सुचेता कृपलानी का जीवन परिचय | Sucheta Kriplani Biography, History, Birth, Education, Life, Death, Role in Independence in Hindi
मैं हूँ हनुमान और..भारत देश मेरा राम है, देख लो छाती चीर कर, दिल में हिंदुस्तान है !
– Sucheta Kriplani
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में कई वीरों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया. वह समय ऐसा था जब महिलाएँ शिक्षा लेने केलिए भी स्वतंत्र नहीं थी. लेकिन, ऐसी कुछ महिलाएँ थी जिन्हे यह प्रतिबन्ध अमान्य थे, वे पढ़ना चाहती थी, अपने देश केलिए कुछ करना चाहती थी. इन्ही महिलाओं में सुचेता कृपलानी का नाम सन्मानपूर्वक लिया जाता है. सुचेता कृपलानी एक भारतीय स्वतत्रता सेनानी थी एवं राजनीतिग्य थीं. उन्हें भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनने का सन्मान प्राप्त हुआ है. तो आइये इस लेख में सुचेता कृपलानी का जीवन परिचय विस्तार से जानते है.
प्रारम्भिक जीवन | Sucheta Kriplani Early Life
नाम | सुचेता कृपलानी |
वास्तविक नाम | सुचेता मजूमदार |
जन्मतिथि | 25 जून 1904 |
जन्मस्थान | अम्बाला,पंजाब |
पिता | सुरेन्द्रनाथ मजुमदार |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
सुचेता कृपलानी का जन्म 25, जून, 1908 को हरियाणा के अम्बाला में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनका वास्तविक नाम सुचेता मजूमदार था. इनके पिता सुरेन्द्रनाथ मजुमदार एक चिकित्सा अधिकारी थे. उन्हें एक बहन थी जिसका नाम शुलेखा था.
इनके पिताजी एक चिकित्सा अधिकारी होने के कारण उनकी कई बार स्थानांतरण हुआ, परिणामतः उन्हें कईबार स्कूल बदलना पड़ा था. उन्होंने अंतिम डिग्री सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से इतिहास विषय में हासिल की.
शिक्षा पूर्ण होने के बाद उन्होंने बनारस हिंदु यूनिवर्सिटी में अध्यापिका के रूप में कार्य किया. दौरान 1936 में उनका विवाह जे. बी. कृपलानी से हुआ. जे. बी. कृपलानी ने भी भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में महत्वपूर्ण कार्य किया है.
राजनैतिक जीवन | Sucheta Kriplani Political Life
सुचेता कृपलानी महात्मा गांधी जी के विचारों से प्रभावित थी. उन्होंने गांधीजी के करीब रहकर कार्य किया. उन्होंने कई आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ी सुचेता जी कई बार जेल भी गयीं.
वह अरुणा असफ अली और ऊषा मेहता के साथ कई आंदोलनों में शामिल हुई. भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया था. उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने हड़ताली कर्मचारियों को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ हड़ताल वापस लेने पर मजबूर किया. भारत छोड़ो आंदोलन में जब वह गिरफ्तार हो गयी थी, इस दौरान उन्होंने भूमिगत होकर महिलाओं का संगठन किया और पुलिस से छुपते-छुपाते दो साल तक आंदोलन भी चलाया.
आज़ादी के बाद हुए पहले चुनाव में सुचेता कृपलानी नई दिल्ली लोकसभा सीट से 1952 और 1957 में लगातार दो बार चुनी गयी. 1962 में कानपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनीं गयीं. 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गई. 1958 से 1960 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव थी. 1963 से 1967 तक सुचेता जी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं. इससे पहले वह दो बार लोकसभा के लिए भी चुनी गयीं थीं.
निधन | Sucheta Kriplani Death
सुचेता जी फैजाबाद से एनसीओ उम्मीदवार के रूप में 1971 का चुनाव हार गईं. इसके बाद वह राजनीति से सेवानिवृत्त हो गयी. उनका निधन 1 दिसंबर 1974 को 70 साल की आयु में नई दिल्ली में हुआ.
सन्मान | Sucheta Kriplani Honor
सुचेता कृपलानी जी के निधन के शोक में श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि – “सुचेता जी ऐसे दुर्लभ साहस और चरित्र की महिला थीं, जिनसे भारतीय महिलाओं को सम्मान मिलता है”.
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