नानाजी देशमुख जी का जीवन परिचय
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नानाजी देशमुख, एक राजनीतिक, समाजसेवी व्यक्ति जिन्होंने अपने बचपन में बहुत कठिनाइयों का सामना किया और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते गये. इस महान व्यक्ति ने अपनी जवानी और उसके बाद का पूरा समय समाज के नाम कर दिया. आइये जानते है इस महान नेता के जीवन के बारे में और पढ़ते है इनकी जीवनी.
नानाजी देशमुख का जीवन परिचय | Nanaji Deshmukh Biography in Hindi
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Real Name) | चंडिकादास अमृतराव देशमुख |
प्रसिद्द नाम (Famous Name) | नानाजी देशमुख |
जन्म (Date of Birth) | 11अक्टूबर 1916 |
आयु (Age) | 93 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | हिंगोली, महाराष्ट्र |
ग्राम (Village) | कडोली |
पिता का नाम (Father Name) | अमृतराव देशमुख |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | समाजसेवी, राजनेता |
जाति (Cast) | ब्राह्मण |
बच्चे (Children) | ज्ञात नहीं |
मृत्यु (Death) | 26 फरवरी 2010 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | चित्रकूट, मध्यप्रदेश |
भाई-बहन (Siblings) | ज्ञात नहीं |
अवार्ड (Award) | पद्म विभूषण |
नानाजी देशमुख का बचपन और शिक्षा | Nanaji Deshmukh Education
11अक्टूबर 1916 को नानाजी देशमुख का जन्म महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के कडोली नामक गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था. नानाजी के माता-पिता उनके कम उम्र में ही स्वर्गवासी हो गए. इसलिए बचपन से उनके मामाजी ने उनका पालन पोषण किया था. नानाजी ने गरीबी को बहुत ही करीब से देखा है . उनका परिवार दो वक्त का खाना नसीब हो इसलिए कड़ी मेहनत करते थे. नानाजी किसी के भी ऊपर बोझ नहीं बनना चाहते थे . इसलिए उन्होंने बहुत ही कम उम्र से काम करके पैसे कमाना शुरू कर दिया था. काम की तलाश में वे कई बार घर से निकल जाया करते थे.
नानाजी के पास पुस्तक खरीदने तक के पैसे नहीं थे, लेकिन उनके अन्दर पढ़ने लिखने की अभिलाषा थी. नानाजी ने हाई स्कूल की पढाई राजस्थान के सिकर जिले से पूरी की थी. हाई स्कूल की पढाई के दौरान उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली थी. उच्च शिक्षा के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. तभी उन्होंने पैसे जुटाके पिलानी के बिरला इंस्टिट्यूट से उच्च शिक्षा प्राप्त की.
आर.एस.एस कार्यकर्ता |
हाई स्कूल की पढाई के दौरान उनकी मुलाक़ात स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार से हुई थी. डॉ. हेडगेवार नानाजी को आर.एस.एस संघ (राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ) में शामिल होने के लिए प्रेरित करते थे. 1930 के दशक में वे आर.एस.एस में शामिल हो गए और वे इससे जुड़े कार्यो में सक्रिय भाग लेते थे. नानाजी देशमुख लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के कार्यो और राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित थे. तिलक से प्रेरित हो कर नानाजी ने समाजसेवा और आदि गतिविधियों में सक्रिय सहभाग किया .
1940 में डॉ. हेडगेवार की मृत्यु के बाद नानाजी ने कई युवको को महाराष्ट्र के शाखाओ में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. नानाजी को प्रचारक के रूप में उत्तर प्रदेश भेज दिया गया था. आगरा और गोरखपुर में उन्होंने प्रचारक के रूप में कार्य किया. उत्तर प्रदेश की आम जनता तक संघ की विचारधारा को पहुंचाने में वे सफल रहे. हालाँकि यह काम करने में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था.
आगरा में उनकी मुलाक़ात दीनदयाल उपाध्याय से हुई. उत्तर प्रदेश के हाटा बाजार गांव में नानाजी ने बाबू जंग बहादुर चंद इस सन्यासी के यहां रहकर इस क्षेत्र की पहली शाखा की शुरूआत की. और फिर बाबू जंग बहादुर चंद को संघ का स्ववयंसेवक बनाया. तीन साल के अन्दर अन्दर ही गोरखपुर के आसपास संघ की ढाई सौ शाखायें खुल गयीं. और इसका श्रेय नानाजी को जाता है.
