देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय
Pranab Mukherjee Biography, Family, Achievements, Career, Awards, Books, Interesting Facts in Hindi
श्री प्रणब कुमार मुखर्जी भारत के तेरहवें पूर्व राष्ट्रपति और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य तथा एक अनुभवी भारतीय राजनेता हैं, जिन्होंने 25 जुलाई, 2012 को भारत के 13 वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया था. भारतीय राजनीति में उनके कार्यकाल ने उन्हें इलान के साथ कई मंत्रिस्तरीय विभागों की सेवा देते हुए देखा गया है. उन्हें पिछले कुछ दशकों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का शीर्ष संकटमोचक माना जाता है. वह भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले 2012 तक भारत के केंद्रीय वित्त मंत्री बने रहे.
देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी जीवनी | Pranab Mukherjee Biography in Hindi
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में बंगाल प्रांत (अब पश्चिम बंगाल) के बीरभूम जिले में स्थित मिराती नामक गाँव में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वे श्री कामदा किंकर मुखर्जी और श्रीमती राजलक्ष्मी मुखर्जी के पुत्र है. उनके पिता, भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में स्वतंत्रता सेनानी थे और सन 1952 से 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद् के सदस्य रहे.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | श्री प्रणब कुमार मुखर्जी |
जन्म (Date of Birth) | 11 दिसंबर 1935 |
आयु | 84 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | बीरभूम, पश्चिम बंगाल |
पिता का नाम (Father Name) | किंकर मुखर्जी |
माता का नाम (Mother Name) | राजलक्ष्मी मुखर्जी |
पत्नी का नाम (Wife Name) | सुव्रा मुखर्जी |
पेशा (Occupation ) | राजनेता |
बच्चे (Children) | 2 बेटे, एक बेटी |
भाई-बहन (Siblings) | गया नहीं |
अवार्ड (Award) | पद्म विभूषण |
मृत्यु (Death) | 31-08-2020 |
प्रणब जी ने अपनी स्नातक की शिक्षा बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से पूरी की, उसके बाद राजनीति शाष्त्र और इतिहास के विषय में एम.ए. की शिक्षा पूरी की. फिर उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री भी हासिल की. शिक्षा पूरी करने के बाद प्रणब साहब ने पोस्ट और टेलीग्राफ के कोलकाता कार्यालय में प्रवर लिपिक का काम किया. बाद में 1963 में पश्चिम बंगाल के विद्यानगर कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर बने, इस नौकरी के साथ ही वे ‘देशेर डाक’ नामक पत्र से जुड़े और पत्रकार भी बन गए.
प्रणब कुमार मुखर्जी का निजी जीवन | Pranab Mukherjee Personal Life
13 जुलाई 1957 को प्रणब मुखर्जी का विवाह सुव्रा मुखर्जी से हुआ, जो बांग्लादेश के नरेला से थीं, और 10 साल की उम्र में कोलकाता चली गईं थी. इस दंपत्ति की एक बेटी और दो बेटे हैं. उनकी बेटी एक कत्थक नृत्यांगना है. उनका बड़ा बेटा अभिजीत मुखर्जी ने, उनके पिता प्रणब मुखर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल के जंगीपुर की सीट खाली करने के बाद, वहां से उप-चुनाव में चुनाव लड़े और कांग्रेस के सांसद बने. इससे पहले, अभिजीत मुखर्जी बीरभूम जिले के नलहटी नामक स्थान से विधायक रहे है.प्रत्येक वर्ष प्रणब मुखर्जी अपने परिवार के साथ और मिराती गांव में अपने पैतृक स्थान पर दुर्गा पूजा करने के लिए जाते है.
प्रणब कुमार मुखर्जी का राजनेतिक जीवन | Pranab Mukherjee Political Career
मुखर्जी साहब के करियर की शुरुआत कलकत्ता के पोस्ट एंड टेलीग्राफ कार्यालय में उप-महालेखाकार के रूप में हुई. उसके बाद दक्षिण 24 परगना में स्थित विद्यानगर कॉलेज में राजनीती शास्त्र के प्रोफेसर बने, और उसी के साथ वे कुछ समय के लिए पत्रकार भी रहे.
