साहित्यिक कवि नरेश मेहता का जीवन परिचय, रचनाएँ, कविताएँ काव्य भाषा
Naresh Mehta (Poet) Biography, Family, Awards, Poems, Books In Hindi
नरेश मेहता एक ऐसे साहित्यिक कवि रहे हैं कि इन्होने अपने कवित्व को सदैव मतवादी संकीर्णता से बचाये रखा. रेडियो इलाहाबाद में वे ‘आप कार्यक्रम’ में रेडियो अधिकारी भी रह चुके हैं. नरेश मेहता ने सन 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था. आइये जानते हैं नरेश मेहता के जीवन के बारे में –
साहित्यिक कवि नरेश मेहता का जीवन परिचय | Naresh Mehta (Poet) Biography in Hindi
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी कवि नरेश मेहता का जन्म 15 फरवरी सन 1922 ईसवी में मध्य – प्रदेश के मालवा क्षेत्र के शाजापुर कस्बे में हुआ था. नरेश मेहता का मूल नाम पूर्णशंकर शुक्ला है. नरसिंहगढ की राजमाता ने इनका नाम नरेश रखा था. फिर बाद में ये नरेश मेहता नाम से प्रसिद्ध हुये.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | कवि नरेश मेहता |
जन्म (Date of Birth) | 15 फरवरी सन 1922 ईसवी |
आयु | 70 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | शाजापुर, मध्य प्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | पंडित बिहारीलाल |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | लेखक, साहित्यकार |
काव्य भाषा | खरिबोली , हिन्दी |
मृत्यु (Death) | 22 नवम्बर सन् 2000 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | —- |
भाई-बहन (Siblings) | एक चाचा |
प्रसिद्धि | दूसरे सप्तक कवि |
इनके पिता का नाम पंडित बिहारीलाल था. इनके पिताजी ने तीन विवाह किये थे. नरेश तीसरी पत्नी के पुत्र थे. पिता की मृत्यु के बाद इनके चाचा पंडित शंकर लाल शुक्ला ने इन्हें पुत्र के रूप में स्वीकार किया और नरेश जी का पालन – पोषण अच्छे तरीके से किया. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा उज्जैन में पूर्ण हुई. उज्जैन से दसवीं की परीछा उत्तीर्ण करने पर नरेश जी के आग्रह करने पर उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वाराणसी जाने की अनुमति दे दी गयी. बनारस जाते समय इनकी मुलाकात डॉ. योगेन्द्र नाथ मिश्र से हुई और इन्ही के पास रहकर नरेश जी ने अपनी शिक्षा पूर्ण की.
कवि नरेश मेहता जी का साहित्यिक परिचय
नरेश मेहता संस्कृतनिष्ठ खड़ी भाषा का प्रयोग करते थे. नरेश जी की कविताओं की भाषा विषयानुकूल, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है. उनके काव्य में रूपक, मानवीकरण, उपमा, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग किया हुआ है और साथ ही परम्परागत नविन छन्दो का भी प्रयोग किया गया है. श्री नरेश मेहता उन शीर्षस्थ लेखको में से हैं जो भारतीयता की गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं. नरेश मेहता ने आधुनिक कविता को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया है. नरेश मेहता ने इन्दौर से प्रकाशित ‘चौथा संसार’ हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया है. रागात्मकता, संवेदना और उदात्तता उनकी सर्जना के मूल तत्त्व हैं. नरेश जी ने भारत छोड़ो आन्दोलन में भी भाग लिया था. साथ ही साथ नरेश मेहता जी ने आल इण्डिया रेडियो इलाहाबाद में नौकरी की पर नरेश जी को नौकरी का बंधन ज्यादा दिनों तक उन्हें बांध ना सका. वे एक स्वतन्त्र लेखन की आशा में इलाहाबाद आ गए और कुछ समय पश्चात् उज्जैन के ‘प्रेमचन्द सृजन पीठ’ के निर्देशक बनकर वहीं बस गये .
कृतियां
नरेश मेहता जी की प्रमुख रचनायें इस प्रकार हैं – बोलने दो चीड़ को, अरण्या, उत्तर कथा, एक समर्पित महिला, कितना अकेला आकाश चैत्या, दो एकान्त, धूमकेतुः एक श्रुति, पुरुष, प्रति श्रुति, प्रवाद पर्व, यह पथ बन्धु था.
सम्मान
नरेश मेहता जी को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सन 1888 में साहित्य अकादमी अवार्ड और सन 1992 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
निधन | Naresh Mehta Death
22 नवम्बर सन् 2000 को हमारे महान कवि, लेखक का निधन हो गया. लेकिन नरेश मेहता जी ‘दूसरा सप्तक कवि’ के रूप में आज भी प्रसिद्ध हैं. नरेश जी साहित्य में कुछ नया रचने वाले रचनाकारों में से एक थे . नरेश मेहता की रचनायें जीवन की प्रत्येक परिस्थितियों में मानवीय जीवन का बोध तलाशती रहती हैं.
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