सारागढ़ी युद्ध का इतिहास, कहानी, इस पर बनाने वाली फिल्म (केसरी) और सीरियल | Full Story and History of Battle of saragarhi in hindi | Saragarhi Ka Yudh
भारत के लोगों की हमेशा से ही एक ख़ासियत रही हैं कि वह कभी भी अपने शहीदों के बलिदान को भूलता नहीं हैं. इसका एक दूसरा पहलू यह भी हो सकता है कि यहाँ के देशभक्तों ने ऐसा युद्ध लड़ा हैं कि वह आज तक भुलाये नहीं भूलता हैं. देश में ऐसे वीर जवान हुए हैं जिन्होंने दुश्मन के सामने संख्या में कम होने के बावजूद भी कभी भी अपने घुटने नहीं टेके. आज हम आपको ऐसी ही वीर गाथा के बारे में विस्तार से बताएँगे जो कि आपको अपने पूर्वजों के प्रति गर्व से भर देगी.
सारागढ़ी का युद्ध (Saragarhi War) को बैटल ऑफ़ सारागढ़ी के नाम से जाना जाता हैं. यह युद्ध भारतीय इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ था. जहाँ पर मात्र 21 सिख सरदारों ने 10,000 अफगानों से युद्ध किया था. आपने इस कहानी से मिलती जुलती हॉलीवुड की फिल्म “300” देखी होगी लेकिन यह वास्तविक घटना थी. इस घटना ने भारतीयों को यह दिलाया कि हम भारतीय भी किसी से कम नहीं हैं.
सारागढ़ी का युद्ध की तारीख (Date of Battle of Saragarhi)
सारागढ़ी का युद्ध 12 सितम्बर 1897 को ब्रिटिश भारतीय सेना (सेना में भारत के गुलाम सैनिक) और अफगानी ओराक्ज़ई जनजातियों के बीच तीरह जो कि अब पाकिस्तान में हैं में लड़ा गया था. यह उत्तर पश्चिम फ्रण्टियर वर्तमान में खैबर-पखतुन्खवा, पाकिस्तान में में स्थित हैं. इस युद्ध में 10,000 अफगानों के सामने 21 सिख सैनिकों ने हिस्सा लिया था. यह कहानी भारत में अन्य युद्धों के मुकाबले इसलिए ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हैं क्योंकि यह युद्ध गुलाम भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश सेना के लिए अफगानों से लड़ा था. इस युद्ध में ब्रिटिश भारतीय सेना का नेतृत्व ईशर सिंह ने किया था. इस युद्ध में उन्होंने मृत्यु पर्यन्त युद्ध करने का निर्णय लिया था. इस युद्ध के अंत में ब्रिटिश भारतीय सेना ने अफगानों द्वारा किये गए कब्ज़े वाले इलाके पर पुनः अपना नियंत्रण पा लिया था. यह युद्ध इतिहास में अपने महान अंत के लिए जाना जाता हैं.
सारागढ़ी की लड़ाई (Battle of Saragarhi History in Hindi)
1897 के साल तक अंग्रेजों का दबदबा पूरी बढता ही जा रहा था. पूरे भारतवर्ष पर कब्ज़ा करने के बाद ब्रिटिश सेना अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करना चाहती थी. उन्होंने अफगानिस्तान पर हमले करना भी शुरू कर दिए थे. अफगानिस्तान सीमा पर ब्रिटिश सेना के कब्ज़े में दो किले गुलिस्तान का किला और लॉकहार्ट का किला थे.
ऐसा कहा जाता हैं कि ओराक्ज़ई जनजाति के अफगान उस समय के गुलिस्तान और लोखार्ट के किलों पर अपना कब्ज़ा करना चाहते थे. इन दोनों किलों का निर्माण रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया था. इन दोनों की किलों के पास सारागढ़ी की एक चौकी हुआ करती थी. यह चौकी संचार की दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण थी. यही से ही आस पास के इलाकों में संपर्क किया जाता था. इस चौकी की सुरक्षा की जिम्मेदारी 36वी सिख रेजिमेंट को सौंपी गयी थी.
यह युद्ध की शुरुआत 12 सितम्बर 1897 की सुबह 9 बजे होती हैं जब लगभग 10,000 अफगान पश्तूनों की सेना सारागढ़ी पोस्ट पर चढाई करने के लिए संकेंत देती हैं. करीब 10 हजार अफ़गानी सैनिक उनकी ओर तेजी से बढ़ते जा रहे थे. दुश्मन की इतनी बड़ी संख्या देखकर सब हैरान थे. गुरमुख सिंह पोस्ट की सुरक्षा के लिए कर्नल हौथटन को एक तार करते हैं कि की उनपर हमला होने वाला हैं उन्हें मदद की आवश्यकता हैं. कर्नल हौथटन के अनुसार सारागढ़ी में तुरन्त सहायता नहीं भेज सकते थे. यह जानकारी आने के बाद 21 सिखों का नेतृत्व कर रहे ईशर सिंह निर्णय लेते हैं कि वह मृत्युपर्यंत इस चौकी को नहीं छोड़ेंगे. ईशर सिंह के साथ उनके सैनिकों ने भी दिया और अन्तिम साँस तक लड़ने का निर्णय लिया. सारे सिख सैनिक अपनी-अपनी बंदूकें लेकर क़िले के ऊपरी हिस्से पर खड़े हो गए थे. अफगानी निरंतर आगे बढते ही जा रहे थे. हर और सन्नाटा पसर गया था. युद्ध के मैदान में केवल घोड़ों की आवाज़ सुनाई दे रही थी.
