समाचार पत्र पर निबंध (इतिहास, आवश्कयता, महत्व, भूमिका, उपयोगिता और लाभ)| Samachar Patra Essay (Requirement, History, Importance, Role and Benefits) in Hindi
जिज्ञासा मानव की स्वाभाविक प्रवृति हैं क्योंकि अन्य प्राणियों की अपेक्षा मानव में चिंतन मनन की सर्वाधिक शक्ति है. उसकी ज्ञान की प्यास कभी नहीं बुझती हैं. जितना ज्ञान बढ़ता जाता है उसके ज्ञान की प्यास भी बढ़ती जाती है. साहित्य ही मानव जीवन के मस्तिष्क की प्यास बुझा सकता है. दृष्टि से देश-विदेश के राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक परिवर्तन को जानने का एक ही साधन समाचार पत्र हैं. वर्तमान युग में कोई भी राष्ट्र समाचार पत्रों के बिना जीवित नहीं रह सकता हैं. समाचार पत्र ही मानव मन की जिज्ञासा को शांत करने का सबसे सरल एवं सशक्त साधन है.
समाचार पत्रों का इतिहास और प्राचीन स्वरूप (Newspaper History)
समाचारों का आदान-प्रदान तो पुरातन काल से चला आ रहा है. प्रारंभिक समय में यह कार्य संदेशवाहकों के माध्यम से किया जाता था. ऐसे समाचार व्यक्तिगत संदेश के रूप में भेजे जाते थे. दुनिया के सबसे पहले समाचार पत्र का जन्म इटली में हुआ था. इसी के फलस्वरूप ब्रिटेन में भी समाचार पत्रों का प्रकाशन प्रारंभ हो गया. भारत में समाचार पत्र का जन्म मुगल शासनकाल में ही हुआ. इसी काल में “अखबारात-ई-मुअल्ले” नामक समाचार पत्र का उल्लेख मिलता है. हिंदी में उदंत मार्तंड नामक प्रथम समाचार पत्र वर्ष 1824 में प्रकाशित हुआ.
समाचार पत्रों की आवश्यकता (Newspaper Requirement)
आवश्यकता आविष्कार की जननी है. समाचार पत्रों का जन्म भी आवश्यकता का ही परिणाम है. मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है. मानव की जिज्ञासा को शांत करने के लिए समाचार पत्रों का जन्म हुआ वैज्ञानिक प्रगति के कारण समस्त संसार एक परिवार में बदल गया है. देश विदेश की घटनाओं का मानव जीवन पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है इसलिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक मनुष्य देश विदेश के समाचारों से परिचित रहे. समाचार पत्र इस आवश्यकता को पूरा करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे अनेक व्यक्ति मिल जाएंगे जिनके लिए समाचार पत्र भोजन से अधिक महत्वपूर्ण है, अतः आज की परिस्थितियों में समाचार पत्र को युग की आवश्यकता ही कहा जा सकता है.
आधुनिक समाचार पत्र केवल घटनाओं तथा समाचारों का विवरण मात्र नहीं रह गए हैं. वे अब अनेक रूपों में प्रकाशित हो रहे हैं. साहित्यिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा खेलकूद संबंधी विविध प्रकार के समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे है इन सभी समाचार पत्रों का अपना एक विशिष्ट स्थान है.
जन जागरण का सशक्त माध्यम (Newspaper as a Medium)
नेपोलियन ने कहा था “मैं लाखों विरोधियों की अपेक्षा तीन विरोधी समाचार पत्रों से अधिक भयभीत रहता हूं. इस उक्ति से समाचार पत्रों की शक्ति का ज्ञान होता है. समाचार पत्र लोकतंत्र का पहरेदार है. इसी के माध्यम से लोग अपनी इच्छा, विरोध और आलोचनाओं को प्रकट करते हैं. समाचार पत्र एक ओर जनमत को वाणी देते हैं तथा दूसरी ओर वे जनमत भी तैयार करते हैं.
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भारतीय समाचार पत्रों के भेद (Newspaper Types)
प्रकाशन की समयावधि के आधार पर ही समाचार पत्रों के प्रकारों का निर्धारण किया जाता है जैसे दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक. ये सभी समाचार-पत्र अनेक उपखंडो में विभक्त होते हैं जैसे आर्थिक, सामाजिक, राजनितिक, धार्मिक, साहित्यिक, नैतिक, सांस्कृतिक, ज्योतिष, खेल-कूद और मनोरंजन प्रधान किन्तु वर्तमान समय में एक ही समाचार पत्र में अलग-अलग स्तम्भ देकर सम्पूर्ण जानकारी को एक साथ संकलित किया जाता हैं.
समाचार पत्रों की उपयोगिता (Utility of Newspaper)
प्रत्येक व्यक्ति समाचार पत्रों के माध्यम से अपनी अभिरुचि के अनुसार सामग्री प्राप्त करता हैं. संसार के नवीनतम परिवर्तन की सूचना हमें समाचार पत्रों के माध्यम से भी मिलती हैं. भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में समाचार पत्रों ने राष्ट्रीय चेतना का कार्य किया. समाचार पत्रों में विज्ञापन, रोजगार, विवाह, शैक्षिक तथा व्यावसायिक क्षेत्रों से सम्बंधित होते हैं. खेल-कूद, समीक्षा, रोजगार के अवसर आदि अनेक ज्ञानवर्धक कॉलम हैं. समाचार पत्रों के सुझाव, सम्पति, आलोचनाएँ हमारे भविष्य के कार्यक्रमों का निर्धारण करती हैं. इस प्रकार समाचार-पत्र सर्वागीण विकास का प्रमुख माध्यम हैं. वास्तव में समाचार-पत्र जनता के लिए विश्वविद्यालय हैं.
समाचार पत्रों के अनुचित प्रयोग की हानियाँ (Newspaper Misuse)
जब प्रकाशक तथा सम्पादक अपने पत्र के प्रचार एवं प्रसार हेतु अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हैं तथा भ्रमित और राष्ट्रविरोधी समाचार प्रकाशित करते हैं. तो इससे राष्ट्रीय और सांप्रदायिक एकता को आघात पहुँचता हैं. कुछ समाचार पत्र तो विज्ञापनों के साथ अश्लील चित्रों को छापकर सामाजिक विचारों को दूषित करते हैं जबकि समाचार-पत्रों का मूल उद्देश्य मानव कल्याण होना चाहिए.
समाचार पत्रों का उत्तरदायित्व तथा भविष्य (Newspaper Role and Future)
समाचार पत्र हमारे समाज के निर्माता हैं किन्तु उनसे उत्पन्न हानियाँ हमारे लिए चुनौती बन गयी हैं. अतः समाचार पत्रों के प्रकाशकों और संपादकों का दायित्व हैं कि वे व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़कर राष्ट्रहित को सर्वोपरि माने. अश्लील, भ्रष्ट तथा समाज विरोधी समाचारों पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए तथा समाचार-पत्रों के लिए अलग से आचार सहिंता होनी चाहिए.
उपसंहार (Conclusion)
भारतवर्ष में समाचार पत्रों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है क्योंकि हमारा देश विकास की युवावस्था में है. अतः हमारे समाचार पत्रों में जनहित की सामग्री का होना नितांत आवश्यक है. इनका उद्देश्य मानव जीवन में नव चेतना का संचार करना होना चाहिए. समाचार पत्रों को देश के विकास में योगदान देना चाहिए. समाचार पत्र की शक्ति को अनुभव करते हुए एक कवि ने कहा था.
जब तोप मुकाबिल हो, झट से अखबार निकालो.