इन खेतों में गेहूं की फसल बोई गई है, जिसमे रासायनिक खाद का उपयोग अधिक मात्रा में किसानों को करना पड़ता है. इन खादों की कीमत भी बहुत ही अधिक ही होती है. किन्तु समस्या तब उत्पन्न होती है जब इन खादों का उपयोग करने के बाद भी अच्छी पैदावार नही होती है.
कई बार इस नुकसान के लिए नकली उर्वरक जिम्मेदार होता है. कई बार ऐसा होता है की इन उर्वरको में पत्थर निकलते है. सबसे अधिक मिलावट महंगी खादों अर्थात डाई आमोनियम फास्फेट में होती है.इन खादों को देखकर पहचान करना आसान नहीं होता, जिसका फायदा मिलावट करने वाले उठाते है. किन्तुयदि किसान भाई थोड़ी सी सतर्कता अपनाएं तो वो वह इसकी पहचान कर सकता है, कि खाद नकली हैया असली.
आइये आज हम आपको बताते है की ऊर्वरक की गुणवत्ता की पहचान कैसे करें….
1. डीएपी की पहचान
डीएपी खाद की पहचान करने के लिए डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मसलने पर यदि उसमें से तेज गन्ध निकले, जिसे सूंघना भी मुश्किल हो तो समझें कि यह डीएपी असली है. इसी तरह एक और विधि है जिससे डीएपी की पहचान की जा सकती है. यदि हम डीएपी के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करते है तो यदि ये दाने फूल जाते हैं तो समझ लें यही असली डीएपी है नही तो यह खाद नकली है. डीएपी के दाने भूरे काले एवं बादामी रंग के होते है, और नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं.
2. यूरिया पानी में पूरी तरह घुल जाती है
यूरिया खाद के दाने सफेद चमकदार और समान आकार के होते हैं.यूरिया पानी में पूरी तरह से घुल जाती है तथा यूरिया के घोल को छूने पर ठंडा लगता है. यूरिया खाद को तवे पर गर्म करने से इसके दाने पिघल जाते है, और यदि आंच तेज कर दी जाये तो इसका कोई अवशेष नही बचेगा.
3. पोटास के दाने आपस में नहीं चिपकते हैं
पोटाश की असली पहचान इसका सफेद नमक तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रणहै. पोटाश के दानों पर पानी की कुछ बूंदे डाली जाये और यदि ये आपस में नहीं चिपकते हैं तो समझ लें कि ये पोटाश असली है. पोटाश को यदि पानी में घोला जाता है तो इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है.
4. सुपर फास्फेट
सुपर फास्फेट की पहचान इसके सख्त दाने तथा इसका भूरा काला बादामी रंग है. इसके दानों को गर्म करने पर ये फूलते नही है तो यही असली सुपर फास्फेट है. इस बात का विशेष ध्यान रखें की डीएपी के दाने गर्म करने पर फूल जाते हैं जबकि सुपर फास्फेट के दाने नहीं फूलते है.अतः इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है. सुपर फास्फेट के दानों को नाखूनों से आसानी से नहीं तोडा जा सकता है.
5. जिंक सल्फेट :
असली जिंक सल्फेट की पहचान यह है कि इसके दाने हल्के सफेद पीले तथा भूरे बारीक कण के आकार के होते हैं. जिंक सल्फेट में मुख्यतः मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है. भौतिक रूप से सामान्य होने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना कठिन होता है.
एक बात और डीएपी के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बनाया जाता है, जबकि डीएपी के घोल में मैगनीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नही होता है.इसी प्रकार यदि हम जिंक सफेट के घोल मे पलती कास्टिक का घोल मिलायें तो सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष बनता है.और यदि इसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिला दें तो ये अवशेष पूर्ण रूप से घुल जाता है. इसीलिए किसान मित्रों से निवेदन है की वे उर्वरक की सही तरह से पहचान कर ले और तत्पश्चात ही अपने खेतो में उपयोग करें.