कवि भूषण का जीवन परिचय, जन्म, कविता, मृत्यु, रचनाएँ
Kavi Bhushan Biography, Dohe, Sahityik Parichay, Death, Poems In Hindi
कवि भूषण जी रीतिकाल के मुख्य दो कवि बिहारी और केशव में से मात्र एक कवि थे. कवि भूषण जी को भारतीय संस्कृति का प्रमुख भक्त माना जाता है. जब सब रीतिकाल युग के कवि अपने राजाओं के लिए श्रृंगार रस में रचनायें कर रहे थे उसी समय भूषण जी ने अपनी ओजस्वी वाणी से राष्ट्रीयता का सिहंनाद किया और उन्होंने अपने काव्य ग्रंथो में राष्ट्रीयता के प्रति जो प्रेम भाव जागृत किया इसके लिए वे आज भी लोगों के द्वारा सराहे जाते हैं. भूषण जी वीर रस के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं.
कवि भूषण का जीवन परिचय | Kavi Bhushan Biography In Hindi
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | शिवराज भूषण |
उपनाम | कवि भूषण |
जन्म (Date of Birth) | 1613 |
आयु | 92 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | कानपुर, उत्तरप्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | ज्ञात नहीं |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
लेखन | ब्रजभाषा, वीर रस कवि |
पेशा (Occupation ) | लेखक, कवि |
बच्चे (Children) | ज्ञात नहीं |
मृत्यु (Death) | 1705 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | —- |
भाई-बहन (Siblings) | दो भाई |
अवार्ड (Award) | ज्ञात नहीं |
वीर रस के कवि भूषण जी का जन्म काल व जन्म स्थान के सम्बन्ध में अनेक विद्वानों के बहुत से मतभेद हैं. इस आधार पर भूषण जी महाराज शिवाजी के समकालीन सिद्ध होते हैं. शिवाजी महाराज के अनुसार कवि भूषण जी का जन्म 1613 ई. में हुआ था.
इनका जन्म स्थान कानपुर के तिकवांपुर गाव में हुआ मानते हैं. इनका पूरा नाम शिवराज भूषण है. ये एक कान्यकुब्ज ब्राहमण थे. उनके दो भाई चिन्तामणि और मतिराम भी कवि थे. भूषण जी जब कुछ काम नही करते थे तो उनकी भाभी ने उनको नमक मांगने पर एक ताना दिया कि ‘कभी नमक कमाकर लाये हो’. ये ताना भूषण जी को एक तीर की तरह चुभ गया और वे उसी समय घर छोड़ कर चले गए. भूषण जी ने कई आश्रमों में सहारा लिया. तब उन्हें शिवाजी का आश्रम प्राप्त हुआ.
भूषण जी अंत तक शिवाजी के आश्रम में ही रहे और भाभी के ताने पर कहा कि ‘जब कमाकर लायेंगे तभी खायेंगे.‘ बाद में इन्होने भाभी को एक लाख रूपए तक का नमक भिजवाया. भूषण जी की अभिलाषा थी कि हिन्दू जाति का गौरव बड़े और उन्नति हो. इनको भूषण की उपाधि चित्रकूट नरेश ह्रदय राम के पुत्र रुद्रशाह से प्राप्त हुई. जैसा कि इस दोहे में लिखा है –
कुल सुलंकि चित्रकूट-पति साहस सील-समुद्र।
कवि भूषण पदवी दई, हृदय राम सुत रुद्र॥
भूषण जी के दूसरे आश्रय दाता महाराज छत्रसाल थे. भूषण जी ने अपने काव्य ग्रंधो में शिवाजी और छत्रसाल इन्ही दोनों की वीरता और सद्गुणों का वर्णन किया है. भूषण जी ने शिवाजी और छत्रसाल के सद्गुणों से प्रभावित होकर कहा था
‘शिवा को सराही के सराहों छत्रसाल को। ‘
कवि भूषण साहित्य परिचय
भूषण जी ने अपनी रचनाओ में वीर रस को सम्मलित किया. इन्होंने अपनी काव्य – रचनाओं में असहाय हिन्दू समाज की वीरता को दर्शया. इनकी कविता में वीररस, दानवीर और धर्मवीर के वर्णन प्रचुर मात्रा में मिलते हैं. भूषण जी ने वीर नायकों के सद्गुणों से परिपूर्ण रचनाओं का गुणगान किया है. इनकी रचनाओं में दृश्य रचना काफी प्रसिद्ध हैं. इन्होने युद्ध के दृश्यों को बहुत ही अच्छे तरीके से चित्रित किया है.
कवि भूषण की रचनाएं –
महाकवि भूषण के द्वारा लिखे हुए प्रमुख तीन ग्रन्थ – शिवराज भूषण 2 शिवाबावनी 3 छत्रसाल दशक हैं ये तीनों ही रचनायें वीर रस से युक्त हैं. इन ग्रंथो में वीर रस के कवि शिवाजी और छत्रसाल की वीरता का वर्णन किया गया है. इनके अन्य ग्रन्थ भूषण उल्लास, भूषण हजारा, दूषनोल्लासा भी हैं.
कवि भूषण की मृत्यु | Kavi Bhushan Death
रीतिकाल के कवि भूषण जी का सन 1705 ईसवी में निधन हो गया था.
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