अरुण गोविल की जीवनी | Arun Govil Biography In Hindi : ये कहानी है एक ऐसे अभिनेता की जिसकी शक्ल देखकर श्रद्धा का भाव मन में खुद ब खुद उत्पन्न हो जाता है. आज भी इनके गुजरे वक्त की तस्वीर जब सामने आती है, यक़ीनन भक्ति से मन भाव विभोर हो जाता है. जी हां दोस्तों, हम बात कर रहे है अरुण गोयल की जिन्हें अधिकतर भगवान श्री राम के किरदार से ही याद किया जाता है.
एक्टर, प्रोड्यूसर अरुण गोविल साहब का जन्म 12 जनवरी 1958 में मेरठ, उत्तरप्रदेश में हुआ था. अरुण गोविल साहब ने अपनी स्नातक(ग्रेजुएशन) की पढ़ाई साइंस(BSc) में उत्तरप्रदेश के मेरठ शहर से ही पूरी की. अरुण को एक्टिंग का शोक बचपन से था, वे अपने स्कूल के एनुअल फंक्शन में या कॉलेज के किसी भी नाटक-ड्रामा में कोई न कोई किरदार जरुर निभाते थे.
उस वक्त तक अरुण गोविल साहब एक्टिंग को कभी पेशे या प्रोफेशन की तरह नही देखते थे, वे सिर्फ शोक से एक्टिंग किया करते थे. जब अरुण ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली तब वे मुंबई चले आए, अपने भाई के व्यापार में काम करने के लिए. गोविल साहब का मन भाई के व्यापर में ज्यादा दिन नहीं लगा, शोक तो था ही एक्टिंग का, तो बस इन्होने सोच लिया क्यों न एक्टिंग के मैदान में अपने हाथ अजमाया जाए, और उसी सोच ने अरुण गोविल का पहला कदम इंडस्ट्री की तरफ बढ़ाया.
Arun Govil Biography, Age, Family, wife, Cast, Wiki in Hindi
नाम (Name) | अरुण गोविल (Arun Govil) |
पिता (Father) | चन्द्रप्रकाश गोविल ( Chandra Prakash Govil ) |
पत्नी (Wife) | श्रीलेखा (Srilekha Govil) |
पेशा (Profession) | Actor, Producer |
अरुण गोविल (Family) | माता-पिता, पत्नी, 5 भाई, 2 बहनें, 2 बच्चे (एक बेटा और एक बेटी) |
सबसे प्रसिद्ध किरदार | ‘श्री राम’ ( सीरियल – रामायण ( 1987-88 ) ) |
जाति (Cast, Religion) | हिन्दू |
Arun Govil movies and tv shows | विक्रम और बेताल, विश्वामित्र, बुद्धा आदि. |
अरुण गोविल के पिता जी श्री चन्द्रप्रकाश गोविल मेरठ में पेशे से सरकारी इंजीनियर है. अरुण गोविल साहब के 7 भाई बहन है, जिसमे 5 भाई और 2 बहने शामिल है. इनके एक बड़े भाई, विजय गोविल ने तबस्सुम से शादी की थी. तबस्सुम भूतपूर्व भारतीय अभिनेत्री व दूरदर्शन पर सबसे लम्बे चलने वाले टॉक शो “फूल खिले है गुलशन गुलशन” की होस्ट रह चुकी है.
अरुण साहब की शादी डिज़ाइनर और फिल्म अभिनेत्री श्रीलेखा गोविल से हुई. अरुण, श्रीलेखा से तब मिले थे जब श्रीलेखा अपने एक्टिंग करियर से पहले टेक्सटाइल डिज़ाइनर थी. अरुण अपनी सफलता और अचीवमेंट का श्रेय अपनी पत्नी की बेहतरीन डिग्री को देते है.
श्रीलेखा और अरुण के 2 बच्चे है, बेटा अमाल गोविल और बेटी सोनिका गोविल. इनका बेटा मुंबई में बैंकर का काम करता है, और बेटी सोनिका बोस्टन, USA में रहती है जो वहां हल्ट इंटरनेशनल बिज़नस स्कूल में पढ़ाई करती है.
अरुण गोविल साहब का फ़िल्मी करियर | Arun Govil Acting Career
युवा अवस्था मे मुंबई आने के बाद, भाई के व्यापार मे कुछ खास रुचि नहीं दिखाई और सोचा कि अपनी खुद की पहचान बनाई जाए, इसलिए उन्होंने ऐक्टिंग की तरफ रुख किया. अरुण गोविल साहब को ऐक्टिंग करियर मे पहला ब्रेक मिलने मे पूरे 2 साल लग गए. आखिरकार 1977 मे पहली बार फिल्म पहेली मे अरुण को कास्ट किया गया. इस फिल्म मे अरुण ने एक सपोर्टिंग ऐक्टर के तौर पर काम किया.
