अन्त्यानुप्रास अलंकार की परिभाषा, अर्थ और उदाहरण |
Antyanupras Alankar Definition with Example
पहले हम जानेंगे कि अलंकार क्या है?
जो किसी व्यक्ति, वस्तु या पदार्थ को अलंकृत (सुसज्जित) करें उसे हम अलंकार कहते हैं. अलंकार का शाब्दिक अर्थ आभूषण है. काव्य-शास्त्र के शुरुआती काल में अलंकारों पर ही विशेष बल दिया गया था. जिस तरह सुंदर स्त्री की सौन्दर्य के लिए आभूषणों की आवश्यकता पड़ती है उसी तरह कविता की सौन्दर्य के लिए अलंकारों का प्रयोग अनिवार्य हो जाता है तथा अलंकार कविता का श्रृंगार है.
अन्त्यानुप्रास अलंकार की परिभाषा | Definition of Antyanupras Alankar
जब किसी छंद के अंत में एक जैसे स्वर या व्यंजन वर्णों का प्रयोग होता है तो उसे अन्त्यानुप्रास अलंकार माना जाता है. अन्त्यानुप्रास अलंकार अनुप्रास का प्रकार है. लगभग प्रत्येक काव्य में अन्त्यानुप्रास अलंकार पाया जाते है.
(ध्यान दें – अनुप्रास : वर्णों के दुहराव को अनुप्रास कहते है)
उदाहरण :
- जिसने हम सबको बनाया,
बात-की-बात में वह कर दिखाया
कि जिसका भेद किसी ने न पाया.
स्पष्टीकरण - यहाँ बनाया, दिखाया तथा पाया शब्दों के अंत में बीच के व्यंजन ‘य्’ के सहित अन्त के दो स्वरों ‘आ, आ' का दुहराव हुआ है.
- दुखी बना मंजु-मना ब्रजांगना.
स्पष्टीकरण - यहाँ बना, मना तथा ब्रजांगना शब्दों के अन्त में बीच के व्यंजन ‘न्’ के सहित अन्त के दो स्वरों ‘अ, आ’ का दुहराव हुआ है.
इसे भी पढ़े :
- पर्यायवाची शब्द क्या होते हैं ?
- रस क्या होता है? रस की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
- कहानी, नाटक व कविता में अंतर