“पद्मावत” “अखरावट” “आखिरी कलाम” के कवि मलिक मोहम्मद जायसी की जीवनी (जन्म, ) | Padmavat Poet Malik Muhammad Jayasi Biography in hindi
मलिक मोहम्मद जायसी एक भारतीय सूफी कवि और पीर महात्मा थे. जिन्हें 15 वीं शताब्दी में आम लोगों द्वारा समर्थित अवधी भाषा में लिखना पसंद था. मलिक अपने महाकाव्य कविता पद्मावत (1540) के लिए मशहूर है.
मलिक मोहम्मद जायसी की जन्म और बचपन (Malik Muhammad Jayasi Birth and Early Life)
मलिक मोहम्मद जायसी की जन्म तिथि और इस स्थान को लेकर आज ही मतभेद हैं. इनका जन्म वर्ष 1500 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के जायस नामक कस्बे पर हुआ था. मलिक मोहम्मद के नाम के पीछे जायसी शब्द उपनाम की तरह उपयोग किया जाता है. इनके पिताजी का नाम मलिक राजे अशरफ था. वे एक मामूली जमींदार और किसान पृष्ठभूमि से थे.
मलिक मोहम्मद ने बहुत कम उम्र में अपने पिता को खो दिया था और उसके कुछ सालों बाद अपनी माँ के मातृत्व से भी वंचित होना पड़ा. बचपन में एक हादसे के कारण मलिक मोहम्मद एक आँख से अंधे हो गए थे और चेचक की बीमारी के कारण चेहरा भी खराब हो गया था. मलिक मोहम्मद जायसी के सात पुत्र थे और दुर्घटना में उनके सातों पुत्रों की मृत्यु हो गई थी. जिसकी बाद ही इन्होनें अपना गृहस्थ जीवन त्याग दिया और सूफी संत बन गए.
मलिक मोहम्मद जायसी और उनकी रचनाएँ (Malik Muhammad Jayasi Poetry)
जायसी के शिक्षक शेख मुबारक शाह बोडले थे, जो शायद सिमनी के वंशज थे. इतिहासकारों के अनुसार जायसी के ग्रंथो की संख्या 20 बताई जाती है परन्तु इनमें से “पद्मावत” “अखरावट” “आखिरी कलाम” “कहरनामा” और “चित्ररेखा” पांच ही उपलब्ध हैं. इनमे से पद्मावत सबसे प्रसिद्ध महाकाव्य हैं. जायसी ने बाबर के शासनकाल में ही आखिरी कलाम (1529-30) और पद्मावत (1540-41) की रचना की थी.
कुछ इतिहासकारों के अनुसार अमेठी के राजा रामसिंह ने पद्मावत के कुछ अंशों को सुनने के बाद अपनी अदालत में आमंत्रित किया था. कुछ लोगों का यह भी मानना था कि मलिक मोहम्मद जायसी के आशीर्वाद से ही राजा रामसिंह को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई थी.
मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत में अपने चार मित्रों का उल्लेख किया. वे चार मित्र युसुफ़ मलिक, सालार एवं मियाँ सलोने और बड़े शेख थे. चारों की विशेषताओं का वर्णन इसमें किया गया था परन्तु इन लोगों का भी कोई प्रमाणिक परिचय उपलब्ध नहीं है. आचार्य रामचंद्र शुक्ल जायसी को एक प्रमुख कवि के रूप में मानते थे. इसलिए मलिक मोहम्मद जायसी हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि हैं.
मलिक मोहम्मद जायसी की मृत्यु (Malik Muhammad Jayasi Death)
मलिक मोहम्मद जायसी की मृत्यु को लेकर भी कई विरोधाभास हैं. क़ाज़ी सैयद हुसेन की अपनी नोटबुक के अनुसार वर्ष 1542 में मलिक मुहम्मद जायसी की मृत्यु हुई थी. कहा जाता है कि इनका देहांत अमेठी के आसपास के जंगलो में हुआ था. अमेठी के राजा ने इनकी समाधी बनवा दी, जो अभी भी मौजूद हैं. प्रचलित कहानी के अनुसार जब मलिक मोहम्मद अपना जीवन अमेठी के जंगलों में व्यतीत कर रहे थे. तब वे एक बाघ में बदल जाते थे. एक दिन राजा के शिकारियों ने शिकार करते समय उस बाघ को मार डाला.
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