के. सी. पॉल (फुटपाथ पर रहने वाला वैज्ञानिक) की जीवनी, कार्य और जीवन संघर्ष | K. C. Paul Biography, Work and Life Stuggle in Hindi
कोलकाता में के. सी. पॉल (कार्तिक चन्द्र पॉल) नाम के एक व्यक्ति रहते है जो एक भूकेन्द्रित खगोल विज्ञान के प्रस्तावक है. बिना किसी विशेष ज्ञान और अनुभव के उन्होंने सिद्ध किया कि पृथ्वी सभी खगोलीय पिंडों का केंद्र है। जैसा की चित्र में प्रदर्शित है:
पॉल ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 40 वर्ष बस यही सिद्ध करने में पुरे कर दिए की पृथ्वी अपने स्थान पर स्थिर है और शांत है इसे पॉल का सनकीपन भी कहा जा सकता है. पॉल के अनुसार सभी गृह पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करते है यहाँ तक कि सूर्य भी पृथ्वी की परिक्रमा करता है.
18 अगस्त 2003 को पॉल अपने मकान का स्वामित्व खो चुके है और वर्तमान में वे अपना जीवन कोलकाता के फूटपाथ पर व्यतीत कर रहे है. पॉल का कहना है कि उन्हें कोई पेंशन नहीं मिल रही है और वे अपना गुजारा मात्र 500 रुपये महिना 17 रुपये प्रतिदिन में करते है.
पॉल का जन्म 1942 में हावड़ा के एक गाँव में हुआ. आर्थिक मज़बूरी के कारण उन्होंने एक लोकल स्कूल में एडमिशन लिया परन्तु वह अपनी पढाई जारी नहीं रख पाए.
1965 में भारत-चीन युद्ध के दौरान उन्होंने भारतीय सेना में कांस्टेबल के पद पर नौकरी की. शुरुआत में उनकी पोस्टिंग फतेहगढ़, उत्तरप्रदेश में थी. इस बीच उनके दिमाग में वह बात आई कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगता है. उन्होंने अपना अध्ययन शुरू किया और 1974 में यह तय हो गया कि सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी नहीं अपितु सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करता है.
हिंदी अख़बार अमर उजाला ने एक बार उनका इंटरव्यू लिया. आर्मी में सेवा देते वक़्त बिना अनुमति के समाचार पत्रों को इंटरव्यू देने के कारण उन्हें आर्मी से निष्काषित कर दिया गया.
यह एक अत्यंत दुखःद बात है जिस व्यक्ति ने अपने जीवन के 40 वर्ष समर्पित किये आज उसे फूटपाथ पर जीवन काटना पड़ रहा है.
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