राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रचलित प्रेरक कथन, सुविचार और अमृत वचन | RSS Thoughts,suvichar, amrit vachan in hindi
RSS Amrit Vachan in Hindi
#1 स्वामी विवेकानंद
“लुढ़कते पत्थर में काई नहीं लगती वास्तव में वे धन्य है जो शुरू से ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित का लेते है. जीवन की संध्या होते होते उन्हें बड़ा संतोष मिलता है कि उन्होंने निरूद्देश्य जीवन नहीं जिया तथा लक्ष्य खोजने में अपना समय नहीं गवाया. जीवन उस तीर की तरह होना चाहिए जो लक्ष्य पर सीधा लगता है और निशाना व्यर्थ नहीं जाता.”
#2 महर्षि अरविन्द
जब दरिद्र तुम्हारे साथ हो, तो उनकी सहायता करो. लेकिन अध्ययन करो और यह प्रयास भी करो कि तुम्हारी सहायता पाने के लिए दरिद्र लोग न बचे रहे.
#3 स्वामी विवेकानंद
जिस उद्देश्य एवं लक्ष्य कार्य में परिणत हो जाओ, उसी के लिए प्रयत्न करो. मेरे साहसी महान बच्चों काम में जी जान से लग जाओ अथवा अन्य तुच्छ विषयों के लिए पीछे मत देखो स्वार्थ को बिल्कुल त्याग दो और कार्य करो.
#4 परम पूज्य श्री गुरूजी
छोटी-छोटी बातों को नित्य ध्यान रखें बूंद बूंद मिलकर ही बड़ा जलाशय बनता है. एक एक त्रुटि मिलकर ही बड़ी बड़ी गलतियां होती है, इसलिए शाखाओं में जो शिक्षा मिलती है. उसके किसी भी अंश को नगण्य अथवा कम महत्व का नहीं मानना चाहिए.
#5 परम पूज्य डॉ हेडगेवार जी
अपने हिंदू समाज को बलशाली और संगठित करने के लिए ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जन्म लिया है.
#6 परम पूज्य डॉ हेडगेवार जी
हिंदू जाति का सुख ही मेरा और मेरे कुटुंब का सुख है. हिंदू जाति पर आने वाली विपत्ति हम सभी के लिए महासंकट है और हिंदू जाति का अपमान हम सभी का अपमान है. ऐसी आत्मीयता की वृत्ति हिंदू समाज के रोम-रोम में व्याप्त होनी चाहिए. यही राष्ट्र धर्म का मूल मंत्र है.
#7 (गुरु दक्षिणा के लिए) पंडित दीनदयाल उपाध्याय
जिस राष्ट्रीय प्रतीक को लेकर वेदकाल से आज तक हम स्फूर्ति पाते रहे ,जिसमे सदियों के उत्थान पतन के रोमांचकारी क्षणो की गाथाएँ गुम्फित है, जिसमे त्यागी, तपस्वी, पराकर्मी, दिग्विजयी, ज्ञानी, ऋषि-मुनि, सम्राट, सेनापति, कवी, साहित्यकार, सन्यासी और असंख्य, कर्मयोगी के चरित्रों का स्मरण अंकित है, जहाँ दार्शनिक उपलब्धियों के साथ जीवन होम करने के असंख्य उदाहरण हमारे स्मृति पटल पर नाच उठते है, यह परम पवित्र भगवाध्वज ही हमारी अखंड राष्ट्रिय परम्परा का प्रतिक बनकर हमारे सामने उपस्थित होता है.
#8 परम पूज्य श्री गुरूजी
जिस प्रकार अयोग्य सेनापति द्वारा सेना का कुशल सञ्चालन नहीं हो सकता उसी पकारा कार्यकर्ता अकुशल हो तो शाखाएं ठीक नहीं चल सकती. अतः प्रत्येक कार्यकर्ता को संघ का शिक्षण करना अनिवार्य है. ये वर्ग हमे कठिनाईयों में भी ध्येय का स्मरण रखते हुए संघ कार्य सिखाता है.
