हिन्दू धर्मं में अंतिम संस्कार के बाद नहाने का महत्व और इसके पीछे का वैज्ञानिक और धार्मिक कारण | Reason of Taking Bath after Funeral in Hindi
जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसका दाह संस्कार विधिवत रूप से किया जाता है. सभी धर्मों में ऐसा माना जाता है की शवयात्रा में जाना और मृत शरीर को कंधा देना बड़े ही पुण्य कार्य है. धर्म शास्त्रों के अनुसार शवयात्रा में शामिल होने और किसी के अंतिम संस्कार में उपस्थित रहने से इंसान को जिंदगी की सच्चाई की आभास होता है. और वह यह सोचता है की मनुष्य के सफ़र का अंत यही पर होता है. कई लोगो ने अपने मन में यह सोचा होगा कि जब शमशान जाने के आध्यात्मिक लाभ हैं, तो शमशान से वापस आकर तुरंत नहाना क्यों जरुरी है. किसी भी व्यक्ति के दाह संस्कार या अंतिम संस्कार में जाने के बाद हमेशा नहाया जाता है.
धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
धार्मिक कारण
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार लगातार अंतिम संस्कार के कार्य होते रहने से शमशान भूमि में एक विशेष प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बन जाता है, जो इंसान के मनोबल को हानि पहुंचा सकता है. स्त्रियों को तो शमशान भूमि पर भी जाने से भी रोका जाता है क्योंकि स्त्रियां, पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा भावुक होती हैं. जब शव का दाह संस्कार कर दिया जाता है उसके बाद भी उस मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहां उपस्थित रहता है, जो अपनी प्रकृति के अनुसार कोई भी हानिकारक प्रभाव डाल सकता है. अतः वहां जाकर आने के बाद नहाना चाहिए.
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिको के अनुसार शव का अंतिम संस्कार नही किया जाता है उसके पहले ही वातावरण सूक्ष्म और संक्रामक कीटाणुओं से ग्रसित हो जाता है. इसके अतिरिक्त जो मृत व्यक्ति होता है वो भी किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हो सकता है. इसलिए शमशान भूमि में जाने पर इंसानों पर किसी संक्रामक रोग का असर होने की आशंका रहती है. और नहा लेने से संक्रामक कीटाणु आदि पानी के हमारे शरीर से अलग हो जाते है.
इसी कारण हमारे धर्म शास्त्र में किसी भी शव का अंतिम संस्कार में जाकर आने पर नहाना चाहिए. जिससे हमारे शरीर पर ना कोई हानिकारक प्रभाव होता है और ना ही किसी संक्रामक रोग के होने की संभावना होती है.
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