कवि काका हाथरसी का जीवन परिचय
Kaka Hathrasi Biography, Poems, Rachnaye, Books, Awards, Death, Kavita, Wiki, Story In Hindi
काका हाथरसी भारत के एक प्रसिद्ध हास्य कवि थे. उन्हें हिंदी हास्य कविताओं का ज्ञाता माना जाता था. वे अपनी हास्य कवितओं के माध्यम से लाखों लोगों का मनोरंजन किया करते थे. काका हाथरसी की शैली की छाप उनके परिवार की पीढ़ी पर तो पड़ी ही साथ ही वर्तमान के कई लेखल और व्यंग्य कवि काका हाथरसी जी की रचनाओं की शैली को अपनाकर आज भी लाखों पाठ्कों का मनोरंजन कर रहे हैं.
काका हाथरसी का जीवन परिचय | Kaka Hathrasi Biography In Hindi
हिंदी हास्य के जाने – माने हाथरसी कवि का जन्म 18 सितम्बर सन 1906 ई. में हाथरस में हुआ था. काका हाथरसी का असली नाम ‘प्रभूलाल गर्ग’ था, उन्हें बचपन में नाटकों का किरदार निभाने का बहुत शौक़ था. एक नाटक में इन्होंने ‘काका’ का किरदार निभाया, बस तभी से ही प्रभूलाल गर्ग ‘काका’ नाम से प्रसिद्ध हो गए. इनके पिताजी का नाम शिवलाल गर्ग और माता का नाम बरफी देवी था.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | ‘प्रभूलाल गर्ग’ |
उपनाम | काका हाथरसी |
जन्म (Date of Birth) | 18/09/1906 ई. |
आयु | 89 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | हाथरस, उत्तरप्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | शिवलाल गर्ग |
माता का नाम (Mother Name) | बरफी देवी |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | लेखक, कवि |
लेखन | हास्य रस |
मृत्यु (Death) | 18/09/1995 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | —- |
भाई-बहन (Siblings) | दो भाई |
अवार्ड (Award) | ‘पद्मश्री’ |
काका हाथरसी जी के जन्म के मात्र 15 दिन बाद ही एक भयंकर महामारी के चलते उनके पिताजी की मृत्यु हो गयी. इनके दो भाई थे. बस तभी से इनके परिवार के बुरे दिन शुरू हो गये. परिवार की आर्थिक स्थति ख़राब होने के कारण भी काका जी ने अपना संघर्ष जारी रखते हुए छोटी – मोटी नौकरियां की और साथ ही अपनी कविताओं, रचनाओं और संगीत का अभ्यास जारी रखा.
पिता जी की मृत्यु के बाद वह अपने मामा के पास इगलास में जाकर रहने लगे. इन्होने बचपन में चाट-पकौड़ी बेची और एक मुनीम गिरी की छोटी सी नौकरी की. काका हाथरसी जी का विवाह मात्र 16 वर्ष की आयु में रतन देवी से हो गया था, पर कविता का शौक़ उन्हें बचपन से ही था. वो किसी पर भी कविता बनाकर लिख लेते थे. उन्होंने अपने मामा के पड़ोसी वकील साहब पर भी एक कविता लिखी, जिसकी कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं –
एक पुलिंदा बांधकर कर दी उस पर सील,
खोला तो निकले वहां लखमी चंद वकील.
लखमी चंद वकील, वजन में इतने भारी,
शक्ल देखकर पंचर हो जाती है लारी.
होकर के मजबूर, ऊंट गाड़ी में जाएं,
पहिए चूं-चूं करें, ऊंट को मिरगी आए.
काका हाथरसी जी की रचनायें
- काका के चुटकुले
- काका की फुलझड़ियाँ
- खिलखिलाहट
- काका तरंग
- यार सप्तक
- काका के व्यंग्य बाण काका
- जय बोलो बेईमान की
- काका के प्रहसन
- कूटनीति मंथन करि
काका हाथरसी को मिले सम्मान | Kaka Hathrasi Awards
1989 में काका को अमेरिका के वाल्टीमौर ने ‘आनरेरी सिटीजन’ के सम्मान से सम्मानित किया था. काका हाथरसी जी ने जमुना किनारे फिल्म में भी अभिनय किया. काका को अपने नाम पर भी पुरुस्कार मिले – ‘काका हाथरसी पुरुस्कार’ , ‘काका हाथरसी संगीत पुरस्कार’ . काका को 1957 में दिल्ली कवि सम्मलेन में बुलाया गया था. वहा उन्होंने अपनी काव्य शैली में पाठ किया और एक अपनी अलग पहचान बनाई. 1966 में ब्रज कला केंद्र के कार्यक्रम में काका जी को सम्मानित किया गया था. 1985 में उन्हें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने ‘पद्मश्री’ की उपाधि से सम्मानित किया था .
काका हाथरसी निधन | Kaka Hathrasi Death
काका हाथरसी का स्वर्गवास 18 सितंबर सन 1995 में हो गया था . इनकी शव यात्रा ऊंट गाडी पर निकाली गयी थी. हाथरसी जी हम सभी के बीच अपनी अमिट छाप छोड़ गए. उनका ये योगदान सदा अविस्मर्णीय रहेगा.
इसे भी पढ़े :