भारतीय निर्देशक बासु चटर्जी का जीवन परिचय, परिवार (पिता, पत्नी और बच्चे) और करियर
Basu Chatterjee Biography, Family (Father, Wife, Children), Death, Career, awards, Facts in Hindi
बासु चटर्जी एक भारतीय फिल्म निर्देशक और महान पटकथा लेखक थे. भारतीय सिनेमा के सबसे विपुल पटकथा लेखकों और निर्देशकों में से एक, बासु चटर्जी ने हिंदी फिल्म उद्योग को लगातार कुछ सच्ची कहानियों का उपहार में दिया है. हालाँकि, उनकी असली प्रतिभा शायद इस बात में निहित थी कि वे मध्य-वर्ग और शहरी भारत को हल्के-फुल्के और यथार्थवादी अंदाज मे पेश करने में हमेशा कामयाब रहते थे. तो चलिए जानते है उनके जीवन की कुछ खास बातें ..
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एक महान भारतीय निर्देशक बासु चटर्जी | Basu Chatterjee Biography In Hindi
बासु चटर्जी जन्म 10 जनवरी 1930 को राजस्थान के अजमेर (भारत) में हुआ था. चटर्जी ने अपने करियर की शुरुआत बतौर इलस्ट्रेटर और कार्टूनिस्ट साप्ताहिक टैब्लॉइड के साथ की, ब्लिट्ज बॉम्बे में प्रकाशित हुई. उन्होंने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत 1966 में तीसरी कसम से की थी. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों का निर्देशन किया है, जिनमें गुड्डू, एक रुका हुआ फैसाला, किरायदार जैसे लोकप्रिय फिल्में शामिल हैं.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | बासु चटर्जी |
जन्म (Birth) | 10 जनवरी 1930 |
मृत्यु (Death) | 4 जून 2020 |
पेशा (Profession) | फिल्म निर्देशक |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पिता का नाम (Father Name) | ज्ञात नहीं |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
मूल निवास स्थान (Home Town) | मुंबई, महाराष्ट्र |
वर्तमान स्थान (Current City) | मुंबई |
शिक्षा (Education) | ज्ञात नहीं |
उम्र (Age) | 93 वर्ष |
मृत्यु स्थान (Death Place) | मुंबई |
भाई-बहन(Siblings) | ज्ञात नहीं |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
अवॉर्ड (Award) | फ़िल्मफ़ेयर |
बासु चटर्जी का फिल्मी करियर | Basu Chatterjee Career
चटर्जी ने अपने करियर की शुरुआत बॉम्बे (अब मुंबई) में प्रकाशित साप्ताहिक टैब्लॉइड ब्लिट्ज के साथ एक रोस्टर और कार्टूनिस्ट के रूप में की, जिसे रुस्तम खुरशेदजी करंजिया ने शुरू किया था. यहां चटर्जी साहब ने 18 साल तक काम किया. इसी दौरान उन्हे एक बार उन्हे राज कपूर और वहीदा रहमान की फिल्म ‘तेरी कसम’ (1966) में निर्देशक बासु भट्टाचार्य की सहायता करने का मौका मिला और उस फिल्म ने बाद में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता. तब से उन्होंने फिल्म निर्देशक बनने का फैसला किया और आखिरकार, उन्होंने 1969 में ‘सारा आकाश’ जैसी फिल्म के साथ उन्होंने अपने निर्देशन की शुरुआत की.
बासु चटर्जी की फ़िल्में शहरी क्षेत्र के अक्सर मध्यम वर्गीय परिवारों की हल्की-फुल्की कहानियों से जुड़ी होती हैं, जिसमें वैवाहिक और प्रेम संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. 1970 से 1980 के दशक के दौरान, वह मध्यम सिनेमा या मध्य सिनेमा के नाम से जाने जाने वाले सिनेमा से जुड़े हुए थे.
