मोबाइल फोन जीवनशैली में बाधक या साधन पर अनुच्छेद | Article on Mobile Phone Lifestyle | Mobile Phone Jivanshaili Par Paragraph
हमारे युग को आज आधुनिक बनाने में विज्ञान का एक महत्वपूर्ण योगदान है, अगर हम विज्ञान से जुड़े हुए किसी भी विषय पर लिखते है, तो उसे विज्ञान संबंधी अनुच्छेद कहते है. हमने “मोबाइल फ़ोन जीवनशैली बाधक या साधक” पर अनुच्छेद लिखा है इसके नाम से ही समझ में आता है कि यह अनुच्छेद हमारे मोबाइल फ़ोन और अपनी जीवन शैली के बारे में लिखा गया है.
मोबाइल फोन
संकेत बिन्दु – (1) मोबाइल की आवश्यकता (2) जीवन पर प्रभाव (3) उपयोगिता की सीमा
वर्तमान दौर में मोबाइल फोन जीवन की अनिवार्य वस्तु बन गई है. प्रातः उठने से लेकर रात्रि के सोने तक मोबाइल का साथ श्वास की तरह जरूरी प्रतीत होता है. अलार्म, रिमाइंडर, संदेश, संगीत, गेम, कैल्कुलेटर, कैमरा, पुस्तक, फिल्म नई-नई सूचनाएँ आदि अनेक चीजों को एक छोटी सी डिबिया में समेटा यह मोबाइल विद्यार्थी से लेकर बुजुगों तक की जरूरत बन गया है. एक स्थान पर रहकर व्यक्ति कई जगह के लोगों से एक साथ बातचीत कर सकता है. दफ्तर, व्यवसाय आदि के कार्य सूचनाओं के आदान-प्रदान द्वारा कर सकता है. देश-दुनिया का आनंद ले सकता है. अनंत सुविधाओं का उपभोग कराने वाला संचार का यह यंत्र कभी-कभी जीवन शैली को दुष्प्रभावित भी करता है. इसकी लत से व्यक्ति एक मिनट भी इससे दूर नहीं रहना चाहता, अतः पारिवारिक सदस्यों के बीच दूरियाँ आने लगी हैं. प्रत्येक सदस्य अपने-अपने मोबाइल पर आँखें गड़ाए बैठा रहता है. आरामदायक अवसरों में इसकी घंटी कदाचित नींद में खलल डालती है. गलत कॉल व संदेश परेशानी पैदा करते हैं. अत्यधिक उपयोग से आँखों, कानों और मस्तिष्क पर बुरा असर डालता है. जेब में रखने से इससे निकलने वाली तरंगें हृदय व कमर पर बुरा प्रभाव डालती है. एक ओर जहाँ मोबाइल संबंधों को बनाने का सशक्त साधन है वहाँ दूसरी ओर सुव्यवस्थित जीवन शैली के लिए बाधक भी है.
अतः इसकी उपयोगिता की सीमाएँ होनी चाहिए. आराम के अवसरों पर इसे बंद कर देना चाहिए. कॉल की घंटी की आवाज धीमी रखनी चाहिए. वाहन चलाते वक्त इसका उपयोग करना दुर्घटना को आमंत्रण देना है. अतः उस वक्त इसके उपयोग से बचना चाहिए. विद्यार्थियों को इसके अनावश्यक उपयोग से बचना चाहिए.
अनुच्छेद लिखने की रीति
हम अगर इन बातों का ध्यान रखे तो हम अनुच्छेद को बिल्कुल सटीकता से लिख सकते है.
- किसी भी विषय पर अगर हमें अनुच्छेद लिखना है, तो हमें उस विषय की जानकारी होना अति आवश्क है.
- चुने हुए विषय पर लिखने से पहले चिन्तन-मनन करे ताकि मूल भाव भली-भाँति स्पष्ट हो सके.
- विषय को प्रस्तुत करने की शैली अथवा पद्धति तय होनी चाहिए.
- लिखते समय सरल भाषा का प्रयोग करे एवं ध्यान रखे की विषय के अनुकूल होनी चाहिए.
- मुहावरे और लोकोक्तियों आदि का प्रयोग करके भाषा को सुंदर एवं व्यावहारिक बनाने का प्रयास करे.
- अनुच्छेद लिखते समय मात्राओं की गलती एवं कटा-पिटी ना हो इस बात को हमेशा याद रखे.