राजनीति में प्रणब मुखर्जी ने अपना पहला कदम 1969 में रखा, जब उन्होंने श्री वी.के. कृष्ण के लिए सक्रिय रूप से प्रचार का प्रबंधन किया. श्री वी.के. कृष्ण 1969 के मिदनापुर सिट से उपचुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार थे. इसके बाद भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उनकी क्षमता को पहचाना और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में शामिल किया. मुखर्जी जुलाई 1969 में पहली बार राज्यसभा का सदस्य चुना गया, उसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में पांच बार संसद के ऊपरी सदन (राज्य सभा) के लिए चुने गए और 2004 से संसद के निचले सदन (लोकसभा) में दो बार चुने गये.
समय बिताने के साथ-साथ प्रणब मुख़र्जी श्रीमती इंदिरा गाँधी के खास और पसंदीदा लोगो में शामिल हो गये और दिवंगत प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सावधानीपूर्वक सलाह के तहत, श्री मुखर्जी का अपने राजनीतिक जीवन में तेजी से विकास हुआ. सन 1973 में केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में प्रणब मुखर्जी को शामिल किया गया. उसके बाद सन 1975 से 1977 के बिच आपातकाल के दौरान प्रणब साहब पर विपक्ष द्वारा गैर-संविधानिक तरीकों का उपयोग करने के आरोप लगाए गये और जनता पार्टी द्वारा गठित ‘शाह आयोग’ ने उन्हें दोषी भी पाया. लेकिन बाद में प्रणब मुखर्जी ये सभी आरोप गलत साबित हुए.
उसके बाद सन 1982-84 में अपनी पार्टी की सरकार के दौरान देश के वित्त मंत्री रहे बने. अपने कार्यकाल में प्रणब साहब ने सरकार की आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार किया. इन्ही के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह को रिज़र्व बैंक का गवर्नर बनाया गया था.
प्रणब मुखर्जी को सन 1980 में राज्य सभा में अपनी कांग्रेस पार्टी का नेता चुना गया. ये वो समय था जब मुखर्जी साहब को कैबिनेट का सबसे शक्तिशाली मंत्री के तौर पर देखा जाता था. तत्कालीन प्रधान मंत्री की अनुपस्थिति में प्रणब मुखर्जी ही कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता किया करते थे.
श्रीमती इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद प्रणब मुखर्जी को ही प्रधानमंत्री पद का सबसे बड़ा उम्मीदवार माना जाने लगा, लेकिन बाद में राजीव गाँधी देश के प्रधानमंत्री चुने गये, और मुखर्जी साहब को थोडा अलग कर दिया गया, उसके बाद वे मंत्रिमंडल में भी चुने नहीं गए. ऐसा माना जाने लगा कि, प्रणब मुखर्जी राजीव गाँधी के समर्थको के षड्यंत्रों का शिकार हुए थे.
इसी नाराजगी कहे या कोई और आपसी मतभेदों के चलते, प्रणब मुखर्जी ने अपनी कांग्रेस पार्टी से अलग होकर अपने राजनितिक दल ‘राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस’ का गठन किया. लेकिन उसके बाद 1989 में, सभी समझोतों के साथ उन्होंने अपने दल का विलय फिर कांग्रेस में कर लिया.
सन 1991 में, पी.वी. नरसिंह राव सरकार में मुखर्जी साहब का राजनितिक जीवन फिर से उठ खड़ा हुआ, तब उन्हें योजना आयोग बनाया गया, और 1995 में उन्हें देश का विदेश मन्त्री नियुक्त किया गया. उसके बाद 1997 में उन्हें सबसे उम्दा सांसद चुना गया.
अपने राजनितिक करियर के शुरू से ही प्रणब मुख़र्जी को गाँधी परिवार का सबसे वफादार नेता माना जाता है और ऐसा भी मन जाता है कि सोनिया गाँधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनवाने में मुखर्जी साहब की खास भूमिका रही थी. प्रणब मुखर्जी ने पहली बार सन 2004 में लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के जंगीपुर संसदीय क्षेत्र की सिट पर चुनाव लड़ा और वहां से विजयी हुए. इसी के साथ वे लोक सभा में पार्टी के नेता भी चुने गए.
इस समय भी ऐसी अटकले लगाई जा रही थी कि, सोनियां गाँधी की मर्जी के विरुद्ध भी इन्हें देश का प्रधानमंत्री चुना जाएगा, पर फिर से सबका अंदाजा गलत साबित हुआ और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना गया. सन 2004 से लेकर 2012 तक प्रणब मुखर्जी यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आये, इस दौरान वे देश के रक्षा, वित्त और विदेश मंत्री भी रहे. उसके बाद 2012 में राष्ट्रपति चुने गये.
