कवि नाथूराम शर्मा ‘शंकर’ की जीवनी, जन्म, शिक्षा, मृत्यु
Nathuram Sharma Biography, Birth, Death, Education, Achievement In Hindi
नाथूराम शर्मा जी अपने उप नाम ‘शंकर’ से जाने जाते हैं. वे हिंदी और उर्दू के महान कवि थे. बाद में उन्होंने संस्कृत का भी ज्ञान ग्रहण कर लिया. उनकी काव्य रचनाएँ मुख्य रूप से ब्रजभाषा और खड़ीबोली में लिखी गयी हैं. वह आधुनिक काल के लेखक कहे जाते हैं.
कवि नाथूराम शर्मा ‘शंकर’ की जीवनी | Nathuram Sharma Biography In Hindi
नाथूराम शर्मा शंकर जी का जन्म सन 1859 में हंरदुआगंज, अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. वे एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे. नाथूराम शर्मा शंकर जी हिंदी साहित्य के कवि ‘हरि शंकर शर्मा’ के पिता हैं, हिंदी के कवि और लेखक कृपा शंकर शर्मा के दादा और हिंदी की कवयित्री इंदिरा इंदु के परदादा हैं.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | नाथूराम शर्मा |
जन्म (Date of Birth) | 1859 |
आयु | 70 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | अलीगढ़, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | ज्ञात नहीं |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | कवि, लेखक |
मृत्यु (Death) | 21 अगस्त 1932 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | हरदुआगंज, अलीगढ़ |
अवार्ड (Award) | विशिष्ट सेवा पदक |
प्रारंभिक शिक्षा | Nathuram Sharma Education
इन्होने प्रारंभिक शिक्षा प्राइमरी विद्यालय से शुरू की थी. एक बार उनके विद्यालय में इंग्लिश एजुकेशनल इंस्पेक्टर ई. टी. कांस्टेबल निरीक्षण करने के लिए आये थे. वे नाथूराम की प्रतिभा और ज्ञान से अत्यधिक प्रभावित हुए. उन्होंने निरीक्षण पुस्तक में नाथूराम की प्रशंसा करे हुए लिखा “नाथूराम एक बुद्धिमान छात्र है जो अपने वादे से पूर्ण है.“
नौकरी और साहित्यिक यात्रा
उन्होंने कानपुर में सिंचाई विभाग में लगभग साढ़े सात साल तक कार्य किया. एक दिन अपने स्वाभिमान पर बात आने पर इन्होने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया. और बाद में आयुर्वेद का अध्ययन किया और फिर एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में कार्य किया. वे अपने दफ्तर के अंग्रेज अफसरों को हिंदी सिखाते थे.
नाथूराम शर्मा शंकर जी संस्कृत और फारसी के साथ-साथ हिंदी और उर्दू भी जानते थे. महावीर प्रसाद द्विवेदी की साहित्यिक पत्रिका सरस्वती में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. उनके इसी योगदान को ध्यान में रखकर प्रेमचंद जी ने दिल्ली में हिंदी साहित्य सम्मेलन के एक भाषण में कहा था – “शायद कोई जमाना आये कि हरदुआगंज हमारा तीर्थस्थान बन जाए.”
नाथूराम जी को बचपन से ही लिखने का शौक था. कहा जाता है कि जब वे 13 वर्ष के थे तब उन्होंने अपने मित्र पर एक दोहा लिखा था. नाथूराम जी को उर्दू का ज्ञान था. प्रारंभ में उनकी रूचि उर्दू और फारसी में थी. बाद में ये प्रताप नारायण मिश्र के सम्पर्क में आये और इनकी रूचि हिंदी में और अधिक बढ़ गयी. शंकर जी का रचनाकाल भारतेन्दु-युग से लेकर द्विवेदी युग तक माना जाता है.
उनकी काव्य रचनाओं में मुख्य रूप से शामिल हैं – अनुराग रत्न, शंकर सरोज, गीतावली, कविता कुंज, दोहा, समस्या पूर्तियां, विविध रचनायें, कलित कलेवर और शंकर सतसई. उनके
उनके जीवन पर उल्लेखनीय कार्य –
- महाकवि शंकराचार्य स्मृति ग्रंथ जो 1986 में महाकवि शंकर स्मारक समिति, हरदुआगंज (अलीगढ़) द्वारा प्रकाशित किया गया था.
- 1994 में वसंती सालवेकर और विनय प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘नाथूराम शर्मा शंकर की काव्य-साधना’,
- देशराज सिंह द्वारा वैदिक गीतांजलि और 2013 में महाकवि शंकर स्मारक समिति, हरदुआगंज (अलीगढ़) द्वारा प्रकाशित
नाथूराम जी की मृत्यु | Nathuram Sharma Death
21 अगस्त 1932 को हरदुआगंज (जन्म स्थान), अलीगढ़ में शंकर जी का स्वर्गवास हो गया. नाथूराम जी खड़ी बोली के महान कवि माने जाते हैं. उनके द्वारा लिखे गए कवित्त की आज भी प्रशंसा होती है. उन्हें महाकवि अर्थात महान कवि कहा जाता है.
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