#9 स्वामी विवेकानंद जी
जब कभी भारत के सच्चे इतिहास का पता लगाया जायेगा. तब यह संदेश प्रमाणित होगा कि धर्म के समान ही विज्ञान दर्शन संगीत साहित्य गणित ललित कला आदि में भी भारत समग्र संसार का आदि गुरु रहा है.
#10 माननीय भैया जी ढाणी
अपने समाज में मनुष्य बल ,धन बल , बुद्धि बल , सब कुछ था परंतु मैं इस राष्ट्र का घटक हूं तथा इसके लिए मेरा जीवन लगना चाहिए या कर्तव्य भावना व्यक्ति के अंतकरण से स्पष्ट हो जाने के कारण सब प्रकार की शक्ति होते हुए भी हिंदू समाज पराभूत हुआ. इस सोचनीय अवस्था के निदान के रूप में समाज की नस नस में राष्ट्रीयता की उत्कट भावना को भरकर और इस भावना से प्रेरित होकर संपूर्ण समाज अनुशासित एवं संज्जीवित होकर पुनः दिग्विजय राष्ट्र के रूप में खड़ा हो, डॉक्टर जी के इस महामंगल संकल्प का मूर्त रूप है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ.
RSS Suvichar in Hindi
#11 परम पूज्य श्री गुरूजी
हमारे समाज पर हुए निरंतर आघातों के बाद भी हम जीवित हैं. उसका मूल कारण हमारी समाज रचना ही है , जो आज भी विश्व को शांति का मार्ग बताने में समर्थ है. युद्ध ना हो विश्व में शांति हो सब लोग सुखी हो परस्पर वैमनस्य ना हो यह हमारी संस्कृति की कल्पना है. सर्वे भवंतु सुखिना हमारे पूर्वजों ने ही कहा और उसे आचरण में भी उतार कर दिखाया। हमारे में अभी भी मनुष्य को विकसित करने का सामर्थ्य है आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक के अंतः करण में इसकी विशिष्टता का साक्षात्कार हो
#12 परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार
हम लोगों को हमेशा सोचना चाहिए कि जिस कार्य को करने का हमने प्रण किया है , और जो उद्देश्य हमारे सामने हैं , उसे प्राप्त करने के लिए हम जितना कार्य कर रहे हैं , जिस गति से एवं जिस प्रमाण से हम अपने कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं क्या वह गति और प्रमाण हमारी कार्य सिद्धि के लिए पर्याप्त है.
#13 परम पूज्य श्री गुरूजी
अच्छे व देशभक्त व्यक्ति का निर्माण ही सर्वश्रेष्ठ रचनात्मक कार्य है , और इसका माध्यम है दैनिक शाखा शाखा के नियमपूर्वक चलने वाले कार्यक्रम का संस्कार मन पर पड़ता है और धीरे-धीरे वह स्वभाव बन जाता है. ठीक ठीक कार्यक्रम करने से उत्साह , पौरूष , निर्भयता , अनुशासन , अखंड रूप से कार्य करने की प्रवृत्ति इत्यादि गुण स्वभाव के अंग बन जाते हैं। विश्व का इतिहास इस बात का साक्षी है कि बड़े से बड़ा काम साधारण से दिखने वालों ने ही किए हैं
#14 परम पूज्य रज्जू भैया
यह राष्ट्र हजारों वर्षों से हिंदू राष्ट्र है , हिंदू बनाना है नहीं है , स्थापित नहीं करना है , इसकी घोषणा भी नहीं करनी है , अपितु हिंदू राष्ट्र का सर्वांगीण विकास करना है। हिंदू अभी सुप्त अवस्था में है थक गया है , जब यह जागेगा तो ऐसी प्रदीप्त और तेजस्विता लेकर जागेगा की सारी दुनिया इसकी कर्मठता से प्रकाशित हो जाएगी।
#15 प. पू. गुरूजी
सम्पूर्ण व शक्तिशाली हिन्दू समाज यही हम सबका एकमात्र श्रद्धास्थान होना चाहिए.
जाति, भाषा, प्रान्त, पक्ष ऐसी सभी विचारो को समाज भक्ति के बीच में नहीं आने देना चाहिए.
