गोवा मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का जीवनी, शिक्षा, परिवार और सम्मान | Manohar Parrikar Biography, Education, Education and Awards in Hindi
मनोहर पर्रिकर किसी भी राज्य से ऐसे पहले मुख्यमंत्री थे जो आई.आई.टी. ग्रेजुएट थे. वे अपने सरल स्वभाव, बेदाग़ छवि और बेहतर निर्णायक के रूप में जाने जाते थे. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि वे मुख्यमंत्री रहते हुए अपने दफ्तर स्कूटर से जाते थे और अधिकतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते थे. वे एक मुख्यमंत्री को प्रदान की गई सुविधाओं का भी उपयोग नहीं करते थे. एक बार जब वे अपने ऑफ़िस जा रहे रहे थे तब उन्हें एक एसपी के लड़के ने कार से टक्कर मार दी थी. जिसके बाद उस लड़के ने कहा तू जनता नहीं मेरे पिताजी एस.पी. हैं. इस पर मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि अपने पिताजी को जाकर कहना मैंने गोवा के मुख्यमंत्री को टक्कर मारी हैं.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | मनोहर पर्रिकर |
जन्म (Birth Date) | 18 नवंबर 1946 |
जन्म स्थान (Birth Place) | मापुसा गाँव (गोवा) |
पिता का नाम (Father Name) | गोपाल कृष्ण पर्रिकर |
माता का नाम (Mother Name) | राधा बाई पर्रिकर |
पत्नी का नाम (Wife Name) | मेधा पर्रिकर |
पुत्र (Son) | नकुल नाथ एवं बकुल नाथ |
पेशा (Profession) | राजनेता |
शैक्षणिक योग्यता (Education) | इंजीनियरिंग (आईआईटी मुंबई) |
राजनीतिक पार्टी (Political Party) | भारतीय जनता पार्टी |
मनोहर पर्रिकर का जन्म और शिक्षा (Manohar Parrikar Birth and Education)
मनोहर पर्रिकर का जन्म 13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा गाँव में हुआ था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा गोवा के ही लोयोला हाई स्कूल से हुई. इनकी पढाई मराठी मीडियम से पूर्ण हुई हैं. कक्षा 12 के बाद इन्होंने आई.आई.टी मुंबई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से धातुकर्म (metallurgy) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.
मनोहर पर्रिकर का परिवार (Manohar Parrikar’s Family)
मनोहर पर्रिकर के पिताजी का नाम गोपाल कृष्ण पर्रिकर और माताजी का नाम राधा बाई पर्रिकर था. वर्ष 1981 में इनकी शादी मेधा पर्रिकर से हुई. जिससे इनके दो बच्चे उत्पल पर्रिकर और अभिजीत पर्रिकर हैं. मनोहर पर्रिकर के दोनों बेटे राजनीतिक परिदृश्य से दूर हैं. उत्पल पर्रिकर एक इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं जबकि अभिजीत एक बिजनेसमैन हैं. इनके एक भाई हैं जिनका नाम अवधूत पर्रिकर हैं.
मनोहर पर्रिकर का राजनीतिक सफर (Manohar Parrikar’s Political Career)
मनोहर पर्रिकर बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा में बाल स्वयंसेवक की भूमिका में सक्रिय थे. जिसके बाद वे शाखा के मुख्य शिक्षक भी बने. अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद भी इन्होंने संघ के कई दायित्वों का निर्वहन किया. वे उत्तरी गोवा के संघचालक भी रह चुके हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कार्य करने के कारण गोवा के घरों में अच्छी पकड़ हैं. संघ की तरफ से ही मनोहर पर्रिकर को बीजेपी में कार्य करने का दायित्व मिला. इन्हें उस दौरान राम जन्मभूमि आंदोलन का एक प्रमुख आयोजक बनाया गया था. वर्ष 1994 में इन्हें गोवा की पणजी सीट से विधानसभा का टिकट मिला. इन्हें महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के विरुद्ध बीजेपी को मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली थी. जिसके बाद वे इस विधानसभा से जीत कर भी आये. परन्तु बीजेपी इस विधानसभा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. मनोहर पर्रिकर ने उस समय गोवा की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभाया.
गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में पर्रिकर (Manohar Parrikar as Chief Minister of Goa)
वर्ष 2000 में गोवा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिला पर पहली बार राज्य में बीजेपी की सरकार बनी. इस सरकार में मनोहर पर्रिकर को राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया.
