लक्ष्मी सहगल का जीवन परिचय | Lakshmi Sehgal History Biography, Birth, Education, Earlier Life, Death, Role in Independence in Hindi
दोस्तों, आज हम राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली प्रथम भारतीय महिला, लक्ष्मी सहगल का जीवन परिचय आपको बताने जा रहे है. आगे चलकर इस लेख में आप जानेंगे लक्ष्मी सहगल के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य एवं रोचक बातें, उनकी व्यक्तिगत जानकारी, उनकी उपलब्धियाँ और उनके द्वारा स्वीकार किये गए सन्मान और पुरस्कार. आशा करते है आपको यह लेख पसंद आएगा. तो चलिए इस लेख की शुरुआत करते है.
प्रारम्भिक जीवन | Lakshmi Sehgal Early Life
वास्तविक नाम | लक्ष्मी स्वामीनाथन |
जन्मतिथि | 24 अक्टूबर 1914 |
जन्मस्थान | मद्रास, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्टूबर 1914 को मद्रास में एक तमिल परिवार में हुआ था. इनका वास्तविक नाम लक्ष्मी स्वामीनाथन था. इनके पिताजी का नाम एस. स्वामीनाथन और माता का नाम एवी अमुक्कुट्टी था. इनके पिताजी मद्रास उच्च न्यायालय के प्रसिद्ध वकील थे. इनकी माता एक समाजसेविका थी और केरल के एक जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी परिवार से ताल्लुख रखती थी.
उन्होंने क्वीन मैरी कॉलेज से स्नातक की पढाई की और बाद में चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए 1938 में मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की. एक साल बाद, उन्होंने स्त्री रोग और प्रसूति में डिप्लोमा प्राप्त किया. उन्होंने चेन्नई स्थित सरकारी कस्तूरबा गांधी अस्पताल में डॉक्टर के रूप में भी कार्य भी प्रदान किया है.
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान | Lakshmi Sehgal Contribution to freedom struggle
बचपन में समाज में ब्रिटिश शासन की जुल्मी हुकूमत को देख, उनके मन में स्वतन्त्रता की चिंगारी जलने लगी थी. वह बचपन से ही राष्ट्रवादी आंदोलन से प्रभावित हो गयी थी. उस समय महात्मा गांधी ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन छेड़ा, तो लक्ष्मी जी ने भी उसमे हिस्सा लिया था. वर्ष 1943 में अस्थायी वह आज़ाद हिंद सरकार की कैबिनेट में पहली महिला सदस्य बनीं.
वर्ष 1942 में अंग्रेज़ो ने सिंगापुर को जापानियों को समर्पित कर दिया, उस समय लक्ष्मी सहगल ने घायल लोगों के उपचार केलिए काफ़ी कार्य किया. सिंगापुर में सामान्य लोग जिसमें मजदूर वर्ग शामिल है उनके ऊपर हो रहे जुल्म को देख उन्होंने निश्चय किया कि, अपने देश की आज़ादी केलिए वह कुछ करेगी.
2 जुलाई 1943 को सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर में आये, उस समय लक्ष्मी सहगल उनके विचारों से प्रभावित हो गयी. इस समय लक्ष्मी जी ने स्वयं बोस को अपना परिचय दिया था, और लगभग एक घंटे की मुलाक़ात के बिच लक्ष्मी जी ने बोस से आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने का प्रस्ताव रखा. लक्ष्मी के भीतर आज़ादी का जज़्बा देखने के बाद नेताजी ने उनके नेतृत्व में ‘रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट’ बनाने की घोषणा कर दी जिसमें वह वीर नारियां शामिल की गयीं जो देश के लिए अपनी जान दे सकती थीं.
22 अक्तूबर, 1943 में डॉ. लक्ष्मी ने रानी झाँसी रेजिमेंट में ‘कैप्टन’ पद पर कार्यभार संभाला. उनके महान कार्य की बदौलत उन्हें ‘कर्नल’ पद भी दिया गया. इस तरह लक्ष्मी सहगल ‘कर्नल’ पद हासिल करने वाली एशिया की पहली महिला बनी. लेकिन, वह लोगो के मन में ‘कप्तान लक्ष्मी’ के रूप में ही प्रसिद्ध रही.
4 मार्च 1946 को आज़ाद हिंद फ़ौज की हार के बाद ब्रिटिशों द्वारा वह पकड़ी गयी, लेकिन जल्द ही उन्हें छोड़ दिया गया. 1947 में लक्ष्मी जी ने प्रेम कुमार सहगल से विवाह किया और कानपुर में स्थायिक हो गयी. उसके बाद वह वंचितों की सेवा में जूट गयी.
गिरफ्तारी | Lakshmi Sehgal Jail
आईएनए की बर्मा यात्रा का एक हिस्सा बनने के लिए, मई 1945 में ब्रिटिश सेना ने कप्तान लक्ष्मी को गिरफ्तार कर लिया.
निधन | Lakshmi Sehgal Death
23 जुलाई 2012 को हार्ट अटैक के कारण 97 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनके शरीर को कानपूर मेडिकल कॉलेज को मेडिकल रिसर्च के लिए दान में दिया गया.
रोचक तथ्य | Lakshmi Sehgal Interesting Facts
- उनकी याद में कानपूर में कप्तान लक्ष्मी सहगल इंटरनेशनल एअरपोर्ट बनाया गया है.
- 1998 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति के.आर.नारायण द्वारा पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया.
- लक्ष्मी सहगल की बेटी सुभाषिनी अली 1989 में कानपुर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद भी रहीं है.
- 2010 में उन्हें डॉक्टरेट उपाधि से कलिकत यूनिवर्सिटी द्वारा सन्मानित किया गया.
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