#16 प. पू. गुरूजी
अखंड श्रद्धा और दृढ़ संकल्प यही जिनकी एकमात्र शक्ति होती है,
ऐसे सामान्य मनुष्यों से ही देश के महान कार्य हुवे हैं
#17 प. पू. गुरूजी
महानता के लिए छोटी छोटी बातों को आयोजित
करना पड़ता है. महान व्यक्तित्व एक ही दिन में
तैयार नहीं होते, वे तो चुपचाप धीरे धीरे क्रमवार
रीती से बढते हैं और त्याग प्रेम और आदर्श उनके
व्यक्तित्व को महान बनाते हैं
#18 स्वामी विवेकानंद
हम हिन्दू चाहे जिस नाम से पुकारे जाते हो, कुछ सामान विचार सूत्रों से बंधे हुवे हैं, अब वह समय आ गया है कि अपने तथा अपने हिन्दू जाति के कल्याण के लिए अपने आपस के झगड़ो एवं मतभेदों को त्यागकर हम एक हो जाएँ
#19 प.पू. डॉ. हेडगेवार
आसेतु हिमाचल तक फैला हुआ हिन्दू समाज हमें संघठित करना है, संघ केवल स्वयंसेवको तक ही सीमित नहीं है, संघ बाहर के लोगो के लिए भी है. राष्ट्रोद्धार का सही मार्ग लोगों को दिखाना ही हमारा कर्तव्य है.
#20 स्वामी विवेकानन्द
जब कोई मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे, तब समझ लेना उसका अंत हो गया. मैं यद्धपि हिन्दू जाति का नगण्यघटक हूँ, किन्तु मुझे अपनी धर्म पर गर्व है, अपने पूर्वजों पर गर्व है. मैं स्वयं को हिन्दू कहने में गर्व का अनुभव करता हूँ.
RSS Thoughts in Hindi
#21 स्वामी विवेकानन्द
लोग जीते – जी ही मुर्दे हो रहे हैं। हमारे देश के लिए इस समय आवश्यकता है, लोहे कि तरह ठोस मांस पेशियां और मजबूत स्नायु वाले शरीरों की. आवशयकता है इस तरह इच्छा – शक्ति सम्पन्न होने की, ताकि कोई भी उसका प्रतिरोध करने में समर्थ न हो.
#22 स्वामी विवेकानन्द
भारत में हमारे विकास पथ में दो बड़ी बाधाएं है, सनातन परम्पराओं की कमजोरियाँ और यूरोपीय सभ्यता की बुराइयाँ. मैं दोनों में से सनातन परम्पराओं की कमजोरियाँ अपनाना पसंद करूँगा.
#23 स्वामी विवेकानन्द
एक लक्ष्य निर्धारित कीजिये, उस लक्ष्य को ही अपना जीवन बनाइये. उस पर हमेशा विचार कीजिये, उसको पूरा करने का ही स्वप्न देखिये. उस लक्ष्य के लिए ही जियें और अन्य सभी बातों को छोड़ दें. सफलता का यही मार्ग है.
#24 स्वामी विवेकानन्द
आगामी पचास वर्षों में हमारा केवल एक ही विचार केन्द्र होगा और वह है, हमारी महान मातृ-भूमि भारत. हमारा भारत, हमारा राष्ट्र केवल यही हमारा देवता है. वह अब जाग रहा है, हर जगह जिस के हाथ हैं, हर जगह पैर हैं, हर जगह कान हैं, जो सब वस्तुओं में व्याप्त है. इस महान देवता की पूजा में सब देवों की पूजा है.
#25 स्वामी विवेकानन्द
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों का सामंजस्य कर सकें, वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है.
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अति उत्तम अमृत वचन है मैंने पिछले 5 सालों से संघ से जुड़ा हुआ हूं मुझे संघ की कार्यशैली बहुत ही अच्छे लगते हैं
संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है। इस विषय पर अमृत वचन चाहिए
Sangh hi mera jivan ka aadhar hai
अच्छा संकलन है।