मदर टेरेसा का जीवन परिचय
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अपने कार्यों से सारे विश्व में मानवता, करुणा की बीज बोने वाली महिला है मदर टेरेसा. उन्हें 20 वीं सदी के सबसे महान मानवता वादियों में से एक माना जाता है. “द ऑर्डर ऑफ द मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की संस्थापक मदर टेरेसा ने पीड़ित और गरीबों का जीवन खुशियो से भरने केलिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया. यह संस्थान उनकी मृत्यु के समय भी 123 देशों में 610 मिशन नियंत्रित कर रही थीं. हमेशा सफ़ेद कपडे पहनने वाली मदर टेरेसा के जीवन में लोगों के धर्मं ,जाति का कोई मूल्य नहीं था. टेरेसा दीन-दुखियों की निस्वार्थ सेवा-कार्य के कारण संपूर्ण विश्व में “मदर टेरेसा” के नाम से प्रसिद्ध है .
मदर टेरेसा का जीवन परिचय | Mother Teresa Biography In Hindi
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Real Name) | अगनेस गोंझा बोयाजिजू |
उपनाम (Nickname) | मदर टेरेसा |
जन्म (Date of birth) | 26 अगस्त 1910 |
जन्म स्थान (Birth place) | मसेदोनिया |
परिवार (Parents/Family) | पिता का नाम (Father’s name): निकोला बोयाजू माता का नाम (Mother’s name): द्राना बोयाजू |
धर्म (Religion) | कैथोलिक |
वैवाहिक स्थिति (Marital status) | विवाहित |
पति का नाम (Husband) | ज्ञात नहीं |
व्यवसाय (Occupation) | समाज सेवा |
जन्म और प्रारंभिक जीवन (Birth & Early Life)
मदर टेरेसा का जन्म 23 अगस्त 1910 को आन्येज़े गोंजा बोयाजियू के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य में हुआ था. इनके पिता का नाम निकोला बोयाजू और माता का नाम द्राना बोयाजू था . इनकी आठ साल की आयु में ही उनके पिताजी का निधन हो गया . पिताजी के निधन के बाद इनकी माँ ने ही इनका और इनके भाई-बहनों का लालन-पालन किया. अपने पिता की मृत्यु के बाद,आन्येज़े असाधारण रूप से अपनी माँ के करीब हो गई जिसने अपनी बेटी को अमूल्य शिक्षा दी. ऐसा माना जाता है की 18 साल की उम्र में ही आन्येज़े ने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला लिया था. भविष्य का विचार करके आन्येज़े ने आयरलैंड जाकर अंग्रेजी भाषा सीखी.
जीवन सफ़र और सामाजिक कार्य (Mother Teresa Social Work)
आन्येज़े ने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता को ले लिया. 1949 में उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल खोला और बाद में 1950 में केवल कुछ मुट्ठी भर सदस्यों के साथ ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की. उन्होंने अपना संदेश पहुंचाने केलिए संसार भ्रमण किया. उनके मिशन से प्रेरणा लेकर विभिन्न भागों से स्वयंसेवक भारत आने लगे. उन्होंने अंधे, वृद्ध और विकलांगों के लिए धर्मशाला की स्थापना की. 1981 में आन्येज़े ने अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया और आजीवन सेवा का संकल्प अपना लिया. मदर टेरेसा ने ४५ सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की मदद की है. 5 सितम्बर 1997 को दिल के दौरे के कारण मदर टेरेसा की मृत्यु हुई.
सम्मान और पुरस्कार (Mother Teresa Honor and respect)
मदर टेरेसा को उनकी सेवाओं के लिये विविध पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया गया है. भारत सरकार द्वारा 1962 में मदर टेरेसा को “पद्म श्री” प्रदान किया गया. 1971 में उन्हें पोपजान तेइसवें का शांति पुरस्कार और धर्म की प्रगति के टेम्पलटन फाउंडेशन का पुरस्कार प्रदान किया गया. 19 दिसंबर 1979 को मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया. 1966 में उन्हें ब्रिटेन द्वारा ‘आईर ओफ द ब्रिटिश एम्पायर’ की उपाधि प्रदान की गयी. अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया गया.
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