मौर्य वंश के सम्राट अशोक (तीसरा मौर्य शासक) की जीवनी | Maurya Emperor Ashoka Biography in Hindi | Ashoka Ki Jivani
अशोक मौर्य साम्राज्य के तीसरे शासक और बिन्दुसार के पुत्र थे. अशोक को मौर्य इतिहास का सबसे क्रूर शासक माना जाता हैं. सत्ता की लालसा में उसने पुरे भारतवर्ष में अपना शासन फैला लिया था. अशोक के इसी लोभ में जब उसने कलिंग पर आक्रमण किया तो युद्ध के बाद हुई विभत्सा को देख उसका हृदयपरिवर्तन हो गया.
कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्मं ग्रहण कर लिया. जिसके बाद उसने अहिंसा और धर्मं के प्रचार पर ध्यान केन्द्रित किया. क्रूर शासक से एक धार्मिक और अहिंसक शासक के रूप में परिवर्तित होने के कारण उसे सम्राट की उपाधि दी जाती हैं.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
नाम(Name) | सम्राट अशोक |
जन्म (Birth) | 304 ईसा पूर्व |
पिता (Father Name) | बिन्दुसार |
उत्तराधिकारी (Successor) | दशरथ मौर्य |
पत्नी (Wife Name) | देवी |
धर्मं(Religion) | बौद्ध |
मृत्यु (Death) | 239 ईसा पूर्व (उम्र- 62 साल) |
अशोक की जीवनी (Ashoka Biography)
सम्राट अशोक के अन्य नाम देवानाम्प्रिय एवं प्रियदर्शी थे. इनका जन्म पाटलिपुत्र में 304 ईसा पूर्व में हुआ था. चक्रवर्ती सम्राट अशोक चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते एवं बिन्दुसार के पुत्र थे. इनकी माता का नाम था सुभाद्रंगी इन्होने छोटी उम्र में ही राज गद्दी संभल ली थी.
माना जाता है कि अशोक का राज्य भारत के सभी राजाओ में सबसे बड़ा था. आज तक भारत का कोई भी राजा इतने बड़े क्षेत्र में राज्य नहीं कर पाया. भारत में चक्रवर्ती सम्राट का नाम सिर्फ अशोक को ही मिला है अन्य कोई भी राजा को ये सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ. चक्रवर्ती सम्राट का अर्थ सम्राटो के सम्राट होता है. अशोक को सभी राजाओ और सम्राटो में सबसे ऊपर रखा जाता है. मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज किया है. उन्होंने उत्तर में हिन्दूकुश से लेकर दक्षिण में मैसूर तक और पूरब के बंगाल से लेकर पश्चिम के अफ़ग़ानिस्तान ईरान तक अपना राज्य फैला रखा था.
सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का संपूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यान्मार में स्थापित था. यह साम्राज्य तब से लेकर अभी तक का सबसे बड़ा साम्राज्य था. उसको अपने बड़े साम्राज्य के अलावा अपने राज्य में शासन करने में निपुणता एवं बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है.
सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध धर्म धर्म का प्रचार किया उसके समय के स्तंभ एवं उन पर लिखे हुए वाक्य और चित्र आज भी हमें भारत के कई शहरो में और वहाँ की ऐतिहासिक धरोहर में देखने को मिलते है इसीलिए सम्राट अशोक के बारे में जानकारी बहुत ही आसानी से मिल जाती है.
सम्राट अशोक अपने सरल जीवन शैली एवं शांत स्वभाव का परचम हर जगह लहराते थे. उन्हें प्रेम संवेदना अहिंसा और शाकाहारी जीवन प्रणाली के लिए महान माना गया है. उन्हें भारत के सभी राजाओं में सबसे परोपकारी सम्राट मन गया है व उन्हें परोपकारी सम्राट की उपहादी दी गई है.
अपने जीवन काल को आगे ले जाते हुए सम्राट अशोक बौद्ध धर्म एवं भगवान गौतम बुद्ध की मानवतावादी शिक्षा से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म को अपना कर उसका प्रचार प्रसार किया. उन्ही की स्मृति में उन्होंने उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल – लुम्बिनी – में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैंड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते है.
अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया. अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे. सम्राट अशोक के ही समय में 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे. इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे.
ये विश्वविद्यालय उस समय के उत्कृट विश्वविद्यालय थे जिसमे लाखों छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए शिक्षा ग्रहण की नालंदा और तक्षशिला अपने समय की सबसे बड़े बहुत बढ़िया विश्वविद्यालय थे शिला लेख शुरू करने वाले अशोक पहले सम्राट थे.
