Jaishankar Prasad Ka Jeevan Parichay आज हम आपको हिंदी साहित्य के ऐसे कवि के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. जिनके बिना हिंदी साहित्य अधूरा ही रहेगा. हम बात कर रहे हैं छायावादी युग के महान लेखक जयशंकर प्रसाद की. आज भी स्कूलों और कॉलेज में जयशंकर प्रसाद की लिखी हुई कविताये पढाई जाती हैं.
जयशंकर प्रसाद की जीवनी (JAISHANKAR PRASAD BIOGRAPHY HINDI)
जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार प्रमुख कवियों (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानन्दन पन्त, महादेवी वर्मा) में से एक थे. द्रिवेदी युग के बाद छायावाद युग की शुरूआत हुयी थी. जो कि वर्ष 1918 से 1936 तक माना जाता हैं. जयशंकर प्रसाद सबसे प्रमुख थे.
हिंदी भाषा में कड़ी भाषा के जनक भारतेंदु के बाद जयशंकर प्रसाद ही ऐसे कवि थे जिन्होंने अपने नाटकों से युग परिवर्तन कर दिया था.
तब लोग बड़े चाव से जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गयी कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास पढने का शौक रखते थे.
जयशंकर प्रसाद का जन्म (Jaishankar Prasad Birth and Family)
जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1890 को काशी (वर्तमान वाराणसी) के सरायगोवर्धन में हुआ था. उनके पिता का नाम बाबू देवीप्रसाद जी था.
उनका जन्म काशी के प्रतिष्टित वैश्य परिवार में हुआ था. उनके दादाजी बाबू शिवरतन दान देने की वजह से पूरे काशी में जाने जाते थे.
उनके पिता बाबू देवीप्रसाद कलाकारों का आदर करने के लिये विख्यात थे. उनके पिता इत्र, ज़र्दा और खुश्बू के प्रसिद्ध व्यापारी थे.
सैकड़ों लोग उनके पिता के साथ काम किया करते थे. उन सभी के पालन पोषण की जिम्मेदारी भी उनके पिता की थी.
कम उम्र में ही जयशंकर प्रसाद को बड़ी बड़ी पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ा था.
8 साल की उम्र में माँ और 10 साल की उम्र में पिता का का स्वर्गवास हो गया था.
किशोरावस्था तक पहुँचते पहुँचते इनके बड़े भाई का भी देहवासन हो गया था. जिसका उन्होंने दृढ़तापूर्वक सामना किया.
जयशंकर प्रसाद की शिक्षा (Jaishakar Prasad Education Hindi)
जयशंकर प्रसाद ने अपने जीवन की प्रारम्भिक शिक्षा काशी के क्वीन्स कॉलेज से की. प्रतिष्टित परिवार से होने की वजह से यह घर में ही रहकर पढाई करते थे.
दीनबंधु ब्रह्मचारी ने इन्हें संस्कृत, हिंदी, उर्दू, तथा फारसी भाषा का ज्ञान दिया. घर का बचपन से माहौल होने की वजह से उनका साहित्य की और प्रेम बढाता चला गया.
जयशंकर प्रसाद का जीवन संघर्ष (Jaishankar Prasad Life Story)
बेहद ही कम उम्र ने घर के सभी बड़ों की मृत्यु हो जाने के बाद उनके रिश्तेदारों ने व्यापार का बागडोर अपने हाथों में ले ली.
लेकिन कोई भी व्यापार को संभल नहीं पाया और धीरे-धीरे पूरा व्यापार चौपट हो गया. 1930 आते-आते जयशंकर प्रसाद पर 1 लाख रूपए का कर्ज हो गया था.
जिसके बाद व्यापार में उन्होंने कड़ी मेहनत और परिश्रम करके अपने हालात पुनः अच्छे किये और अपने साहित्य की और अग्रसर हो गए.
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जयशंकर प्रसाद का वैवाहिक जीवन (Jaishankar Prasad Married Life Hindi)
जयशंकर प्रसाद के वैवाहिक जीवन में भी काफी संघर्ष थे. 1906 में बड़े भाई की मृत्यु हो जाने के बाद उनकी भाभी ने विंध्यवाटिनी से उनका विवाह करवाया.
वर्ष 1916 में विंध्यवाटिनी भी टीबी की बीमारी के चलते चल बसी. जिसके बाद उन्होंने अकेले रहने का मन बना लिया.
लेकिन भाभी की जिद के चलते उनका दूसरा विवाह कमला देवी से करवाया गया.
जिससे उनको वर्ष 1922 में पुत्ररत्न की प्राप्ति हुयी. उन्होने पुत्र का नाम रत्नशंकर रखा.
जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ (Jaishankar Prasad Books)
जयशंकर प्रसाद के काव्य (Jaishankar Prasad Poems Hindi)
कानन कुसुम, महाराणा का महत्त्व, झरना, लहर, कामायनी, प्रेम-पथिक, करुणालय, आंसू
जयशंकर प्रसाद का कहानी संग्रह (Jaishankar Prasad Kahaniya)
छाया, आकाशदीप, अंधी, इंद्रजाल, प्रतिध्वनी
जयशंकर प्रसाद के उपन्यास (Jaishankar Prasad Upanyas)
कंकाल, तितली, इरावती
जयशंकर प्रसाद के नाटक (Jaishankar Prasad Novels)
सज्जन, प्रायश्चित, राज्यश्री, कल्याणी परिणय, कामना, जन्मेजय का नागयज्ञ, विशाख, स्कंदगुप्त, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, एक घूंट
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु (Jaishankar Prasad Death)
1936 को हिंदी साहित्य के महान लेखक जयशंकर प्रसाद को टीबी की बीमारी ने घेर लिया. जिसके बाद वह कमजोर होते चले गए.
इस दौरान उन्होंने अपने जीवन की सबसे मशहूर रचना “कामायनी” को लिखा. जो कि हिंदी साहित्य की अमर कृति मानी जाती हैं.
कामायनी (Kamayani) में जीवन से जुड़े हर भाव दुःख, सुख, वैराग सभी शामिल थे. जो कि मानवता की हर अनुभूति महसूस करवाती हैं.
15 नवम्बर 1937 की सुबह सुबह जयशंकर प्रसाद ने अपनी आखरी सांसे ली और दुनिया को अलविदा कह दिया.
जीवन के अंतिम क्षण में भी वह अपनी एक रचना “इरावती” (Iravati) पर काम कर रहे थे. जो कभी पूरी ना हो सकी.
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sundar aapka pryas srahniye he kafi madad milti hai