शेखर जोशी की जीवनी,जन्म,मृत्यु, प्रमुख रचनाएँ और साहित्य |Shekhar Joshi Biography Biography, Birth and Literature in Hindi
कुछ दशक पूर्व छठवे दशक में हिंदी कहानी का पुरे विश्व में महत्त्वपूर्ण समय था. एक साथ कई युवा कहानीकारों ने अब तक चली आती कहानियों के रंग-ढंग से अलग तरह की कहानियाँ लिखने की शुरुवात की और देखते-देखते कहानी की विधा साहित्य-जगत के केंद्र में आ खड़ी हुई एवं वह एक पूरा आंदोलन था, जिसको “नई कहानी आंदोलन” के नाम से संबोधित किया गया.
इस आंदोलन के बीच उभरी हुई प्रतिभाओं में शेखर जोशी का स्थान अहम है. उनकी कहानियाँ नई कहानी आंदोलन के प्रगतिशील पक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं. समाज का मेहनतकश और सुविधाहीन तबका उनकी कहानियों में जगह पाता है. निहायत सहज एवं आडम्बरहीन भाषा-शैली में वे सामाजिक यथार्थ के बारीक नुक्तों को पकड़ते और प्रस्तुत करते थे.
जोशी जी की रचना-संसार से गुज़रते हुए समकालीन जनजीवन की बहुविध विडंबनाओं को महसूस किया जा सकता है. ऐसा करने में उनकी प्रगतिशील जीवन-दृष्टि और यथार्थ बोध का बड़ा योगदान रहा है. शेखर जी की कहानियाँ विभिन्न भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी, पोलिश और रूसी में भी अनुवादित हो चुकी हैं. उनकी प्रसिद्ध कहानी दाज्यु पर बाल चित्र समिति द्वारा फ़िल्म का निर्माण भी हुआ है.
जीवन परिचय
शेखर जोशी का जन्म 10 सितंबर 1932 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलियागांव गाँव में हुआ था. वह एक किसान परिवार से थे और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून और अजमेर में प्राप्त की. वह जब इंटरमीडिएट स्कूल में पढ़ते समय उन्हें आई.एम.ए के रक्षा संस्थान में प्रवेश के लिए चुना गया था. वह 1986 तक विभाग में कार्यरत रहे और नौकरी से स्वैछिक रूप से त्याग पत्र दे दिया. वाहं से जाने के बाद उन्होंने लिखना शुरू किया एवं उनके लिखे लेख के ऊपर फिल्म भी बनाई गई है.
रचनाएँ, कहानी, उपन्यास और सम्मान
शेखर जोशी की कहानियों ने नई कहानी आंदोलन प्रतिनिधित्व किया था, उनके द्वारा लिखी गई रचनाएँ और कहानी में एक अलग ही बात हुआ करती थी. उनके द्वारा लिखी गई लगभग सभी कहानियों को लोगो ने काफी पसंद किया है, उनमे से कुछ लोकप्रिय कहानियाँ इस प्रकार है-
प्रमुख रचनाएँ : कोसी का घटवार, साथ के लोग, दाज्यू, हलवाहा, नौरंगी बीमार है (कहानी-संग्रह): एक पेड़ की याद (शब्दचित्र-संग्रह)
उपन्यास : मेरा पहाड़, चींटे के पर, हलवाहा, साथ के लोग.
सम्मान: पहल सम्मान
लोक प्रिय कहानियाँ
- कोशी का घटवार 1958
- साथ के लोग 1978
- हलवाहा 1981
- नौरंगी बीमार है 1990
- मेरा पहाड़ 1989
- डागरी वाला 1994
- बच्चे का सपना 2004
- आदमी का डर 2011
- एक पेड़ की याद,
- प्रतिनिधि कहानियां उनके द्वारा लिखी गई अंतिम कहानियाँ थी. क्योंकि 4 अक्टूबर 2022 में उनका स्वर्गवास हो गया था.