कवि गोपाल सिंह नेपाली का जीवन परिचय, जन्म, रचनाएँ, कविताएँ
Gopal Singh Nepali (Poet) Biography, Family, Poems, Books In Hindi In Hindi
गोपाल सिंह नेपाली हिंदी एवं नेपाली के प्रसिद्ध कवि थे. वे उत्तर छायावाद के प्रमुख कवि रहे है. इनकी कविताएं एवं गीत तत्कालीन समय मे जनता में अत्यंत लोकप्रिय हुए. इनकी रचनाएँ देश-प्रेम से लेकर मानवीय संवेदनाओं की उन सूक्ष्म अनुभूतियों को अभिव्यक्ति करती हैं जो हर मनुष्य के जीवन में और जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं. गोपाल सिंह नेपाली ने कई हिंदी फिल्मों में लगभग 400 गाने लिखे. उन्होंने हिंदी फिल्म जगत में निर्माता और निर्देशन का भी कार्य किया. नेपाली बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वे एक पत्रकार भी थे. उन्होंने पत्रिकाओं का संपादन किया. कवि के रूप में उन्होंने सन् 1962 के चीन युद्ध के समय उन्होने कई देशभक्तिपूर्ण गीत एवं कविताएं लिखीं जिनमें ‘सावन’, ‘कल्पना’, ‘नीलिमा’, ‘नवीन कल्पना करो’ आदि बहुत प्रसिद्ध हुई.
कवि गोपाल सिंह नेपाली का जीवन परिचय | Gopal Singh Nepali (Poet) Biography In Hindi
गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त 1911 में बिहार के पश्चिमी चम्पारन के बेतिया गांव में हुआ. उनका मूल नाम गोपाल बहादुर सिंह था. इनके पिता श्री रेलबहादुर सिंह हवलदार मेजर थे. गोपाल सिंह की शिक्षा प्रवेशिका तक ही सीमित रही. मैट्रिक तक कि शिक्षा प्राप्त नही कर पाने के कारण इन्होंने बेतिया राज के पुस्तकालय में बैठकर अपना साहित्य अध्ययन किया. इन्हें बचपन से ही काव्य में रूचि रही है. बचपन मे ये कई बार अपनी बातों को काव्य के रूप में व्यक्त करते थे. कुछ समय बाद गोपाल सिंह का विवाह हुआ. इनकी पत्नी नेपाल के राजपुरोहित के परिवार से थीं.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | गोपाल बहादुर सिंह ‘नेपाली’ |
उपनाम | ‘नेपाली’ |
जन्म (Date of Birth) | 11 अगस्त 1911 |
आयु | 52 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | बेतिया, पश्चिमी चंपारण, बिहार |
पिता का नाम (Father Name) | रेलबहादुर सिंह |
माता का नाम (Mother Name) | वीणा रानी नेपाली |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | लेखक, कवि, गीतकार एवं पत्रकार |
बच्चे (Children) | ज्ञात नहीं |
मृत्यु (Death) | 17 अप्रेल 1963 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | —- |
अवार्ड (Award) | विशिष्ट सेवा पदक |
गोपाल सिंह नेपाली का कार्यक्षेत्र
गोपाल सिंह नेपाली को बचपन से साहित्य से प्रेम था. कविता लेखन करते हुए मात्र 22 वर्ष की आयु में 1933 में उनका पहला कविता संग्रह ‘उमंग’ प्रकाशित हुआ. इसके दो साल बाद दूसरा काव्य संग्रह ‘पंछी’ प्रकाशित हुआ. फिर ‘रागिनी’, ‘नीलिमा’, ‘पंचमी’ और ‘नवीन’ प्रकाशित हुए. नेपाली ने पत्रकार के रूप में सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के साथ ‘सुध’ मासिक पत्र में और बाद में ‘रतलाम टाइम्स’, ‘पुण्य भूमि’ तथा ‘योगी’ के संपादकीय विभाग में काम किया. कुछ समय बाद इन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखना शुरू किए. नेपाली ने करीब चार दर्जन फिल्मो में 400 गीत (गाने) लिखे.
