कवि इंद्र बहादुर खरे का जीवन परिचय, जन्म, रचनाएँ, कविताएँ
Indra Bahadur Khare (Poet) Biography, Birth, Death, Family, Poems, Books, Rachnaye In Hindi
इंद्र बहादुर खरे हिंदी साहित्यकार, लेखक, कवि एवं प्रोफेसर रहे हैं. इन्होंने कई कविताएं, कहानियां, गीत, उपन्यास आदि की रचनाएं की. इनके द्वारा रचित ‘भोर के गीत’ उनकी प्रसिद्ध कृति है. इन्होंने आकाशवाणी में गीतकार के रूप में भी कार्य किया. इनके द्वारा लिखी गई रचनाओं एवं पुस्तकों को भारत के विभिन्न कॉलेजो के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. इन्होंने कम उम्र में ही प्रसिद्ध कवि हरिशंकर परसाई के साथ मिलकर हरिशंकर परसाई और इंद्र बहादुर खरे के संयुक्त प्रकाशन के तहत ‘हरिंद्र’ के रूप में एक संयुक्त प्रकाशन का नेतृत्व किया. इनके द्वारा लिखित साहित्य पर वर्तमान में विश्वविद्यालयो में कई शोध भी किए जा रहे है.
कवि इंद्र बहादुर खरे का जीवन परिचय | Indra Bahadur Khare (Poet) Biography In Hindi
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | इंद्र बहादुर खरे |
जन्म (Date of Birth) | 16 दिसम्बर 1922 |
आयु | 30 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | गाडरवारा गांव, नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | ज्ञात नहीं |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम (Wife Name) | विद्यावती खरे |
पेशा (Occupation ) | कवि, लेखक, उपन्यासकार, प्रोफेसर |
बच्चे (Children) | अमिय रंजन खरे, खंजन खरे, डॉ.मलाया रंजन खरे |
मृत्यु (Death) | 13 अप्रैल 1953 |
प्रारंभिक शिक्षा एवं परिवार | Indra Bahadur Khare Family
इंद्र बहादुर खरे का जन्म 16 दिसम्बर 1922 को गाडरवारा गांव , नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश के एक कायस्थ परिवार में हुआ. इनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण शुरुआती जीवन मे इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. इन्होने अपनी प्राथमिक शिक्षा सोहागपुर, कटनी (मध्य प्रदेश), मध्य शिक्षा महोबा (उत्तर प्रदेश) और उच्चतर माध्यमिक किशोरी रमन विद्यालय मथुरा (उत्तर प्रदेश) में प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया. यहां उन्होंने श्याम सुंदर छात्रावास में रहकर बी.ए. पढ़ाई शुरू की. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे आगे की पढ़ाई नही कर पाए. अपनी पढ़ाई पूरी करने हेतु वे जबलपुर जाकर वहां छोटी नौकरी करने लगे. जिससे पैसे इकट्ठे होने के बाद उन्होंने वहां हितकारिणी सिटी कॉलेज में पढ़ाई की और बी.ए. की पढ़ाई पूरा की. इंद्र बहादुर ने 1946 में विद्यापति श्रीवास्तव से विवाह किया, जो एक स्कूल शिक्षिका थी.
कार्यक्षेत्र:-
इंद्र बहादुर खरे ने 18 वर्ष की आयु में अपनी पहली पुस्तक ‘भोर के गीत’ लिखी. उन्होंने 1946 में सरकारी मॉडल स्कूल, जबलपुर में 10 महीने पढ़ाया. यहां पर उन्हें साथी शिक्षक और साहित्य मित्र हरिशंकर परसाई का सानिध्य प्राप्त हुआ. दोनों ने साथ मिलकर हरिंद्र नाम से संयुक्त साहित्य प्रकाशन किया. इसके बाद उन्होंने 1947 से 1952 तक महाराष्ट्र में नागपुर के आकाशवाणी में एक स्वीकृत गीतकार और काहानिकार के रूप में काम किया. इस दौरान 1948 में वे साथी लेखक डॉ प्रसिद्ध राम कुमार वर्मा के संपर्क में आये और उन्होंने संयुक्त रूप से एक पत्रिका ‘प्रकाश’ का सम्पादन किया. यह पत्रिका नागपुर के केंद्रीय प्रांत की सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा उत्पादित बरार क्षेत्र के लिये प्रकाशित की गई.
इंद्र बहादुर खरे की रचनाएं
कविता संग्रह–
- भोर के गीत
- जीवन पथ के राही
- सुरबाला
- विजन ले फूल
- रजनी के पाल
- हेमू कालानी
कहानी संग्रह–
- आरती के दीप
- सपनो की नगरी
- आजाद के पहिले आजाद
उपन्यास–
- काशमीर
- जीवन पथ के राही
- मेरे जीवन नहीं
- लख होली
इंद्र बहादुर खरे की कविता की कुछ पंक्तियां:-
सो गए है गान!
मत जागना, अभी आया है किसी का ध्यान!
छंद में कर बन्द
प्रिय को बहुत रोका,
दे ना पाया पर स्वंय
को हाथ धोया,
नयन को वाणी मिली, पर स्वर हुए पाषाण!
रात आयी नशा. लेकर,
चाँद निकला,
याद हो आया सभी,
सम्वाद पिछला,
बदल करवट जाग बैठे, फिर सभी अभिमान!
पाठ्यक्रम में शामिल इंद्र बहादुर खरे का साहित्य
इंद्र बहादुर खरे द्वारा लिखित अनेक अमूल्य पुस्तकों को देश के विश्विद्यालयो के पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है. वर्ष 2009 में उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘भोर के गीत’ को पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय , रायपुर में एम.ए. के लिए शैक्षणिक पाठ्यक्रम में एक भाग के रूप में शामिल किया गया. इसी पुस्तक को वर्ष 2003 में सेंट अलॉयसियस कॉलेज, जबलपुर में हिंदी साहित्य में बी.ए. के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में जोड़ा गया. इसके अतिरिक्त उनकी बहुत सी रचनाओं को नागपुर, इंदौर, ग्वालियर, आगरा, रांची, भोपाल, जबलपुर , कोलकाता, शांति निकेतन, सागर, रीवा और सर्गुजा के विश्विद्यालयो ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया हैं.
विश्विद्यालयो के खरे पर शोध कार्य
इंद्र बहादुर खरे ने हिंदी साहित्य में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है. उनके साहित्यिक योगदान पर देश के विश्विद्यालयो में छात्रों द्वारा शोध किए गए है और कुछ शोध किए जा रहे है. जैसे 1993 से 1999 के बीच रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय , जबलपुर की एम.एस. की छात्रा सुश्री भावना शर्मा ने हिंदी लेखिका डॉ. सुषमा दुबे के मार्गदर्शन में खरे के साहित्य पर शोध किया. इसी क्रम में 2015 में मुंबई, विश्वविद्यालय के छात्र श्री राम प्रवेश यादव ने एम.फिल. के लिए शोध किया. वर्ष 2020 में संस्क्रुत विश्वविद्यालय, हरिद्वार से रेखा शर्मा ने खरे के साहित्य पर पी.एच. डी. की.
मृत्यु | Indra Bahadur Khare Death
हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान देते हुए केवल 30 वर्ष की आयु में 15 अप्रैल 1953 को प्रयाग, उत्तरप्रदेश में इंद्र बहादुर खरे की मृत्यु हो गई.
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