प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता राम नारायण सिंह का जीवन परिचय | Ram Narayan Singh Biography (Birth, Career and Death) in Hindi
बाबू राम नारायण सिंह एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता थे. स्वतंत्रता संग्राम और झारखंड अलग राज्य के गठन में इनका योगदान अतुलनीय हैं. बाबू राम नारायण सिंह भारतीय के एक स्तंभ थे. इन्होने ने ही सबसे पहले अलग झारखंड की मांग संसद में उठाई थी. बाबू राम नारायण सिंह संविधान निर्माण समिति के सदस्य भी थे. जिसका गठन डॉ. भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में हुआ था.
पूरा नाम | बाबू राम नारायण सिंह |
जन्म | 9 दिसंबर 1885 |
जन्म स्थान | तेतरिया गांव |
पिता नाम | भोली सिंह |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता |
बाबू राम नारायण सिंह जन्म और प्रारंभिक जीवन (Ram Narayan Singh birth and Early Life)
बाबू राम नारायण सिंह का जन्म 9 दिसंबर 1885 में चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड के तेतरिया गांव में हुआ था. इनका वास्तविक नाम राम नारायण सिंहइनके पिता का नाम भोली सिंह था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा तेतरिया के विद्यालय में हुई थी. इसके बाद आगे की शिक्षा इन्होने हजारीबाग के मिडिल वर्नाक्युलर स्कूल से पूर्ण की. अपने स्नातक का अध्ययन बाबू राम नारायण सिंह ने सेंट जेवियर्स कॉलेज कलकत्ता से किया और कानून की डिग्री पूर्ण की.
बाबू राम नारायण सिंह का स्वतंत्रता में योगदान (Ram Narayan Singh Role in India’s Independence)
बाबू राम नारायण सिंह और उनके भाई सुखलाल सिंह चतरा के शुरुआती कांग्रेस कार्यकर्ताओं में से थे. इन्होने कृष्ण बल्लभ सहाय, राज बल्लभ सिंह, कोडरमा के बद्री सिंह जैसे अन्य युवा कांग्रेस नेताओं के साथ असहयोग आंदोलन में नेतृत्व किया था. बाबू राम नारायण सिंह ने खादी का प्रचार किया और सामाजिक सुधार आंदोलन के लिए ओपान मांझी, बंगामा मंजजी जैसे संथाल नेताओं के साथ मिलकर काम किया. वर्ष 1920-21 चतरा जिले से बाबू राम नारायण सिंह ने भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया था.
इस दौरान ब्रिटिशर बाबू राम नारायण सिंह पर विशेष नजर बनाये थे. बाबू राम नारायण सिंह छोटा नागपुर केसरी और छोटा नागपुर के शेर के रूप में जाना जाता हैं. वर्ष 1921-26 में बाबू राम नारायण सिंह ने महात्मा गांधी की बिहार की यात्रा के दौरान राजेंद्र प्रसाद, जय प्रकाश नारायण, अनुग्रह नारायण सिन्हा और श्रीकृष्ण सिन्हा जैसे अन्य राष्ट्रीय नेताओं के साथ कार्य किया. इस दौरान वे हजारीबाग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे.
आजादी के बाद, उन्होंने कांग्रेस पार्टी से खुद को अलग कर लिया और वर्ष 1951 में हजारीबाग पश्चिम से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पहले लोकसभा चुनाव जीते और 1957 तक संसद के सदस्य भी रहे. वे बाबू राम नारायण सिंह ही थे. जिन्होंने पहली बार संसद में अलग झारखंड राज्य की वकालत की थी. बाबू राम नारायण सिंह जवाहर लाल नेहरु की विदेश नीति से भी संतुष्ट नहीं थे.
बाबू राम नारायण सिंह मृत्यु (Ram Narayan Singh Death)
बाबू राम नारायण सिंह का निधन वर्ष 1964 में हुआ था.
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