इसी दौरान कैंसर से पीड़ित उनकी पत्नी का स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं चल रहा था. मुख्यमंत्री बनने के एक वर्ष बाद ही उनकी धर्मपत्नी का निधन हो गया. दोनों बेटों की जिम्मेदारी का भार भी मनोहर पर्रिकर पर आ गया. जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. कुछ कारणों के चलते 27 फरवरी 2002 को मनोहर पर्रिकर ने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद 5 जून 2002 को इन्हें फिर से राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया.
29 जनवरी 2005 को बीजेपी के चार विधायकों ने विधानसभा सदन से इस्तीफा दिया जिसके बाद बीजेपी की सरकार गिर गई.
वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में दिगंबर कामत के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी.
वर्ष 2012 में बीजेपी विधानसभा चुनाव में सहयोगी दलों के साथ मिलकर एक बार सरकार बनाने में सफल हुई. मनोहर पर्रिकर फिर एक बार राज्य के मुख्यमंत्री बने.
2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मनोहर पर्रिकर को केंद्र सरकार में देश का रक्षामंत्री बनाया गया. जिसके बाद उन्हें गोवा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. उनकी जगह लक्ष्मीकांत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया. देश के रक्षामंत्री रहते हुए मनोहर पर्रिकर ने ऑगस्टा वेस्टलैंड, चॉपर घोटाले जैसे कथित घोटाले उजागर किये. रक्षामंत्री बनाये जाने के बाद उन्हें उत्तरप्रदेश से निर्वाचित राज्यसभा सीट से राज्यसभा भेजा गया था.
वर्ष 2017 में गोवा में फिर से विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस सबसे ज्यादा 17 सीटों के साथ के साथ पहले नंबर थी. बीजेपी 13 सीटों के साथ दुसरे नंबर पर थी जबकि अन्य स्थानीय पार्टियों को 10 सीट पर जीत हासिल हुई थी. अन्य 10 सीटों पर जीते विधायकों से केंद्र में मंत्री रहे नितिन गडकरी ने संपर्क किया और वे सभी विधायक एक शर्त पर बीजेपी को समर्थन देने के लिये राज़ी हो गए. वह शर्त यह थी की मनोहर पर्रिकर को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाये. जिसके बाद मनोहर पर्रिकर ने देश के रक्षामंत्री के पद से इस्तीफा दिया और एक बार फिर गोवा के मुख्यमंत्री बने.
मनोहर पर्रिकर के साथ जुड़े विवाद (Manohar Parrikar Controversy)
वर्ष 2001 मे मुख्यमंत्री रहते हुए मनोहर पर्रिकर ने गोवा के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को विद्या भारती स्कूल से बदलने के आदेश दिए थे. विद्या भारती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक अनुसांगिक संघठन हैं. जो पूरे भारत में अपने स्तर पर विद्यालयों का संचालन करता हैं.
पर्रिकर के मिले सम्मान एंव पुरस्कार (Manohar Parrikar Awards and Achievements)
- वर्ष 2001 में इन्हें आईआईटी मुंबई द्वारा सम्मानित किया गया.
- वर्ष 2012 में इन्हें सीएनएन-आईबीएन पुरूस्कार से समानित किया गया. यह अवार्ड राजनीति की श्रेणी में साफ़ छवि वाले नेता को दिया जाता हैं.
मनोहर पर्रिकर की मृत्यु (Manohar Parrikar Death)
मनोहर पर्रिकर मार्च 2018 से अग्नाशय कैंसर से पीड़ित थे. बीमारी के बावजूद भी वह राज्य की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनका एक फोटो भी वायरल हुआ था जिसमे वे एक पुल का निरीक्षण कर रहे थे. इस दौरान उनकी नाक में रीले ट्यूब (Ryle’s Tube) लगी हुई थी. जिसके बाद कई अन्य विपक्षी नेताओं ने बीजेपी को अपना निशाना बनाया था और कहा बीजेपी मनोहर पर्रिकर को आराम करने दे रही हैं.
कैंसर के इलाज के लिए वह कई बार अमेरिका भी गए. लेकिन वहां भी डॉक्टर उनका इलाज करने में असमर्थ रहे अंतत: उन्हें दिल्ली एम्स में इलाज के लिए भर्ती किया गया. 17 मार्च 2019 को मनोहर पर्रिकर पणजी स्थित निजी आवास पर उन्होंने अपनी आखरी सांसे ली. उनकी मृत्यु की पहली जानकारी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा देश को दी गयी.
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