उन्होंने ‘हिमालय फिल्म्स’ और ‘नेपाली पिक्चर्स’ की स्थापना की थी. निर्माता-निर्देशक के तौर पर नेपाली ने तीन फीचर फिल्मों-‘नजराना’, ‘सनसनी’ और ‘खुशबू’ का निर्माण भी किया. इसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध में उन्होंने जेहलूम में पंजाब रेजिमेंटल सेंटर के एक प्रशिक्षक के रूप में कार्य किया. तथा फरवरी 1942 में, उन्हें हवलदार (सार्जेंट) में पदोन्नत किया गया. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन्हें ब्रिटिश राष्ट्रमंडल व्यवसाय दल के हिस्से में जापान भेजा गया, जहां उन्होंने सितंबर 1947 तक सेवा की.
गोपाल सिंह नेपाली का साहित्यिक जीवन
गोपाल सिंह नेपाली हिंदी के छायावादोत्तर काल के कवियों में महत्वपूर्ण स्थान रखते है. उन्होंने अपनी कविताओं और गीतों में देश-प्रेम, प्रकृति-प्रेम तथा मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण किया है. उन्हें “गीतों का राजकुमार” कहा जाता था. काव्य एवं गीत के रूप में इन्होंने ‘पंछी’ ‘रागिनी’ ‘पंचमी’ ‘नवीन’ और ‘हिमालय ने पुकारा’ नामक काव्य और गीत संग्रह की रचना की. नेपाली अपने काव्य एवं गीतों में श्रृंगार व प्रणव से श्रोताओं और पाठकों का मन मोह लेते थे. इसके साथ ही उन्होंने अपनी कलम के द्वारा राष्ट्र प्रेम के गीतों से युवाओ में देशभक्ति के भावो का भरपूर संचार किया. 1944 के बाद वे हिंदी फिल्मो में गीत लिखने लगे. फिल्मो में उनके गीत अत्यंत लोकप्रिय हुए. गोपाल सिंह नेपाली ने 1962 में भारत-चीन युध्द के समय अनेक देशभक्ति की कविताएँ भी लिखीं.
गोपाल सिंह नेपाली की रचनाएं
- उमंग
- रागिनी
- नीलिमा
- पंछी
- पंचमी
- सावन
- ऑंचल
- नवीन कल्पना करो
- रिमझिम
- वसंत गीत
- हमारी राष्ट्रवाणी
- हिमालय ने पुकारा
- भारत गगन के जगमग सितारे
गोपाल सिंह नेपाली के प्रसिद्ध गीत की कुछ पंक्तियां:-
अपनेपन का मतवाला था भीड़ों में भी मैं
खो न सका
चाहे जिस दल में मिल जाऊँ इतना सस्ता
मैं हो न सकादेखा जग ने टोपी बदली
तो मन बदला, महिमा बदली
पर ध्वजा बदलने से न यहाँ
मन-मंदिर की प्रतिमा बदलीमेरे नयनों का श्याम रंग जीवन भर कोई
धो न सका
चाहे जिस दल में मिल जाऊँ इतना सस्ता
मैं हो न सकाहड़ताल, जुलूस, सभा, भाषण
चल दिए तमाशे बन-बनके
पलकों की शीतल छाया में
मैं पुनः चला मन का बन केजो चाहा करता चला सदा प्रस्तावों को मैं
ढो न सका
चाहे जिस दल में मैं जाऊँ इतना सस्ता
मैं हो न सका.
स्वतंत्रता के बाद नेपाली की प्रसिद्ध कविता ‘नवीन कल्पना करो‘ की पंक्तियां:-
निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए
तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो,
तुम कल्पना करो.
अब देश है स्वतंत्र, मेदिनी स्वतंत्र है
मधुमास है स्वतंत्र, चाँदनी स्वतंत्र है
हर दीप है स्वतंत्र, रोशनी स्वतंत्र है
अब शक्ति की ज्वलंत दामिनी स्वतंत्र है
लेकर अनंत शक्तियाँ सद्य समृद्धि की-
तुम कामना करो, किशोर कामना करो,
तुम कल्पना करो.
मृत्यु (Gopal Singh Nepali Death)
17 अप्रेल 1963 में मात्र 52 वर्ष की उम्र में भागलपुर रेलवे स्टेशन पर पलेट फार्म नम्बर 2 पर गोपाल सिंह नेपाली का देहांत हो गया. हिंदी साहित्य उनकी कविताओं एवं लोकप्रिय गीतों से सदैव सुसज्जित रहेगा.
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