हड़प्पा सभ्यता का इतिहास, खोज, धर्म, नगरीय प्रणाली और अंत | Harappan Civilization History, Discovery, Religion and End of civilization in Hindi
हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) सिन्धु घाटी की मुख्य सभ्यताओं में से एक हैं. इस सभ्यता का प्रभाव काल 3300-1300 ई.सा. माना जाता हैं. यह सभ्यता 2600-1300 ईसा पूर्व अपने चरम शिखर पर थी. हड़प्पा सभ्यता का मुख्य प्रभाव उत्तर पश्चिम एशिया में दिखाई देता हैं जो कि अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अंतर्गत आता हैं.
हड़प्पा सभ्यता की खोज (Harappan Civilization Discovery)
यह सभ्यता प्राचीन मिस्त्र और मेसोपोटामिया से साथ दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता में से एक हैं. हड़प्पा सभ्यता के अवशेष पंजाब के मांटेगोमेरी जिले, पाकिस्तान में प्राप्त हुए थे. यह साहिवाल शहर से 20 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. इस स्थल का नाम हड़प्पा होने के कारण इसे हड़प्पा सभ्यता नाम से पुकारा जाने लगा. उस काल में सिन्धु सभ्यता के इस शहर का असल नाम क्या था यह आज तक रहस्य हैं.
इस सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी ने की थी. दयाराम साहनी के अलावा माधव स्वरुप और मार्तिमर विहलर ने इस जगह खुदाई का काम पुरातत्व विभाग की ओर से शुरू करवाया था. हड़प्पा सभ्यता को सरस्वती संस्कृति के नाम से भी जाना जाता हैं. क्योंकि यह सभ्यता जिस घग्गर-हकरा नदी के सबसे नजदीक हैं. उसे पुरातन साहित्य में सरस्वती नदी भी माना जाता हैं.
हड़प्पा सभ्यता का इतिहास (Harappan Civilization History)
सिन्धु घाटी सभ्यता के दो मुख्य शहर हड़प्पा और मोहनजोदरो उद्गम 2600 ईसा पूर्व सिन्धु नहीं के करीब पंजाब और सिंध इलाके में माना जाता हैं. यह वह सभ्यता थी जिसमे एक कुशल नगरीय प्रणाली थी. इस सभ्यता में लोग लिखकर सवांद करने में परिपक्व हो चुके थे. लोगों के घरों में नालियाँ और शौचालय की व्यवस्था आज के ही युग की तरह विकसित थी. इस सभ्यता की साल 1921 में खोज होने के बाद हिमालय से लेकर पंजाब तक इस सभ्यता से ताल्लुक रखती सैकड़ों जगह की खोज हो चुकी हैं.
हड़प्पा सभ्यता का एक बड़ा भाग 1857 में जब नष्ट हो गया जब लाहौर को मुल्तान से जोड़ने वाली रेल लाइन पर काम किया गया. इस दौरान हड़प्पा सभ्यता में इस्तेमाल की गयी ईटों को रेल लाइन बनाने के चलते तबाह कर दिया गया.
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हड़प्पा सभ्यता की नगरीय प्रणाली (Harappan Civilization)
इस सभ्यता की नगरीय प्रणाली हर इतिहासकार को हड़प्पा सभ्यता के बारे में और जानने के लिए आकर्षित करती हैं. हड़प्पा में लोगों का जीवन काफी शांतिपूर्ण और सुखद था. अवशेष को देखकर यही लगता हैं कि इस सभ्यता के लोग ईटों से बने मकानों में रहा करते थे. जिसकी चौड़ाई 15 फुट और लम्बाई 90 के आस-पास हुआ करती थी. इस नगर को काफी सुनियोजित तरह से बनाया गया था. सड़क के दोनों ओर घर हुआ करते थे. अनाज का भण्डार रखने से एक अलग भवन तैयार किया जाता था.
गढ़ (Citadel)
हड़प्पा सभ्यता की नगरीय प्रणाली से जुडी एक खास बात यह हैं कि इस नगर में मकान बनाने के लिए भट्टों में बनी ईटों का इस्तेमाल होता हैं. नगर की मुख्य इमारतों जैसे भण्डारण, मुख्य किला (जहाँ सभी प्रशासनिक कार्य किये जाते थे.) को गढ़ के रूप में नगर से अलग और बेहद ही सुरक्षित जगह पर बनाया जाता था. जिससे गढ़ में आक्रमण के समय या सिन्धु नदी में बाढ़ आने के समय अनाज और दस्तावेजों को सुरक्षित रखा जा सके. यह पूरी संरचना का आकार 1400 फीट लम्बा, 600 फीट चौड़ा और 40 फीट की ऊँचाई का था और यह गढ़ 45 फीट मोटी दीवारों से सुरक्षित बनाया जाता था.
स्नानागार (Great Bath)
हड़प्पा सभ्यता के गढ़ों की एक और खास बात यहाँ पर मौजूद विशाल स्नानागार था. जिसे अंग्रेजी में “द ग्रेट बाथ” कहा जाता हैं. इस स्नानागार की चौड़ाई 1.88 मीटर, लम्बाई 7.01 मीटर और गहराई 2.43 मीटर थी. यह संरचना भी ईटों से बनाई गयी थी. इस स्नानागार में दो भाग थे एक भाग में जल का संग्रहण करके समय समय पर स्नानागार में छोड़ा जाता था. दुसरे भाग से इस्तेमाल किये जा चुके जल को सिन्धु नदी में बहा दिया जाता था. इस विशाल स्नानागार के पास कई छोटे छोटे कमरे भी बनाये गए थे. जिनका इस्तेमाल कपडे बदलने के लिए किया जाता होगा.