प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के 13 वें राष्ट्रपति के रूप में भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा शपथ ली. पूर्व कम्युनिस्ट नेता सोमनाथ चटर्जी ने मुखर्जी को “भारत के सर्वश्रेष्ठ सांसदों और राजनेताओं” में से एक बताया और कहा कि “देश को शीर्ष पद के लिए सबसे सक्षम व्यक्ति मिला है. राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने अफजल गुरु और अजमल कसाब को शामिल करते हुए सात दया याचिकाओं को खारिज कर दिया.
प्रणब कुमार मुखर्जी मिले सम्मान और उपलब्धियां
- 1984 में, यूरोमनी पत्रिका द्वारा प्रणब मुखर्जी को विश्व के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के रूप में दर्जा दिया गया.
- 1997 में, उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- 2008 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
- 2010 में, उभरते बाजारों, आईएमएफ और विश्व बैंक के लिए लंदन स्थित समाचार दैनिक रिकॉर्ड ने उन्हें एशिया के वित्त वर्ष के वित्त मंत्री के रूप में सम्मानित किया.
- 2010 में, बैंकर ने उन्हें वर्ष के वित्त मंत्री के रूप में उल्लेख किया.
- 2011 में, वॉल्वरहैम्प्टन विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लेटर्स डिग्री से सम्मानित किया.
- मार्च 2012 में, विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और असम विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डी.लिट पुरुस्कार से सम्मानित किया.
- ढाका विश्वविद्यालय में 4 मार्च 2013 को, उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद जिल्लुर रहमान और डीयू चांसलर द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.
- 5 मार्च 2013 को, उन्हें बांग्लादेश का दूसरा सर्वोच्च पुरस्कार, बांग्लादेश मुक्तिजुद्दो सनमोना (लिबरेशन वॉर अवार्ड) मिला.
- 13 मार्च 2013 को, मॉरीशस विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ ऑनोरिस कॉसा के लिए शुभकामना दी.
प्रणब कुमार मुखर्जी के की कुछ ख़ास बातें
- प्रणब मुख़र्जी को गाँधी परिवार के सबसे वफादार नेताओं में गिना जाता था.
- मुखर्जी को विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्री के रूप में अलग-अलग समय पर सेवा देने के दुर्लभ अंतर के साथ शासन में अद्वितीय अनुभव है.
- वह अपने जीवन के बारे में 40 वर्षों से एक डायरी लिख रहे हैं जिसे मरणोपरांत प्रकाशित किया जाएगा.
- 70 और 80 के दशक में, उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (1975) और EXIM बैंक ऑफ इंडिया के साथ-साथ नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (1981-82) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
- एक शक्तिशाली वक्ता और विद्वान के तौर पर, श्री मुखर्जी के बौद्धिक और राजनीतिक कौशल के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, वित्तीय मामलों और संसदीय प्रक्रिया के उल्लेखनीय ज्ञान की व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है.
- श्री मुखर्जी के पास व्यापक कूटनीतिक अनुभव है और उन्होंने आईएमएफ, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अफ्रीकी विकास बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में काम किया है.
- श्री मुखर्जी को अपने खाली समय में पढ़ना, बागवानी और संगीत पसंद है। अपने स्वाद में सरल, श्री मुखर्जी कला और संस्कृति के एक समर्पित संरक्षक हैं.
प्रणब मुखर्जी की मृत्यु | Pranab Mukherjee Death
बीते कुछ समय से बीमार चल रहे देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 31-08-2020 को निधन हो गया. उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने यह जानकारी दी. दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था. अस्पताल की तरफ से बताया गया था कि उनके फेफड़ों में संक्रमण की वजह से वह सेप्टिक शॉक में थे.
प्रणब मुखर्जी द्वारा लिखी गई किताबें | Pranab Mukherjee books
एक विपुल पाठक, श्री मुखर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्र निर्माण पर कई किताबें लिखी हैं, जिनमे से कुछ हमने निचे प्रदर्शित की है.
- वर्ष 1969 में मिड-टर्म पोल
- बियॉन्ड सर्वाइवल – वर्ष 1984 में भारतीय अर्थव्यवस्था के उभरते आयाम.
- वर्ष 1987 में, ऑफ़ द ट्रैक
- साल 1992 में, चैलेंज बिफोर द नेशन
- वर्ष 1992 में, सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस
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