फिल्म “पहेली” की प्रोडक्शन कंपनी राज श्री प्रोडक्शन, अरुण गोविल साहब के काम से बहुत इम्प्रेस हुई और बाद मे उन्हे 3 नई फिल्मों मे लीड रोल देकर साइन किया. इनमे ‘सावन को आने दो(1979)’, राधा और सीता(1979), और ‘साँच को आंच नहीं(1979)’ फिल्म शामिल है.
इन तीनों फिल्मों मे से एक फिल्म ‘सावन को आने दो’ बॉक्सऑफिस पर दमदार हिट साबित हुई. इस फिल्म के संगीत को भी भारतीयों ने खूब पसंद किया. उसके बाद अरुण गोविल दिखाई दिए 1981 में कनक मिश्रा की डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘जियो तो ऐसे जिओ’, जो उस साल की 30 वीं सबसे बड़ी हिट थी. उसके बाद अरुण ने बहुत साडी हिंदी फिल्मो में काम किया.
अरुण गोविल ने हिंदी, भोजपुरी ब्रजभाषा उड़िया तेलगु में भी काम किया है. इन्होने छोटे पर्दे पर अपना डेब्यू रामानंद सागर के प्रशस्त सीरियल “विक्रम और बेताल” से किया. इस सीरियल में उन्होंने प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य का किरदार निभाया.
अरुण गोविल की रामायण में राम के किरदार मिलने की कहानी | Arun Govil In Ramayan
जब अरुण गोविल की पहली फिल्म सुपरहिट हुई तब किसीने नहीं सोचा था कि अरुण गोविल कभी श्री राम का किरदार निभाएँगे और सदा-सदा के लिए अमर हो जाएँगे. रामायण(1987-88) सीरियल वर्ल्ड का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला पौराणिक सीरियल था.
बात तब की है जब रामानंद सागर रामायण बनाने की सोच रहे थे, और ये बात अरुण गोविल को पता चली, तो वे खुद रामानंद सागर के पास गये और कहा मुझे इस सीरियल में राम का किरदार निभाना है. तब अरुण का ऑडिशन हुआ और उन्हें भरत या लक्ष्मण के किरदार के लिए चुना गया, इन्होने ने इनकार कर दिया. अरुण गोविल साहब ने मन बना लिया था कि, ‘करूँगा तो राम का किरदार ही’, और आखिरकार इतना मुश्किल किरदार उन्होंने बड़ी सरलता से निभा लिया.
यही से शुरू हुआ उनके करियर में माइलस्टोन बनाने का सफ़र. इस सीरियल से स्टारडम हासिल किया और उन्हें अपट्रॉन अवार्ड से सम्मानित किया गया, उन्हें रामायण सीरियल के लिए 1989 में “बेस्ट एक्टर इन अ लीडिंग रोल” अवार्ड से सम्मानित किया गया. इस तरह शांति के साथ भगवान राम का रोल निभाते हुए, उन्होंने एक शानदार प्रदर्शन की मिसाल कायम की.
इस किरदार के बाद कोई भी अरुण गोविल को फिल्मो में साईन करने के लिए तैयार नही था. प्रोड्यूसर कहते “आपकी इतनी मजबूत इमेज बन चुकी है कि उसके साथ हम किसी हिरोइन को कैसे जोड़ सकते है. कैसे दिखा सकते है किआप रोमांस कर रहे है, पेड़ो के पीछे भाग रहे है, लड़कियों से बाते आर रहे है”, और तब अरुण गोविल साहब ने खुद ही ठान लिया कि उन्हें खुद ही कुछ करना होगा.
अरुण गोविल साहब ने एक्टिंग तो जारी रखी, बतौर प्रड्यूसर ये मैदान में उतर गये जिसका नाम है अरुण गोविल प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड. उसके बाद कुछ सीरियल बनाएं और अलग-अलग पौराणिक सीरियल का हिस्सा बने रहे.
बहुत सारे लोग बहुत किरदार निभाते है बहुत सी फिल्मो में काम करते है, फिर भी गुमनामी के अँधेरे में खो जाते है अरुण गोविल साहब का एक किरदार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुआ, और उसी ने इन्हें दी एक अमर पहचान.
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Arun Govil ki cast kya h
जल्द ही हम ये जानकारी अपडेट करेंगे, धन्यवाद
,सनातन भारतीय