भारत के 9 राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा की जीवनी | Shankar Dayal Sharma Biography, Family, Children, Wikipedia, Education in Hindi
शंकरदयाल शर्मा भारत के 9वे राष्ट्रपति थे. इन्होने 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक राष्ट्रपति पद संभाला. राष्ट्रपति बनने से पहले इन्होने भारत के आठवे उपराष्ट्रपति बनने का सन्मान भी हासिल किया. उन्होंने भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री तथा मध्यप्रदेश राज्य में कैबिनेट स्तर के मंत्री के रूप में उन्होंने शिक्षा, विधि, सार्वजनिक निर्माण कार्य, उद्योग तथा वाणिज्य मंत्रालय का कामकाज संभाला था. इतना ही नहीं उन्होंने अपने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के कार्यकाल में केंद्र सरकार में संचार मंत्री के रूप में कार्य किया.
जन्म और प्रारम्भिक जीवन (Birth & Early Life)
शंकरदयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम खुशीलाल शर्मा एवं माता का नाम सुभद्रा शर्मा था. शंकरदयाल ने सेंट जॉन कॉलेज, आगरा कॉलेज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, फित्ज़विल्यम कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय तथा हारवर्ड लॉ स्कूल से शिक्षा प्राप्त की. पी.एच.डी करने के लिए वे फिट्ज़विलियम कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए. इसके बाद उन्होंने लन्दन युनिवर्सिटी से सार्वजानिक प्रशासन में डिप्लोमा किया.
शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे लखनऊ युनिवर्सिटी में 9 साल तक लॉ के प्रोफ़ेसर रहे. यहाँ से वे फिर लन्दन चले गए और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भी लॉ की शिक्षा देने लगे. कैम्ब्रिज में वह टैगोर सोसाइटी और कैम्ब्रिज मजलिस के कोषाध्यक्ष भी थे. गाजीयाबाद की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी लुमिनी एसोसिएशन के द्वारा चुनी हुई 42 सदस्यों की सूची में उन्हें “प्राउड पास्ट अलुम्नुस” का सम्मान भी दिया गया था. इसके बाद वे लिंकन इन में सम्माननीय बेंचर और मास्टर के पद पर नियुक्त हो गए.
शंकरदयाल पढाई के साथ-साथ खेलकूद में भी हमेशा आगे रहते थे. वे एक अच्छे धावक एवं तैराक थे. इसके अतिरिक्त, उन्होंने कविता, इतिहास, कला, संस्कृति, दर्शन, साहित्य एवं विभिन्न धर्मों के बारे में बहुत से लेख लिखे है. वे राजनीति में भी दिलचस्पी रखते थे.
राजनैतिक जीवन (Political Career)
1940 में शंकरदयाल जी ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. कांग्रेस पार्टी में रहकर उन्होंने कई लड़ाईयां लड़ी और कई आंदोलनों में सक्रीय हिस्सा लिया. उन्होंने अपने जीवनकाल में कांग्रेस का साथ कभी नहीं छोड़ा. 1942 के “भारत छोड़ो आन्दोलन” में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. इन्हे कई बार जेल भी हुई. देश की आज़ादी के बाद शंकरदयाल शर्मा 1952 से 1956 तक भोपाल राज्यसभा के सदस्य चुने गए और प्रथम मुख्यमंत्री बने. इस पद पर उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला. 1956 में वह लोकसभा के सदस्य चुने गए और केन्द्र सरकार में संचार मंत्री का पद हासिल किया.
1985 से 1986 तक वे पंजाब के राज्यपाल रहे, अन्तिम राज्यपाल दायित्व उन्होंने 1986 से 1987 तक महाराष्ट्र में निभाया. इसके बाद उन्हें उप राष्ट्रपति तथा राज्य सभा के सभापति के रूप में चुन लिया गया गया. इस पद पर वे 1992 में राष्ट्रपति बनने तक रहे. 1992 में शंकरदयाल जी को राष्ट्रपति पद से नवाजा गया. 1992 – 97 तक शंकरदयाल जी ने राष्ट्रपति पद को संभाला. 9 अक्टूबर 1999 को इन्हे दिल का दौरा पड़ा, इस ही दौरान उनकी मृत्यु हो गयी.
सन्मान एवं पुरस्कार (Awards & Achievements)
- सृन्गेरीके शंकराचार्य ने शंकरदयाल शर्मा को “राष्ट्र रत्नम” उपाधि दी गयी थी.
- इंटरनेशनल बार एसोसिएशन ने कानून की पढाई और उसमें योगदान के लिए शंकरदयाल शर्मा को ‘दी लिविंग लीजेंड ऑफ़ लॉ’ के अवार्ड से सम्मानित किया था.
- शंकरदयाल शर्मा को देश के कई बड़े कॉलेज के द्वारा डोक्टरेट की उपाधि दी गई है, इसके साथ ही उन्हें गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया है.