कवि नरोत्तमदास का जीवन परिचय, रचनाएँ, कविताएँ
Narottama Das (Poet) Biography, Family, Poems, Books In Hindi
हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले कवि नरोत्तमदास जी का जन्म 1550 विक्रम के लगभग उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर में सिधौली के गाँव बाड़ी में हुआ था. ये ब्रज भाषा के कवि कहे जाते हैं. इनकी प्रमुख रचना ‘सुदामा चरित’ एकमात्र खंड – काव्य है. ये हिंदी साहित्य की अमूल्य रचना मानी जाती है. इनके जन्म के विषय में अनेक मत है. जार्ज ग्रियर्सन के अध्ययन के अनुसार महाकवि का जन्मकाल सम्वत् 1610 माना जाता है. ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे. इनके परिवार के विषय में कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं है क्योंकि इनका जीवन विवादस्पद रहा है.
नरोत्तमदास जी की रचनायें
नरोत्तमदास जी की रचनाओं के विषय में अनेक मत हैं. गणेश बिहारी मिश्र की 1900 की खोज के अनुसार नरोत्तमदास जी की कुछ रचनाओं का उल्लेख मिलता है, जिनमें से ‘विचार माला’ तथा ‘ध्रुव-चरित’ और ‘नाम-संकीर्तन’ प्रमुख हैं. लेकिन सम्बन्ध में अभी भी कोई प्रमाण नहीं है. नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, की एक रिपोर्ट में भी ‘विचारमाला’ व ‘नाम-संकीर्तन’ रचनाओं के अभाव का वर्णन है. मतानुसार ‘ध्रुव-चरित’ की उपलब्धता में अधूरापन है, जिसके 28 छंद ‘रसवती’ पत्रिका में 1968 अंक में प्रकाशित हुए थे. ‘विचारमाला’ की भी उपलब्धता का प्रमाण अप्राप्त है. नरोत्तमदास जी ने अपनी रचनाओं में काव्यात्मक नाट्य शैली का प्रयोग किया है. इन्होने छंद में ‘दोहा, कवित्त, सवैया, कुंडली’ का प्रयोग किया है.
- सुदामा चरित – यह नरोत्तमदास जी का एक मात्र खण्ड काव्य है जो कि ब्रजभाषा में लिखा हुआ है. इसमें सुदामा के चरित्र को बताया गया है, जो श्री कृष्ण के परम मित्र और भक्त थे. इस कृति के संबंध में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने कहा है –
“यद्यपि यह छोटा है पर इसकी रचना बहुत सरस और हृदयग्राहिणी है और कवि की भावुकता का परिचय देती है भाषा भी बहुत परिमार्जित है और व्यवस्थित है. बहुतेरे कवियों क समान अरबी के शब्द और वाक्य इसमें नहीं है.“
मध्य युग के इस काव्य ‘सुदामा चरित’ के विषय में डॉ॰ रामकुमार वर्मा ने नरोत्तमदास के काव्य के विषय में लिखा है –
“कथा संगठन, नाटकीयता, विधान, भाव, भाषा, द्वन्द्व आदि सभी दृष्टियों से नरोत्तमदास कृत सुदामा चरित श्रेष्ठ रचना है.“
- ध्रुव चरित – इनकी रचना ‘ध्रुव चरित’ के 28 छंद ‘रसवती’ पत्रिका में 1968 अंक में प्रकाशित हुए थे.
अन्य जानकारी | Narottama Das Biography
- डॉ. नगेन्द्र जी द्वारा रचित ‘रीतिकालीन कवियों की सामान्य विशेषताएँ, खण्ड -2, अध्याय- 4’ में सर्वप्रथम ‘सवैयों’ का प्रयोग करने वाले कवियों की श्रेणी में नरोत्तमदास को रखा गया है.
- ‘कवित्त’ (घनाक्षरी) का प्रयोग भी सबसे पहले नरोत्तमदास जी ने ही किया था. इस विधा का प्रयोग अकबर के समकालीन कवियों के द्वारा किया गया था.
नरोत्तमदास जी की मृत्यु
इनकी मृत्यु के विषय में भी अनेक मत हैं. ऐसा माना जाता है कि सन 1605 में इनका स्वर्गवास हुआ था. नरोत्तमदास जी एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने एक – दो रचनाओं को भी लिखकर हिंदी साहित्य में अमर हो गए. इनका हिंदी साहित्य में एक अलग ही स्थान है क्योंकि इन्होने सुदामा चरित जैसे खण्ड – काव्य लिखकर हिंदी साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ी है.
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