पहली गोली चलने के साथ ही सारागढ़ी का युद्ध चालू हो गया. दोनों और से गोलियों की आवाज आने आने लग गयी. अंधाधुंध गोलीबारी के बीच अफगानी नेता पश्तों समझ गया कि यह जंग आसान नहीं होने वाली हैं. युद्ध के दौरान कई बार अफगान सेना का अधिनायक ने सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए लुभाया. लेकिन कोई भी सैनिक इसके लिए तैयार नहीं था. अंतः 10 हजार अफगान लड़ाके चौकी पर हमला कर देते हैं.
बंदूकों से जंग नहीं जीतता देख अफगान किले के दरवाजे तोडना शुरू देते हैं लेकिन उन्हें इसमें भी सफलता नहीं मिलती हैं. लेकिन अचानक किले की एक दीवार ढह जाती हैं और अफगान किले में घुस जाते हैं अचानक से गोलियों से चलने वाली लड़ाई चाकू और तलवार में बदल जाती हैं.
इस युद्ध में 20 सिखों से सीधे तौर पर अफगानों से लड़ाई कर रहे थे. 1 सिख गुरमुख सिंह युद्ध की सारी जानकारी कर्नल हौथटन को तार के माध्यम से भेज रहे थे. आखिरकार वही हुआ जिसका सबको अंदाज़ा था दुश्मन से लड़ते लड़ते 21 में से 20 सिख शहीद हो गए. अंतिम रक्षक गुरमुख सिंह को अफगानों ने आग के गोलों से मारा. गुरमुख सिंह अपने अतिम क्षण तक “बोले सो निहाल, सत श्री अकाल” बोलते रहे.
सारागढ़ी के इस युद्ध में 21 सिख ने अफगानों के 600 लोगों को मार गिराया. हालाँकि इस लड़ाई में 36 वी रेजिमेंट के सभी 21 सिख शहीद हो गए. लेकिन 21 सिखों ने ओराक्ज़ई जनजातियों के अफगानों को पुरे 1 दिन तक परेशान रखा. सारागढ़ी को तबाह करने के पश्चात अफ़्ग़ानों ने गुलिस्तां किले पर निगाहें डाली लेकिन इन सब में बहुत देरी हो चुकी थी और 13 सितम्बर की मध्यरात्रि अतिरिक्त सेना किले की सुरक्षा के लिए पहुँच गयी. और मात्र 2 दिन के भीतर सारागढ़ी पर वापस भारतीय ब्रिटिश सेना का कब्ज़ा हो गया. इसके बाद पश्तों ने स्वीकार किया कि 21 सिखों के साथ युद्ध में उनके 600 सैनिक मारे गये. और कई घायल हो गए थे.
सारागढ़ी दिवस (Saragarhi Day)
इस युद्ध के बाद 36वी रेजिमेंट के 21 सिखों को मरणोपरांत ब्रिटिश साम्राज्य की तरफ से बहादुरी का सर्वोच्च पुरस्कार Indian Order of Merit प्रदान किया गया. जो कि आज परमवीर चक्र के बराबर हैं. 21 सिखों के बलिदान को शायद हम भारतीय भूल गए हो लेकिन आज भी ब्रिटेन में 12 सितम्बर को उन शहीदों के सम्मान में सारागढ़ी दिवस (Saragarhi Day) के रूप में मनाया जाता हैं. भारत में इस दिन सिख रेजीमेंट इसे “रेजीमेंटल बैटल आनर्स डे” घोषित किया गया हैं. लेकिन शायद इसके बारे में आपने कभी सुना भी नहीं होगा. दुखद ही बात हैं कि देश में मुगलों और अंग्रेजों की गुलामी की कहानियां सुनाई जाती हैं लेकिन इस वीर गाथा के लिए कोई जगह नहीं हैं.
सारागढ़ी के शहीद सैनिक के नाम (Name of the Soldier of Battle of Saragarhi)
सारागढ़ी के 21 सैनिकों की वीरता से आप अच्छी तरह वाकिफ हो गए होंगे. इस छोटी सी टुकड़ी का नेतृत्व ईशर सिंह ने किया था. जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना में हवालदार के रूप में काम किया करते थे. इस वीर गाथा में एक तथ्य यह भी हैं जिन 21 वीरों ने यह लड़ाई लड़ी उनमे से अधिकतर सैनिक नहीं थे. उनमें कुछ रसोईये थे तो कुछ सिग्नलमैन थे, लेकिन वह सब अपने साथियों के लिए सारागढ़ी जंग में उतरे थे.
