दोस्तों एक साधारण से परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी इतिहास रच सकता है इस बात का उदाहरण है अन्तरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा. जी हाँ हम उन्हीं राकेश शर्मा की बात कर रहे है जिन्होंने भारत की तरफ से अन्तारिक्ष में पहला कदम रखा था. भारत और सोवियत संघ ने मिलकर 2 अप्रैल 1984 को एक संयुक्त अन्तरिक्ष मिशन किया, जिसमे भारत की तरफ से राकेश शर्मा को अन्तरिक्ष की यात्रा करने का मौका मिला.
राकेश शर्मा ने इस अन्तरिक्ष यात्रा के साथ इतिहास के पन्नो में अपना नाम सबसे ऊपर लिख दिया था. राकेश शर्मा इस यात्रा के बाद भारत के पहले और विश्व के वो 138 वें इन्सान बन गए जिसने अन्तरिक्ष की यात्रा की थी और इस मिशन के बाद भारत अन्तरिक्ष में इंसानों को भेजने वाला 14वां देश बन गया.
तो चलिए जानते है राकेश शर्मा के जीवन से जुड़ी उन खास बातों को जिन्हें जानकर आपको कुछ न कुछ जरुर सिखने को मिलेगा. Rakesh Sharma Biography in Hindi
राकेश शर्मा का जन्म और परिवार | Rakesh Sharma family and Biography in Hindi
देश के पहले अन्तरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला जिले में हुआ था. राकेश शर्मा के पिताजी का नाम देवेन्द्र शर्मा एवं माता का नाम तृप्ता शर्मा था. इन्होने अपनी शुरूआती शिक्षा हेदराबाद के “सेंट जॉर्ज ग्रामर” नामक स्कूल से पूरी की. उसके बाद उन्होंने हेदराबाद की ही एक उस्मिया नामक यूनिवर्सिटी से अपना ग्रेजुएशन कम्प्लीट किया.
राकेश बचपन से शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल थे. वे जब भी आसमान की तरफ देखते थे तो एक ही सपना देखते थे कि एक दिन उन्हें भी इस आसमान में उड़ना है, उनके इसी सपने को पूरा करने की वे हमेशा कोशिश करते थे. सन 1966 में जब वे अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी कर रहे थे तभी उनका चयन राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) में हो गया था और फिर उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी.
यदि हम बात करे राकेश शर्मा के पारिवारिक जीवन की तो, राकेश ने अपना विवाह कर्नल PN Sharma की बेटी मधु शर्मा से किया. चूँकि राकेश अपने काम के लिए रूस में रह रहे थे तो दोनों पति पत्नी ने रुसी भाषा भी सीखी. राकेश शर्मा के 2 बच्चे है जिसमे बेटी का नाम कृतिका एवं बेटे का नाम कपिल है, दोनों फिलहाल मीडिया के क्षेत्र में कार्यरत है.
राकेश शर्मा के करियर की शुरुआत | Rakesh Sharma Initial Career
राकेश शर्मा के बारे में उनके परिजन कहते है कि राकेश को बचपन से ही विज्ञान और उनसे बनी चीजों में बड़ी दिलचस्पी होती थी. खासकर वे अपनी रूचि इलेक्ट्रॉनिक से बनी चीजो में दिखाते थे. वे हर उस चीज को ठीक करने की कोशिश करते थे जो बिगड़ी हुई होती थी.
राकेश शर्मा का चयन अपनी स्नातक की पढाई पूरी करते वक्त ही नेशनल डिफेन्स अकादमी (NDA) में हो गया जहाँ उनकी एक कैडेट के तौर पर ट्रेनिंग शुरू हो गयी. राकेश शर्मा का बचपन से एक सपना था कि एक दिन वे भी आसमान में उड़े और इस सपने को पूरा करने की शुरुआत हुई 1970 में जब उन्हें Indain Air Force में एक टेस्ट पायलेट के रूप में चयनित कर लिया गया. राकेश शर्मा ने मात्र 21 वर्ष की उम्र में अपना पहला प्लेन हवा में उड़ाया.
राकेश शर्मा के जीवन में रोमांच तो तब आया जब 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. इस युद्ध में राकेश को “मिग एयर क्राफ्ट” की ज़िम्मेदारी दी गयी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाई. राकेश शर्मा की लगन और मेहनत ही थी जो उस युद्ध में काम आई. उन्होंने मिग एयर क्राफ्ट को हवा में उड़ाकर युद्ध में तहलका मचा दिया उन्होंने सभी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए. उनके इस हिम्मत भरे कारनामे से वे लोगो के बीच चर्चा का विषय बन गए.