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उन्होंने अपनी कई साधारण फिल्मों में बड़े सितारों का भी निर्देशन किया, लेकिन इन अभिनेताओं को इससे पहले ऐसी भूमिकाओं मे कभी देखा गया नहीं था. उन्होंने फिल्म ‘शौकीन’ में मिथुन चक्रवर्ती को रति अग्निहोत्री के साथ, फिर से मिथुन चक्रवर्ती को मूनमून से साथ फिल्म ‘शीशा’ में, विनोद मेहरा के साथ मौसमी चटर्जी फिल्म ‘उस पार’ में , जीतेंद्र ने नीतू सिंह के साथ फिल्म ‘प्रियतमा’ में, देव आनंद ने टीना मुनीम के साथ फिल्म ‘मन पसंद’ में, राजेश खन्ना को नीतू सिंह के साथ फिल्म चक्रव्यूह (1978 फ़िल्म) में, धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी के साथ ‘दिल्लगी’ में और अमिताभ बच्चन ‘मंज़िल’ में, का निर्देशन किया. उनमें से, अमिताभ बच्चन के साथ मंजिल और राजेश खन्ना के साथ चक्रव्यूह (1978 फिल्म) केवल ये दो बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन उनकी रिलीज के समय समीक्षकों द्वारा प्रशंसित किया गया था. उन्होंने अपने करियर मे कई बंगाली फिल्मों का भी निर्देशन किया है.
चटर्जी साहब ने दूरदर्शन के लिए टीवी सीरीज ‘ब्योमकेश बक्शी’ और लोकप्रिय ‘रजनी’ का भी निर्देशन किया, जो दोनों सफल टीवी धारावाहिक थे. वह 1977 में 10 वें मास्को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में जूरी के सदस्य भी रहे है. चटर्जी एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन के इंटरनेशनल फिल्म एंड टेलीविजन क्लब के सदस्य भी रह चुके हैं. उन्होंने फरवरी 2011 में काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल मुंबई के एक हिस्से के रूप में अपनी पूर्वव्यापी भूमिका निभाई थी.
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उनकी फिल्मोग्राफी में समाज की नैतिकता और सामाजिक रीति-रिवाजों झलक साफ दिखती है. हालांकि, जिन फिल्मों के लिए चटर्जी साहब को सबसे ज्यादा याद किया जाता है, वह ‘फील-गुड’ क्लासिक्स फिल्म हैं, जिन्होंने कॉमेडी के लिए फिल्मी उद्योग की धारणा को बदलकर और ये अपने आप में पूर्ण मनोरंजन भी बन गया.
उन्हें अपनी फ़िल्मों में, उस पार, छोटी सी बात (1975), चितचोर (1976), रजनीगंधा (1974), पिया का घर (1972), खट्टा मीठा, चक्रव्यूह (1978 फ़िल्म), बातों बातों में (1979), प्रियतम (1977), मन पसंद, हमारी बहू अलका, शौकीन (1982), और चमेली की शादी (1986) के लिए जाना जाता है. यह उनकी अंतिम व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मे थी.
बासु चटर्जी की मृत्यु | Basu Chatterjee Death
बासु साहब ने 4 जून 2020 को 93 वर्ष की आयु में सांताक्रूज स्थित अपने घर पर नींद में ही अपनी अंतिम सांस ली. उनकी मृत्यु की वजह उम्र संबंधी बीमारियाँ बताई गई . उन्होंने हिंदी फिल्म उद्योग को कुछ खूबसूरत कहानियों का तोहफा दिया है जो मध्यम वर्ग और शहरी भारत के बारे में हमें रूबरू कराती है, जिनके लिए उन्हे आज तक याद किया जाता है.
बासु चटर्जी को मिले सम्मान | Basu Chatterjee Awards
- 1972 में, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले अवार्ड.
- 1975 में, सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड.
- 1976 में, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले अवार्ड.
- 1978 में, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक अवार्ड.
- 1980 में, सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड.
- 1991 में, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले अवार्ड.
- 1992 में, परिवार कल्याण पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड.
- 2007 में, IIFA लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड.
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