथा इनको शुरु से ही संस्कृत, मैथिली, हिन्दी, पाली, आदि भाषाओं का अच्छा खासा ज्ञान था. प्रगतिवादी विचारधारा के महान कवि नागार्जुन ने अपनी कृतियों में बेहद शानदार तरीके से रुपक, उपमा, अतिशयोक्ति एवं अनुप्रास अलंकारों का प्रयोग किया है. घुमक्कड़ी और अक्खड़ स्वभाव वाले व्यक्ति नागार्जुन ने कई बार संपूर्ण भारत की यात्रा की.
मृत्यु | Nagarjun Death
1948 ई. में नागार्जुन पर दमा का पहली बार हमला हुआ था. इसके कारण से उनका स्वास्थ्य दिन पर दिन बिगड़ता गया. इसी वजह से प्रगतिवादी विचारधारा के प्रमुख कवि बाबा नागार्जुन जी का 5 नबम्बर 1998 ई. को निधन हो गया था.
कविता संग्रह – ओम मन्त्र, भूल जाओ पुराने सपने, तुमने कहा था, अपने खेत में, तालाब की मछलियां, सतरंगे पंखों वाली, युगधारा आदि.
नागार्जुन को मिले पुरस्कार | Nagarjun Awards
1969 ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ के लिए सम्मानित गया तथा 1994 में साहित्य अकादमी फैलो के रूप में भी सम्मानित किया था.
नागार्जुन ने कविताओं के जरिए कई लड़ाइयाँ लड़ीं. वे एक कवि के रूप में ही महत्वपूर्ण नहीं है अपितु नए भारत के निर्माता के रूप में भी दिखाई देते हैं.
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