योग का महत्व पर अनुच्छेद लेखन | Article on Importance of Yoga in Hindi | Yoga Ka Mahatv Par Paragraph in Hindi
हमने आपके लिए जो अनुच्छेद लिखा है, वह अनुच्छेद एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर लिखा है. हम सभी के जीवन में अगर हम योग रोज करते है, तो इससे हमारे अंदर एक अलग ही ऊर्जा आती है एवं योग हमें कई रोगों से बचाता है. योग के बारे में हमे अक्सर परीक्षा में निबंध के साथ साथ अनुच्छेद भी आते हैं.
योग का महत्व
संकेत बिन्दु – (1) प्रस्तावना (2) अर्थ (3) महत्व (4) शारीरिक महत्व (5) मानसिक महत्व (6) नैतिक महत्व (7) चारित्रिक महत्व (8) निष्कर्ष
प्रस्तावना – वर्तमान समय में हम सभी ‘योग’ के महत्व से भली-भाँति परिचित हैं. हर उम्र के व्यक्ति योग शब्द से कुछ न कुछ ग्रहण करते हैं. योग के महत्व को किसी भी रूप में इन्कार नहीं किया जा सकता.
अर्थ – योग शब्द संस्कृत के ‘युज्’ धातु से बना है. जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’ अर्थात् किसी कार्य में स्वयं को लगाना . महर्षि पतंजलि के अनुसार, ‘योगश्चितवृत्तिनिरोधः’ अर्थात् चित्त की वृत्तियों का सर्वथा अभाव ही योग है.
महत्व – वर्तमान जनजीवन के अनेक क्षेत्रों में योग का बहुत महत्व है. विशेषतया छात्र जीवन में इसका बहुत महत्व है.
शारीरिक महत्व – योग साधना का शारीरिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका है. योग से अंग-प्रत्यंग की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है तथा शरीर स्वस्थ व निरोग बनता है. आसन व योग से सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं.
‘न तस्य रोगो न जरा न मृत्युः
प्राप्तस्य योगाग्निमयं शरीरम् ।।’
मानसिक महत्व – योग के द्वारा शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी प्राप्त किया जा सकता है. योग द्वारा मन की चंचलता को कम कर मानसिक एकाग्रता प्राप्त की जा सकती है, जिसकी छात्र जीवन में महती आवश्यकता है. प्राणायाम द्वारा छात्रों की स्मरणशक्ति बढ़ती है, तनाव कम होता है, कुविचार समाप्त होकर सुविचारों का उदय होता है.
नैतिक महत्व – आधुनिक शिक्षा प्रणाली में प्रचलित नैतिक शिक्षा से छात्रों में नैतिक गुणों का विकास नहीं हो पाता है. योग द्वारा उनमें नैतिक गुणों का विकास किया जा सकता है. योगाभ्यास द्वारा इन्द्रिय संयम, समय संयम, विचारों में संयम तथा जीवन सुव्यवस्थित एवं अनुशासित हो जाता है. इस तरह छात्रों का नैतिक पतन होने से बच जाता है.
चारित्रिक महत्व – योगविद्या एक आदर्श व उच्च चरित्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. योगों के सतत् अभ्यास से व्यक्तित्व का रूपान्तरण होता है.
निष्कर्ष – योग वास्तव में जीवन जीने को ऐसी कला है, जो कि वैज्ञानिक है. जिसका हमारे जीवन के शारीरिक, मानसिक, नैतिक व चारित्रिक पक्ष पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. आज योग जन-जन के बीच लोकप्रिय व आदर्श पद्धति बन चुका है. योग के उत्कर्ष का वर्णन श्रीकृष्ण ने इस श्लोक में किया है.
“तपस्विध्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपिम्मतोऽधिकः।
कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जनः।।”
अनुच्छेद लिखने की रीति
हम अगर इन बातों का ध्यान रखे तो हम अनुच्छेद को बिल्कुल सटीकता से लिख सकते है.
- किसी भी विषय पर अगर हमें अनुच्छेद लिखना है, तो हमें उस विषय की जानकारी होना अति आवश्क है.
- चुने हुए विषय पर लिखने से पहले चिन्तन-मनन करे ताकि मूल भाव भली-भाँति स्पष्ट हो सके.
- विषय को प्रस्तुत करने की शैली अथवा पद्धति तय होनी चाहिए.
- लिखते समय सरल भाषा का प्रयोग करे एवं ध्यान रखे की विषय के अनुकूल होनी चाहिए.
- मुहावरे और लोकोक्तियों आदि का प्रयोग करके भाषा को सुंदर एवं व्यावहारिक बनाने का प्रयास करे.
- अनुच्छेद लिखते समय मात्राओं की गलती एवं कटा-पिटी ना हो इस बात को हमेशा याद रखे.