राजनितिक तथा सामाजिक जीवन
1947 में देश को आजादी प्राप्त होने के बाद आर.एस.एस ने खुद की पत्रिका और समाचार पत्र प्रकाशित करने का निर्णय लिया. आम जनता को देश में होने वाली घटनाओं की सही जानकारी पहुंचे यह इस विचार का हेतु था . नानाजी को उनके राजनीतिक जीवन में बहुत सफलता प्राप्त हुई थी. 1957 में उन्होंने उत्तर प्रदेश का दौरा किया जिसका परिणाम ऐसा हुआ की भारतीय जन संघ उत्तर प्रदेश की प्रमुख राजनीतिक शक्ति बन गयी. उत्तर प्रदेश में पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी के कार्यों के कारण भारतीय जनसंघ एक महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्ति बन गया. नानाजी ने आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया था. नानाजी दो महीनों तक विनोबा भावे के साथ रहे. वे भावे के कार्य से प्रभावित हुए थे. नानाजी जनता पार्टी के संस्थापकों में प्रमुख थे.
नानाजी देशमुख भारतीय जनसंघ के नेता और राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके है. साठ साल की उम्र के बाद उन्होंने राजनितिक जीवन को त्यागकर सामाजिक और रचनात्मक जीवन की शुरुआत की . इस कार्य के दौरान वे आश्रमों में रहे. नानाजी ने दिल्ली में अकेले ही 1972 में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की. दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना करके नानाजी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की “एकात्म मानववाद” इस संकल्पना को मूर्त रूप दिया. यह संसथान की स्थापना करके उन्होंने स्वयं को देश के रचनात्मक और सामाजिक कार्यों में समर्पित कर दिया. 74 साल की उम्र में उन्होंने चित्रकूट में भारत के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय “चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय” की स्थापना की. 1989 में वे चित्रकूट आये, और उनका निधन भी चित्रकूट में ही रहते हुए 27 फ़रवरी 2010 को हुआ.
सामाजिक कार्य और सम्मान | Nanaji Deshmukh Awards
देश में सभी को शिक्षा मिले यह उनकी अभिलाषा थी. उसके लिए उन्होंने 1950 में उत्तरप्रदेश देश का पहले स्वरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय की स्थापना की थी. ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें जैसे ग्रामीण स्वास्थ, शिक्षा, बिजली, पानी आदि पूरी करने के लिए बहुत प्रयास किये थे. नानाजी ने मुख्यतः उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश के कई सारे गावों में विकास कार्य किये थे. 1969 में नानाजी ने चित्रकूट के विकास कार्य को करने का दृढ संकल्प किया था. नानाजी ने गरीब और पिछड़े वर्ग को ऊँचा उठाने के लिए प्रयास किया.
नानाजी के जीवन कार्य को सम्मान देते हुए वर्ष 1999 में नानाजी देशमुख को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 2019 में एकात्म मानव दर्शन के शिल्पकार नानाजी देशमुख को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया.
दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान की तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने प्रशंसा की थी. यह संस्थान सैकड़ों गाँवों को मुकदमा मुक्त विवाद सुलझाने का आदर्श बना. नानाजी के कार्यो का देश की उन्नति में बहुत बड़ा योगदान है. नानाजी काफी लम्बे समय से बीमार थे, लेकिन वे इलाज के लिए चित्रकूट छोड़कर नहीं जाना चाहते थे . वर्ष 2010में 93 साल की उम्र में नानाजी का निधन चित्रकूट के विश्वविद्यालय में हुआ था .
नानाजी ने मरने से पहले निर्णय लिया था की वे अपना देह दान करेंगे. मृत्यु के बाद उनके शरीर को अनुसन्धान के लिए दधीचि देहदान संस्थान पहुंचा दिया . नानाजी के कार्यो का देश के उन्नति और प्रगति में बहुत बड़ा योगदान है. महाराष्ट्र के किसानो को लाभ पहुंचाने के लिए नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी योजना राज्य सरकार द्वारा शुरू की गयी है. इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार की तरफ से किसानो के सूखाग्रस्त क्षेत्रो को सूखा मुक्त किया जायेगा.
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