कवि सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ का जीवन परिचय, रचनाएँ
Sudama Pandey (Dhoomil) Biography, Birth, Death, Education, Awards, Poems In Hindi
सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ हिंदी साहित्य के समकालीन कविता के दौर के प्रसिद्ध कवि रहे है. ये अपनी कविताओं के माध्यम से समाज और राजनीतिक बुराइयों के प्रति तीखा तंज कसते थे. विफल जनतंत्र के साथ आम आदमी की विवशता और उच्च मध्यवर्गों के आपराधिक चरित्रों को कविता के माध्यम से चित्रित करने में धूमिल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इनका रहन सहन इतना साधारण था कि उनकी मृत्यु के समाचार रेडियो पर सुनने के बाद उनके घर वालो को पता लगा कि वे इतने बड़े प्रसिद्ध कवि थे.
कवि सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ का जीवन परिचय | Sudama Pandey (Dhoomil) Biography In Hindi
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | सुदामा पांडेय |
उपनाम | ‘धूमिल’ |
जन्म (Date of Birth) | 9 नवम्बर 1936 |
आयु | 39 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | गाँव खेवली, वाराणसी, उत्तरप्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | शिवनायक ओण्डेय |
माता का नाम (Mother Name) | रजवंती देवी |
पत्नी का नाम (Wife Name) | मूरत देवी |
पेशा (Occupation ) | लेखक, कवि |
बच्चे (Children) | रत्नशंकर पांडेय |
मृत्यु (Death) | 10 फरवरी 1975 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | ज्ञात नहीं |
अवार्ड (Award) | साहित्य अकादमी पुरस्कार |
प्रारंभिक जीवन एवं परिवार | Sudama Pandey (Dhoomil) Family
सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ का जन्म 9 नवंबर 1936 को गाँव खेवली, वाराणसी, उत्तरप्रदेश में हुआ. इनके पिता शिवनायक पांडे एक मुनीम थे. जब वे ग्यारह वर्ष के थे तब इनके पिता का देहांत हो गया. जिस कारण इनका बचपन काफ़ी संघर्षो में बीता. इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव खेवली में ही सम्पन्न हुई. 1953 में जब इन्होंने हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की तब वे अपने गांव के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने मैट्रिक पास की थी. आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण उन्होंने इंटर कॉलेज, वाराणसी से अपनी पढ़ाई बीच मे ही छोड़ दी. लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने अपनी शिक्षा पुनः शुरू करते हुए 1958 में वाराणसी से विघुत का डिप्लोमा प्राप्त किया. तथा उनका बौद्धिक विकास पुस्तकालयों से हुआ. इस बीच 12 वर्ष की अल्पायु में उनका विवाह मूरत देवी से हुआ.
कार्यक्षेत्र:-
अपने विवाह के बाद रोजगार की तलाश में सुदामा पांडेय कलकत्ता आ गए. यहाँ शुरुआत में उन्होंने मजदूर के रूप में लोहा ढोने का काम किया. लेकिन इसकी जानकारी पाते ही उनके सहपाठी मित्र तारकनाथ पांडे ने उन्हें एक लकड़ी की कम्पनी (मैसर्स तलवार ब्रदर्ज़ प्रा. लि०) में नौकरी दिलवा दी. डेढ़ वर्ष तक नौकरी करने के बाद वे बीमारी के कारण पुनः घर लौट आए. इसके बाद उन्होंने 1958 में प्रथम श्रेणी से प्रथम स्थान लेकर विद्युत का डिप्लोमा प्राप्त किया औऱ वहीं विद्युत अनुदेशक के पद पर नियुक्त हो गए. फिर यही नौकरी व पदोन्नति पाकर वे बलिया, बनारस व सहारनपुर में कार्यरत रहे. 1974 में उनका स्थानांतरण सीतापुर हुआ. लेकिन यहाँ वे अस्वस्थ बने रहे.
कवि सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ साहित्यिक जीवन परिचय
सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ हिंदी साहित्य के ‘तेजस्वी सूर्य’ थे. उन्होंने देश और समाज मे व्याप्त बुराइयां, कुरीतियां, लोगो का शोषण, लोगो के अधिकारों का दमन जैसे विषयों पर अपनी कविता के माध्यम से सन्देश दिया. वे राजनीतिक चेतना और जागरूकता के कवि रहे है. वे स्वाधीनता के बाद भी लोगो के अधिकारों से वंचित करने वाली पूंजीवादी और सामंतवादी व्यवस्था के विरोध में रहे. इस पर उन्होंने अपनी कविताओं में तीखे लहजे में तंज कसे. इन्होंने मात्र विषय के स्तर पर ही नही अपितु भाषा-शैली के स्तर भी अपनी अलग पहचान बनाई. इनकी भाषा काव्य-सत्य को जीवन सत्य के अधिकाधिक निकट लाती है. इनकी भाषा मे आक्रमकता, तीखेपन एवं व्यंग्य के साथ ग्रामीण जीवन की सरलता भी है. सुदामा पांडेय के जीवित रहते 1972 में उनका एकमात्र काव्य संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ प्रकाशित हो पाया.
कवि सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ की रचनाएं
काव्य संग्रह–
- संसद से सड़क तक
- कल सुनना मुझे
- धूमिल की कविताएं
- सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र
कविताएं–
- मोचीराम
- बीस साल बाद
- पटकथा
- रोटी और संसद
- लोहे का स्वाद
सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ की प्रसिद्ध कविताएं
एक आदमी
रोटी बेलता है.
एक आदमी रोटी खाता है.
एक तीसरा आदमी भी है.
जो न रोटी बेलता है और न रोटी खाता है.
वह सिर्फ रोटी से खेलता है.
मैं पूछता हूं कि वह तीसरा आदमी कौन है ?
मेरे देश की संसद मौन है !
लोकतंत्र-
वे घर की दीवारों पर नारे
लिख रहे थे
मैंने अपनी दीवारें जेब में रख लीं
उन्होंने मेरी पीठ पर नारा लिख दिया
मैंने अपनी पीठ कुर्सी को दे दी
और अब पेट की बारी थी
मै खूश था कि मुझे मंदाग्नि की बीमारी थी
और यह पेट है
मैने उसे सहलाया
मेरा पेट
समाजवाद की भेंट है
और अपने विरोधियों से कहला भेजा
वे आएं- और साहस है तो लिखें,
मै तैयार हूं
न मैं पेट हूं
न दीवार हूं
न पीठ हूं
अब मै विचार हूं.
कवि सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ पुरस्कार | Sudama Pandey (Dhoomil) Awards
सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ को उनकी प्रसिद्ध काव्य रचना ‘कल सुनना मुझे’ के लिए वर्ष 1979 में प्रतिष्ठित‘साहित्य अकादमी पुरस्कार“ से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उन्हें मरणोपरांत दिया गया.
मृत्यु | Sudama Pandey (Dhoomil) Death
1974 में सीतापुर में नौकरी करते हुए सुदामा पांडेय को सिर दर्द हुआ जिसके कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया. जहां उन्हें ब्रेन ट्यूमर बताया. फिर नवम्बर 1974 में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में उनके मस्तिष्क का ऑपरेशन हुआ. जिसके बाद वे कोमा में चले गए. इसके बाद 10 फरवरी 1975 को उनकी मृत्यु हो गई.
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