निर्मल सिंह महाराज जो कि गुरूजी के नाम से प्रसिद्ध है. उनको मानने वाले लोग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया में है. उनका जन्म 7 जुलाई 1952 को संगरूर डिस्ट्रिक्ट, दुगरी, पंजाब (भारत) में हुआ था. गुरुजी ने अपनी पढाई दुगरी से पूरी की थी. वह मुख्यतः सत्संग कराने के लिए विश्वविख्यात थे. 31 मई 2007 में गुरूजी ने शरीर रूपी चोला त्याग दिया. गुरूजी का एक मंदिर जो कि बड़ा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. कहते है कि जब आज गुरूजी इस संसार में नहीं है, तब भी गुरूजी का आशीर्वाद बड़े मंदिर में उसी भावना के साथ मिलता है.
गुरु जी का व्यक्तिगत जीवन
कहा जाता है कि जब गुरु जी छोटे थे तब उनके एक सहपाठी ने उनसे कलम की स्याही मांगी तब गुरु जी के कलम को छुआ और अचानक से कलम में स्याही आ गई. भक्तों द्वारा यह भी माना जाता हैं कि यह गुरुजी का पहला चम्मकार था. गुरूजी के बारे में बोला जाता है की वह परीक्षा में आने वाले प्रश्नो के उत्तर पहले से ही बता दिया करते थे.
गुरुजी ने अपनी शिक्षा इकोनॉमिक्स और पोलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री के साथ पूरी की. वह बचपन से कोई साधारण बालक नहीं थे, यह बात उनके माता-पिता भी जानते थे. गुरु जी को बचपन से ही साधू-सन्तो में रहना और ध्यान में बंधना पसंद था. उन्होंने अपना घर भी युवा अवस्था में त्याग दिया था.
गुरू जी के भक्तो के द्वारा कही हुई कुछ बाते
- गुरुजी के बारे में कहा जाता है की वह उनके भक्तो को सिर्फ देखकर ही उनके बारे में सब कुछ बता दिया करते थे.
- गुरुजी के भक्त उनके बारे में कहते है कि वह हमारी परेशानियाँ पहले से ही समझ जाते थे, और बिना सुने ही हल कर देते थे.
- गुरु जी के बारे में कहा जाता है कि उनके सत्संग में दी जाने वाली चाय से लोगो की बीमारियाँ भी ठीक हो जाया करती थी.
- कुछ भक्त कहते है कि गुरूजी के साथ रहते हुए उनको इश्वर के पास होने का आभास हुआ था.
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