राकेश शर्मा ने हमेशा लोगो को सिखाया की विपरीत और मुश्किल समय में कैसे काम किया जाता है इसी मेहनत और लगन की वजह से कुछ ही सालो में वे स्क्वाड्रन लीडर के पद तक पहुँच गए. राकेश शर्मा को 20 सितम्बर 1982 को एक अन्तरिक्ष यात्री के तहत चयनित किया गया. जिसमें उन्हें स्पेस से जुड़े प्रोग्राम में अपना योगदान देने का मोका मिला, जो Indian Space Research Organisation (ISRO) और Soviet Intercosmos Space Program का एक खास संयुक्त प्रोग्राम था.
राकेश शर्मा की अन्तरिक्ष यात्रा | Rakesh Sharma Space Travel
ये बात तब की है जब भारत के अन्तरिक्ष विज्ञान संघठन (ISRO) और सौवियत संघ ने एक संयुक्त ‘इन्टरकॉसमॉस’ मिशन के तहत 2 रुसी और एक भारतीय को अन्तरिक्ष में भेजने का फैसला किया. तब भारत के पास 2 नाम थे एक था राकेश शर्मा और दूसरा रविश मल्होत्रा. इन दोनों को अन्तरिक्ष यात्रा के पहले प्रशिक्षण के लिए सोवियत संघ के देश कजाकिस्तान में स्थित बैंकानुर अन्तरिक्ष स्थल भेज दिया गया.
इस प्रशिक्षण में राकेश शर्मा ने एक अलग काम कर दिखाया जिसमे में हमेशा से माहिर थे, इसीलिए वे इस प्रशिक्षण में अव्वल रहे. इसी वजह से अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए राकेश शर्मा का नाम चयनित कर लिया गया और फिर 2 अप्रैल 1984 को दिन आ ही गया जिसका राकेश के साथ-साथ पूरा देश इंतजार कर रहा था.
इस दिन राकेश शर्मा ने 2 रुसी यात्रियों के साथ अंतरिक्षयान “सोयुज टी-11”(Rakesh Sharma Space Shuttle Name) से अपनी अन्तरिक्ष की उड़ान भरी. ये भारत और राकेश शर्मा के लिए एक ऐतिहासक दिन था. इन तीनो की कामयाब उड़ान के बाद ये संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बनाये ऑर्बिटल स्टेशन सोल्युज-7 में पहुंच गए. राकेश शर्मा ने अन्तरिक्ष में 7 दिन 21 घंटे और कुछ 40 मिनिट बिताए थे, इस दौरान उन्होंने तकनिकी और विज्ञान से जुड़े 33 टेस्ट किये थे.
इस एतिहासिक यात्रा के बाद देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी ने राकेश शर्मा से मुलाकात की, जिसमे उन्होंने राकेश से एक दिलचस्प सवाल किया कि “हमारा देश अन्तरिक्ष से कैसा दिखता है ?” तब राकेश शर्मा ने जवाब में कहा “सारे जहाँ से अच्छा हिदुस्तान हमारा”. जब ये जवाब लोगों तक पहुंचा तो हर भारतीय का सिर गर्व से ऊँचा हो गया.
राकेश शर्मा को मिले सम्मान | Rakesh Sharma Achievements in Hindi
- राकेश शर्मा को अन्तरिक्ष यात्रा से आने के बाद भारत सरकार ने बहादुरी के लिए नवाज़ा जाने वाला सबसे बड़े पुरुस्कार “अशोक चक्र” से सम्मानित किया.
- इसी ऐतिहासिक यात्रा की वजह से सोवियत संघ ने अपनी मित्रता दिखाते हुए राकेश शर्मा को “हीरो ऑफ़ द सोवियत यूनियन” के सम्मान से सम्मानित किया.
- उसके कुछ वर्षो बाद “ऑटोमेटेड वोर्कफलोर” नाम की एक कंपनी ने राकेश शर्मा को अपना चेयरमेन भी बनाया.
राकेश शर्मा के जीवन का संक्षिप्त विवरण | Rakesh Sharma in Brief
1949: | पंजाब के पटियाला जिले में राकेश शर्मा का एक सामान्य गौड़ ब्राहमण परिवार में जन्म हुआ. |
1966: | नेशनल डिफेन्स अकादमी(NDA) में राकेश का चयन हुआ. |
1970: | इंडियन एयर फौर्स में टेस्ट पायलेट के तौर पर चयन. |
1971: | रूस में बनाया गया लड़ाकू विमान “मिकोयाँ गुरेविच” को उड़ाने का गौरव. |
1982: | भारतीय अन्तरिक्ष रिसर्च सेंटर(ISRO) और सोवियत के संयुक्त अभियान में 20 सितम्बर को राकेश शर्मा को चयनित किया गया. |
1984: | अन्तरिक्ष यात्रा करने वाले पहले भारतीय बनने का गोरव हासिल किया. |
1987: | भारतीय वायु सेना के “विंग कमांडर” पद पर नियुक्त किये गए. |
1987: | राकेश शर्मा एक टेस्ट पायलेट के रूप में ‘हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ में काम किया. |
2006: | राकेश शर्मा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बोर्ड मेम्बर के रूप में नामित हुए. |
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