हड़प्पा सभ्यता की आर्थिक स्थिति (Harappan Civilization Economy)
हड़प्पा सिन्धु सभ्यता का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण शहर था. यह आर्थिक दृष्टि से काफी संपन्न था. यहाँ पर आसपास के लोग ही नहीं अपितु यहाँ पर दूर दूर से व्यापारी अपना सामान बेचने और खरीदने आया करते थे. उस काल में मुद्रा की खोज नहीं हुई थी इसीलिए व्यापार के लिए लोग वस्तु विनिमय का सहारा लिया करते थे.
हड़प्पा सभ्यता सामाजिक रूप से तेजी से बढ़ रही सभ्यता थी. व्यापार और अर्थव्यवस्था की सफलता ही वजह थी जिसके कारण यहाँ व्यापार में स्टाम्प सील का इस्तेमाल किया जाता था. इसका आकार 1-2 वर्ग इंच का होता था. इस पर हाथी, हिरण, रेनोसौर का निशान बना होता था.
व्यापार के लिए बैल गाड़ियों और नावों का इस्तेमाल किया जाता था. यही उस समय परिवहन का मुख्य स्त्रोत था.
हड़प्पा सभ्यता की भाषा (Harappan Civilization Language)
हड़प्पा सभ्यता की भाषा काफी उन्नत थी. इस सभ्यता की भाषा उर्दू की तरह दायें से बाएँ की और लिखी जाती थी. यह भाषा आज की तरह अल्फ़ानुमेरिक नहीं थी. इस भाषा में वर्ण की जगह चिन्हों का प्रयोग किया जाता था. इस भाषा में लगभग 400 से 600 चिन्हों का प्रयोग किया जाता था.
हड़प्पा सभ्यता का क्षेत्र (Harappan Civilization Area)
हड़प्पा सभ्यता सिन्धु घाटी सभ्यता का ही एक भाग था. यह सभ्यता सिन्धु नदी के किनारे पर बसी और फैली थी. इस सभ्यता के पास मोहनजोदरो और मेहगढ़ ऐसे स्थान थे जो कि हड़प्पा की तरह विकसित थे. और इनका भी पतन हड़प्पा सभ्यता के साथ हो गया था.
हड़प्पा सभ्यता में धर्म (Harappan Civilization Religion)
हड़प्पा सभ्यता में पक्की मिट्टी से बनी स्त्री मूर्तिकायों की कई कलाकृति मिली हैं. एक मूर्ति में स्त्री के गर्भ में एक पौधा दिखाया गया हैं. इतिहासकारों के अनुसार यह धरती की मूर्ति हैं. इससे यह भी पता चलता हैं कि इस सभ्यता के लोग कृषि की ओर जागरूक थे. हड़प्पा सभ्यता को लोग हिन्दू धर्म से भी जोड़कर देखते हैं क्योंकि हिन्दू धर्मं में भी देवियों की मूर्ति पूजा होती रही हैं.
हिन्दू धर्मं से जोड़ने के इतिहासकारों का एक मत यह भी हैं कि आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत काल का युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ था. लगभग इसी काल में सिंधुघाटी की सभ्यता अपने चरम पर थी. महाभारत में भी कई बार प्राचीन सिन्धु सभ्यता का नाम आया हैं. महाभारत में इस जगह को सिन्धु देश कहते थे. इस सिन्धु देश का राजा जयद्रथ था.
हड़प्पा सभ्यता में पहनावा (Dressings in Harappan Civilization)
इस सभ्यता में लोग सूती और ऊनी कपडे पहनना पसंद करते थे. महिलाओं में आभूषणों की काफी लोकप्रियता थी. हड़प्पा की खुदाई में ऐसे कई आभूषण मिले हैं जो इस बात का इशारा करते हैं कि इस सभ्यता में सोने और चांदी से बने आभूषण चलन में थे. मोहनजोदरो में जो स्त्री (dancing Lady) की मूर्ति मिली हैं उस पर भी गहनों की झलक देखी जा सकती हैं. आमतौर पर लोग पहनावे में दो वस्त्रों का प्रयोग करते थे. जोकि शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से को ढ़कने में मदद करता था.
हड़प्पा सभ्यता का अंत (End of Harappan Civilization)
1600 ई.सा. तक हड़प्पा सभ्यता का पतन हो चुका था. इस सभ्यता का अंत कैसे हुआ इस पर भी कई इतिहासकारों के बीच द्वन्द हैं. इस द्वन्द का मुख्य कारण यह हैं कि हड़प्पा सभ्यता की भाषा को अभी तक समझा नहीं जा सका हैं. इसीलिए इतिहासकार इसके पतन के कारण की केवल कल्पना ही कर सकते हैं. लेकिन एक कारण ऐसा हैं जिस पर अधिकांश इतिहासकार एकमत नजर आते हैं. हड़प्पा सभ्यता सिन्धु नदी व इसकी सहनदी के आसपास बसी थी. ऐसे माना जाता हैं कि सिन्धु नदी में ऐसी बाढ़ आई होगी जिससे लोगों को यह स्थान छोड़कर पलायन करना पड़ा होगा. बाढ़ के अलावा कुछ इतिहासकार यहाँ पर आग लग जाना, महामारी, बाहरी आक्रमण का भी कारण व्यक्त करते हैं.
हड़प्पा सभ्यता के अंत होने के साथ-साथ यहाँ के लोग पूर्व की और रुख करने लग गए थे. जिससे हिमालय के इलाकों में नई सभ्यता ने जन्म लिया.
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