सुभद्रा कुमारी चौहान जीवन परिचय
Subhadra Kumari (Poet) Biography, Poems, Rachnaye, Short Stories, Death, Awards In Hindi
जहाँ तुम्हारे चरण, वहीँ पर पद-रज बनी पड़ी हूँ मैं .
मेरा निश्चित मार्ग यही है, ध्रुव-सी अटल अड़ी हूँ मैं..
पुरुष प्रधान युग में अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाने वाली लेखिका, स्वतंत्रता सेनानी, सुभद्रा कुमारी जी नेअपनी कविताओं के माध्यम से लोगो को अपने देश की संप्रभुता के लिए लड़ने बहुत प्रेरित किया है. हर वर्ष Googl Doodle बनाकर नके जन्मदिन को मनाता है .
वीर रस की सुप्रसिद्ध कवयित्री कही जाने वाली लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म सन 16 अगस्त 1904 ई. को इलाहाबाद के एक गाँव निहालपुर में हुआ था. इनके पिता का नाम रामनाथ सिंह था, वे एक जमीदार थे. वे शिक्षा को प्रमुखता देते थे. ये चार बहनें और दो भाई थे.
सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय | Subhadra Kumari Biography In Hindi
बचपन से ही इन्होने कवितायेँ लिखना प्रारम्भ कर दिया था. ये अपनी सुप्रसिद्ध कविता ‘झाँसी की रानी’ के लिए पहचानी जाती हैं. इनकी कविताओं में राष्ट्रवादिता देखने को मिलती है. जब ये इलाहबाद में थी तब महादेवी वर्मा इनकी सहपाठी थी. ये प्रारम्भ से ही मेधावी छात्रा थीं और प्रथम आया करती थीं. ये अतिशीघ्र कविता लिख लेती थीं.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | सुभद्रा कुमारी चौहान |
जन्म (Date of Birth) | 16 अगस्त 1904 ई. |
आयु | 44 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | रामनाथ सिंह |
माता का नाम (Mother Name) | ज्ञात नहीं |
पति का नाम (Husband Name) | लक्ष्मण सिंह |
पेशा (Occupation ) | कवि,लेखक |
बच्चे (Children) | 5 |
मृत्यु (Death) | 14 फरवरी 1948 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | सिवनी |
भाई-बहन (Siblings) | चार बहनें, दो भाई |
लेखन | वीर रस |
16 वर्ष की आयु में सुभद्रा जी का विवाह सन 1919 में खंडवा के एक ठाकुर परिवार में लक्ष्मण सिंह से करवा दिया गया. इसके बाद वे जबलपुर चली गयीं. 1921 में इन्होने पढ़ाई छोड़ दी और गांधी जी द्वारा चलाया गया ‘असहयोग आन्दोलन’ में सक्रीय रूप से भाग लिया और इस कारण से दो बार जेल भी गयीं और कई प्रकार की यातनाएं भी सही.
ऐसा कहा जाता है कि इस आन्दोलन में भाग लेनी वाली वह प्रथम महिला थीं. एक वीर स्वाभाव की रचयिता होने के कारण वे स्वाधीनता संग्राम की सेनानी भी थीं. इनकी पाँच संताने थीं. इनकी जीवनी के बारे में ‘मिला तेज से तेज’ नामक पुस्तक से पता चलता है. यह उनकी पुत्री सुधा चौहान ने लिखी थी. सन 1976 में सुभद्रा कुमारी जी पर 25 पैसे का एक डाक टिकट जारी किया गया. इसके साथ ही 28 अप्रैल 2006 में भारतीय तटरक्षक सेना ने एक जहाज का नाम उनके नाम पर रखा.
सुभद्रा जी की मृत्यु | Subhadra Kumari Death
सुभद्रा जी की मृत्यु 14 फरवरी 1948 में सिवनी में एक सड़क दुर्घटना के कारण हुई थी.
सुभद्रा रचनायें
सुभद्रा कुमारी चौहान जी की रचनाओं में वीर रस की प्रधानता है क्योंकि उस समय राजनैतिक युग उथल – पुथल था. सुभद्रा जी ने 88 कवितायें और 46 कहानियों की रचना की है. सुभद्रा जी का पहला काव्य- संग्रह ‘मुकुल’ 1930 में प्रकाशित हुआ था. ‘झाँसी की रानी’ इनकी बहुचर्चित कविता है जिसमें इन्होने झाँसी की रानी के जीवन की शौर्य गाथा का वर्णन किया है.
कहानी संग्रह
- बिखरे मोती (1932)
- उन्मादिनी (1934)
- सीधे साधे चित्र (1947)
कविता संग्रह
- मुकुल
- त्रिधारा
सुभद्रा जी की अन्य प्रसिद्ध कवितायेँ ‘वीरों का कैसा हो बसंत, राखी की चुनौती और विदा’ हैं. इन कविताओं में आज़ादी के आन्दोलन के बारे में दिखाई पढ़ता है. सुभद्रा जी की कवितायेँ राष्ट्र भावना से ओत – प्रोत हैं और देश भक्ति की भावना को जगा देती हैं.
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