अशोक बिन्दुसार एवं रानी धर्मे के पुत्र थे बिन्दुसार की धर्मं के अलावा 16 पत्नियां और थी बिन्दुसार के अशोक सम्राट के अलावा 100 पुत्र और थे जिनमे सबसे बड़े थे सुसीम. उनके बाद थे सम्राट अशोक और उनके बाद थे तीश्य सिर्फ ये तीन भाई ही है बिन्दुसार के बेटे जिनके बारे में इतिहास में चर्चा की गई है. अशोक के सम्राट बनने का कारण था उनकी माँ द्वारा देखा गया स्वप्न जिसके बारे में बिन्दुसार को पता चलते ही राजा बिन्दुसार ने धर्मा को रानी बनाया और अशोक को कम उम्र में ही सम्राट बनना पड़ा.
अशोक के बारे में कहा जाता है कि वो बचपन से सैन्य गतिविधियों में प्रवीण था. दो हज़ार वर्षों के पश्चात्, सम्राट अशोक का प्रभाव एशिया मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप में देखा जा सकता है.
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र सम्राट अशोक को ही देख कर संविधान में लाये गए है. बौद्ध धर्म के इतिहास में भगवान गौतम बुद्ध के बाद सम्राट अशोक को सर्वोपरि रखा गया है.
अशोक का ज्येष्ठ भाई सुशीम उस समय तक्षशिला का प्रान्तपाल था. तक्षशिला विश्वविद्यालय में भारत-यूनानी मूल के बहुत लोग रहते थे. इससे वह क्षेत्र विद्रोह के लिए सही जगह थी सुशीम का शासन कमज़ोर था तो बिन्दुसार ने सुशीम को बुलाकर अशोका को तक्षशिला में भेजना चाहा उपद्रवियों को पता लगते ही की अशोक आ रहा है.
उन्होंने बिना किसी युद्ध के उपद्रव ख़त्म कर दिया लेकिन एक बार फिर से विरोध शुरू हुआ अशोक के कार्यकाल में पर उस समय अशोक एक मज़बूत राजा होने और सेना होने के कारन उस विरोध को कुचल दिया गया था.
अशोक की इस प्रसिद्धि से उसके भाई सुशीम को सिंहासन न मिलने का खतरा बढ़ गया. उसने सम्राट बिंदुसार को कहकर अशोक को निर्वास में डाल दिया. अशोक कलिंग चला गया. वहाँ उसे मत्स्यकुमारी कौर्वकी से प्यार हो गया. हाल में मिले साक्ष्यों के अनुसार बाद में अशोक ने उसे तीसरी या दूसरी रानी बनाया था.
इसी बीच उज्जैन में विद्रोह हो गया. अशोक को सम्राट बिन्दुसार ने निर्वासन से बुला विद्रोह को दबाने के लिए भेज दिया. हालाकि उसके सेनापतियों ने विद्रोह को दबा दिया पर उसकी पहचान गुप्त ही रखी गई क्योंकि मौर्यों द्वारा फैलाए गए गुप्तचर जाल से उसके बारे में पता चलने के बाद उसके भाई सुशीम द्वारा उसे मरवाए जाने का भय था.
वह बौद्ध सन्यासियों के साथ रहा था. इसी दौरान उसे बौद्ध विधि-विधानों तथा शिक्षाओं का पता चला था. यहाँ पर एक सुन्दरी, जिसका नाम देवी था, उससे अशोक को प्रेम हो गया. स्वस्थ होने के बाद अशोक ने उससे विवाह कर लिया.
कुछ वर्षों के बाद सुशीम से तंग आ चुके लोगों ने अशोक को राजसिंहासन हथिया लेने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि सम्राट बिन्दुसार वृद्ध तथा रुग्ण हो चले थे. जब वह आश्रम में थे तब उनको खबर मिली की उनकी माँ को उनके सौतेले भाईयों ने मार डाला, तब उन्होने महल में जाकर अपने सारे सौतेले भाईयों की हत्या कर दी और सम्राट बने.
सम्राट ने अपने कार्यकाल में सातवे वर्ष में ही कलिंग पर हमला हुआ था. आन्तरिक अशान्ति से निपटने के बाद 231 ई. पू. में उनका विधिवत् राज्याभिषेक हुआ. तेरहवें शिलालेख के अनुसार कलिंग युद्ध में 1लाख 50 हजार व्यक्ति बन्दी बनाकर निर्वासित कर दिए गये, 1 लाख लोगों की हत्या कर दी गयी. सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपनी आँखों से देखा. इससे द्रवित होकर सम्राट अशोक ने शान्ति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार किया.
बौद्ध धर्म का प्रचार करने सम्राट अशोक अफ़ग़ानिस्तान, यूनान, श्रीलंका, सरिया, मिस्र, नेपाल भी गए लगभग सालो अखंड भारत पर शासन करने के बाद उन्होंने अपना सम्राट का पद त्याग दिया और चले गए बौद्ध धर्म का प्रचार करने 239 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु का होना माना जाता है. उसके कई संतान तथा पत्नियां थीं पर उनके बारे में अधिक पता नहीं है. उसके पुत्र महेन्द्र तथा पुत्री संघमित्रा ने बौद्ध धर्म के प्रचार में योगदान दिया. अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य राजवंश लगभग 50 वर्षों तक चला.
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बहुत ही अच्छी जानकारी सम्राट अशोक के बारे में