अमरनाथ मंदिर और इसकी यात्रा से जुडी हुई कहानियां हिंदी में | Amarnath Mandir and Yatra Full History and Stories in Hindi | Amarnath ki Katha
अमरनाथ जी की पवित्र गुफा की यात्रा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. भगवान शिव के निवास स्थल के रूप में पहचाने जाने वाली इस पवित्र गुफा का वेदों और पुराणों में भी वर्णन मिलता है.
पुराण के अनुसार काशी में दर्शन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना पुण्य देने वाले श्री बाबा अमरनाथ के दर्शन हैं. लेकिन यह पवित्र यात्रा हमेशा ही किसी न किसी कारण से बाधित होती रही है चाहे वह प्राचीन काल हो या आधुनिक काल.
प्राचीन काल में मुस्लिम शासकों ने इस यात्रा को रोकने की हमेशा कोशिश की, तो वर्तमान काल में यह यात्रा आतंकियों के निशाने पर होती है. इतनी कोशिशों के बाद भी इस यात्रा को कोई भी नही रोक सका हैं. अमरनाथ जी की यात्रा बेहद ही सुखद एहसास देने वाली होती हैं.
इस स्थान से आज तक कई कहानियां जुड़ी हैं. आज हम आपके सामने उन कहानियों में से प्रमुख को रख रहे हैं.
कथा 1 (Amarnath Katha 1)
अमरता की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने मां पार्वती को यहां पर अमरता और ब्रह्मांड के बनने का राज बताया था.
एक बार माता पार्वती जी ने शिवजी से पूछा, कि आपके गले पर यह नर मुंडो की माला क्यों है? तो शिवजी ने कहा कि तुम्हारे जितने जन्म हुए हैं, उतने मेरे गले पर नर मुंडो की माला है. इस पर माता पार्वती ने कहा कि मेरा हर बार जन्म होता है, पर आप अमर क्यों है? तब शिवजी ने बताया कि यह अमरकथा की वजह से है.
इसपर पार्वती जी वह अमर कथा सुनने की जिद करने लगी, लेकिन भगवान शंकर के द्वारा हमेशा टाला जाता रहा. आखिरकार माता पार्वती ने भगवान शिव को यह कथा सुनाने के लिए मना ही लिया. भगवान शिव यह कथा सुनाने के लिए एक ऐसा स्थल चाहते थे जहां पर कोई भी पहुंच न सके और कोई भी दूसरा व्यक्ति इस कथा को ना सुन सके. इसके लिए भगवान शिव ने पांच तत्व (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश) सभी का त्याग किया और तत्पश्चात अमरनाथ की गुफा में माता पार्वती को अमरता का ज्ञान बताने लगे.
इस कथा को अमरकथा के नाम से जाना जाता है इसलिए इस स्थल का नाम अमरनाथ पड़ा.
कथा 2 (Amarnath Katha 2)
भृगु मुनि की कहानी
इसके अलावा इस जगह से एक और कथा जुड़ी हुई है. एक बार ऋषि कश्यप ने कुछ नदियों का बहाव कश्मीर घाटी की तरफ मोड़ दिया था जिस कारण यह इलाका पूरी तरह जलमग्न हो गया. यह जगह भृगु मुनि के तपस्या का स्थान था. ऋषी भृगु ने अपने तप बल से कश्मीर घाटी का पानी सूखा दिया. पानी सूखने के बाद ऋषि भृगु ने इस गुफा को देखा और इस पवित्र गुफा में दर्शन करने के लिए गए. इस तरह यह गुफा लोगों के सामने एक बार फिर आई.
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कथा 3 (Amarnath Katha 3)
गुरु गोविंद सिंह से जुडी कहानी
इसके अलावा इस गुफा से जुड़ी हुई एक और कथा प्रचलित है. मुगल काल में यहां मुगल शासकों का अधिकार था, और उस दौर में हिंदू पंडितों के ऊपर बहुत ज्यादा अत्याचार होता था. उन्हें अमरनाथ जी की यात्रा करने से रोका जाता था. जिसकी वजह से यह यात्रा स्थगित कर दी गई. वहां पर पूरी तरीके से भय का माहौल था. अंततः मुगलों के अत्याचार से परेशान वहां के हिंदू पंडितों ने अमरनाथ जी की गुफा की ओर प्रस्थान किया. और जब वो गुफा में पहुँचे और अपनी व्यथा भगवान से कही, तब एक भविष्यवाणी हुई थी जिसमें यह कहा गया था कि तुम सब एक सिख गुरु के पास जाओ वह तुम्हारी रक्षा करेगा. ऐसा कहा जाता है की यह भविष्यवाणी गुरु गोविंद सिंह जी के लिए थी, जिन्होंने मुगलो को परास्त किया था.
कथा 4 (Amarnath Katha 4)
युगल कबूतर की कहानी
इसके अलावा वहां से एक युगल कबूतर की भी कथा जुड़ी हुई है.
ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव नृत्य कर रहे थे, नृत्य को देखकर उनके गणों में ईर्ष्या की भावना उत्पन्न होने लगी और वह “करूं-करु” की आवाज करने लगे. जब भगवान शिव को यह बात पता चली तो उन्होंने उन दोनों को श्राप दिया कि तुम लोग अनंत काल तक करूं-करूं की आवाज करते रहोगे. ऐसा कहा जाता है कि वो गण कबूतर के रूप में बदल गये और वह आज भी उस गुफा में रहते हैं.
ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ जी की गुफा की यात्रा करते समय जिस किसी को भी इस कबूतर जोड़े के दर्शन हो जाते हैं उनकी यात्रा सफल मानी जाती है.
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