ईशर सिंह के साथ 20 अन्य सैनिकों ने उनका इस युद्ध में साथ दिया उनके नाम निनानुसार हैं.
- गुरमुख सिंह
- चंदा सिंह
- लाल सिंह
- जीवन सिंह
- बूटा सिंह
- जीवन सिंह
- नन्द सिंह
- राम सिंह
- भगवान सिंह
- भोला सिंह
- दया सिंह
- नारायण सिंह
- साहिब सिंह
- हिरा सिंह
- सुन्दर सिंह
- उत्तर सिंह.
- करमुख सिंह
- गुरमुख सिंह (Same Name)
- भगवान सिंह (Same Name)
- राम सिंह (Same Name)
युद्ध के बाद बना गुरुद्वारा (Saragarhi Memorial)
सारागढ़ी के युद्ध मे शहीद हुए सिखों की बहादुरी का सम्मान करने के लिए तीन गुरूद्वारे का निर्माण किया गया. एक गुरुद्वारा का निर्माण वही किया गया हैं जहाँ पर इस लड़ाई को लड़ा गया था. दूसरा फिरोजपुर में और तीसरे का निर्माण अमृतसर में किया गया हैं. अमृतसर में स्थित गुरूद्वारे का नाम गुरुद्वारा सारागढ़ी (Gurdwara Saragarhi) हैं. इस स्मृति प्रतीक 14 फ़रवरी 1902 को बनकर तैयार हुआ था. गुरुद्वारा सारागढ़ी में सभी शहीदों को नाम सुनहरे शब्दों से लिखे गए हैं.
सारागढ़ी युद्ध पर बनी फिल्मे (Films Based on Saragarhi War)
फिल्म और टीवी जगत में सारागढ़ी युद्ध पर फिल्म और सीरियल बनाने का क्रेज बढते ही जा रहा हैं. सबसे पहले अजय देवगन ने यह ट्वीट करके बताया था कि वह एक फिल्म करने जा रहे हैं जिसका नाम सन्स ऑफ़ सरदार हैं जो कि बैटल ऑफ़ सारागढ़ी पर आधारित होगी लेकिन कुछ समय बाद बजट की कमी होने के कारण यह फिल्म डिब्बा बंद हो गई.
Unveiling @SonsOfSardaar My tribute to Warriors of Saragarhi: A tale of Rage, of Love, of Bravery. #SonsOfSardaar pic.twitter.com/kjI44uCvzI
— Ajay Devgn (@ajaydevgn) July 29, 2016
टीवी की दुनिया के जाने माने वाले कलाकार मोहित रैना इस पर आधारित शो “21 सरफरोशः सारागढ़ी 1897” किया हैं जो कि डिस्कवरी जीत पर प्रदर्शित किया जा चुका हैं.
This is VERY IMPRESSIVE !!! 👍⭐👍⭐👍⭐@mohituraina ‘s first look from #21SarfaroshSaragarhi1897 pic.twitter.com/Bzu7fezqw9
— Girish Johar (@girishjohar) January 5, 2018
इन दोनों के अलावा अक्षय कुमार “केसरी” में और रणदीप हुड्डा भी सारागढ़ी के युद्ध पर बन रही एक फिल्म में नजर आने वाले हैं. अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म केसरी की पहली झलक 12 फ़रवरी 2019 को जारी किया गया. जिसके बाद 20 फ़रवरी को इस फिल्म का पहला ट्रेलर लांच किया गया. ट्रेलर में दिखाया गया केसरी फिल्म 21 सिखों के सम्मान में 21 मार्च 2019 को होली के दिन रिलीज़ की जाएगी.
Feeling nothing but immense pride and gratitude while sharing this. Beginning my 2018 with #KESARI, my most ambitious film and a lot of passion. Need your best wishes as always 🙏🏻 @dharmamovies@iAmAzure @SinghAnurag79 pic.twitter.com/NOQ5x7FKRK
— Akshay Kumar (@akshaykumar) January 5, 2018
In 1897 21 #Sikhs fought 10,000+Afghans to last man last round #battleofsaragarhi 1 of greatest tales of courage led by Havildar Ishar Singh pic.twitter.com/kiAkkD9Ebc
— Randeep Hooda (@RandeepHooda) September 12, 2017
इसे भी पढ़े :
- शिवखेड़ा जी की प्रेरणादायक कहानियाँ
- जानिए भोपाल गैस त्रासदी से जुडी एक-एक बात विस्तार से
- हिन्दुओं के चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी की विस्तृत जानकारी
21 shiko par Garve hai