कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जीवन परिचय
Shivmangal Singh Suman (Poet) Biography, Poems, Rachnaye, Sahityik Parichay, Death, Awards In Hindi
“डॉ. शिव मंगल सिंह ‘सुमन’ केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली चिह्न ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे. उन्होंने न केवल अपनी भावनाओं का दर्द व्यक्त किया, बल्कि युग के मुद्दों पर भी निर्भीक रचनात्मक टिप्पणी भी की थी.” – पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जीवन परिचय | Shivmangal Singh Suman Biography In Hindi
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ एक प्रख्यात हिंदी कवि और शिक्षाविद थे. इनका जन्म 5 अगस्त 1915 को उन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था. ‘सुमन’ इनका उपनाम है. सुमन जी के दो बेटे ‘अरुणक्षसह और वरुण’ व दो बेटियां ‘उषा और किरण’ हैं.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | “डॉ. शिव मंगल सिंह |
उपनाम | ‘सुमन’ |
जन्म (Date of Birth) | 5 अगस्त 1915 |
आयु | 87 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | उन्नाव, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | ज्ञात नहीं |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | लेखक, कवि |
बच्चे (Children) | दो बेटे, दो बेटियां |
मृत्यु (Death) | 27 नवंबर 2002 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | उज्जैन, मध्य प्रदेश |
अवार्ड (Award) | पद्म भूषण, पद्म श्री |
सुमन जी ने अपनी शिक्षा ग्वालियर, रीवा, इंदौर, उज्जैन आदि स्थानों में जाकर पूर्ण की. शिक्षा में उन्होंने एम. ए. और पी. एच.डी. किया था. इसके बाद इन्होने 1950 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी ने 1968-78 में विक्रम विश्वविद्याल, उज्जैन में कुलपति के रूप में भी कार्य किया है. वह कालिदास अकादमी, उज्जैन के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे. इन्होने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में हिंदी भी पढाई है. सुमन जी कुशल अध्यापक माने जाते हैं, वे प्रारंभ से ही शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए थे और अध्यापन कार्य में संलग्न रहे.
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की रचनायें
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी ने अपने जीवन काल में गद्य रचनायें, कविता संग्रह और नाटक लिखे हैं. गद्य रचनाओं में महादेवी की काव्य साधना, गीति काव्य: उद्यम और विकास, कविता संग्रह में – हिल्लोल (1939), जीवन के गान (1942), युग का मोल (1945), प्रलय सृजन (1950), विश्वास बढ़ता ही गया (1948), विध्य हिमालय (1960), मिट्टी की बारात (1972), वाणी की व्यथा (1980), कटे अँगूठों की वंदनवारें (1991) आदि लिखे हैं.
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कवितायेँ
सांसों का हिसाब, चलना हमारा काम है, मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार, असमंजस, पतवार, सूनी साँझ, विवशता, मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ, आभार, पर आँखें नहीं भरीं, मृत्तिका दीप, जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी…… / भाग 1, भाग 2, भाग 3, बात की बात, हम पंछी उन्मुक्त गगन के, वरदान माँगूँगा नहीं, मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ, तूफानों की ओर घुमा दो नाविक, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला, सहमते स्वर-1, स्वर-2, 3, 4, 5, अंगारे और धुआँ, मैं अकेला और पानी बरसता है, चल रही उसकी कुदाली, मिट्टी की महिमा, रणभेरी, पर आंखें नहीं भरीं आदि हैं. इन्होने एक नाटक भी लिखा है ‘प्रकृति पुरुष कालिदास’.
मिट्टी की बरात, हिल्लोल, जीवन के गान’ शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी के उल्लेखनीय कार्य हैं.
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ को मिले सम्मान एवं पुरस्कार
- 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार
- 1999 में पद्म भूषण
- 1974 में पद्म श्री
- 1958 में देवा पुरस्कार
- 1974 में सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार
- 1973 में डी. लिट्. भागलपुर विश्वविद्यालय
- 1983 में डी. लिट्. जबलपुर विश्वविद्यालय
- 1993 में शिखर सम्मान और भारत भारती पुरस्कार
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की मृत्यु | Shivmangal Singh Suman Death
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी का दिल का दौरा पड़ने से 27 नवंबर 2002 में 87 वर्ष की आयु में उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्वर्गवास हो गया.
सुमन जी प्रारम्भ से साहित्य प्रेमी रहे हैं, उन्हें साहित्य आदि विषयों पर चर्चा करना अच्छा लगता था. उन्होंने साहित्य को कभी भी बोझ नहीं माना. उनका व्यक्तित्व अत्यधिक सरल था. वे अपने प्रशंसकों से कहते थे…
“मैं विद्वान नहीं बन पाया. विद्वता की देहरी भर छू पाया हूँ. प्राध्यापक होने के साथ प्रशासनिक कार्यों के दबाव ने मुझे विद्वान बनने से रोक दिया.“
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