मुक्केबाज विजेंदर सिंह की जीवनी, करियर, ड्रग विवाद | Indian Boxer Vijender Singh Biography, Career, Drug Controversy in Hindi
विजेंदर सिंह भारत के महानतम खिलाड़ियों में से एक है. विजेंदर सिंह मुक्केबाजी में भारत का प्रतिनिधित्व करते है. विजेंदर सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था. उनके पिता महिपाल सिंह बेनीवाल हरियाणा में बस ड्राईवर है. माँ कृष्णा देवी बेनीवाल गृहणी है. विजेंदर एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते है. विजेंदर के पिता की आमदनी इतनी अच्छी नहीं थी इसलिए वे अपने नियत समय से अधिक समय तक कार्य करके विजेंदर की हर छोटी बड़ी ख्वाहिश पूरी कर दिया करते थे.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
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नाम (Name) | विजेंदर सिंह |
जन्म (Birth) | 29 अक्टूबर 1985 |
पिता का नाम (Father Name) | महिपाल सिंह बेनीवाल(बस ड्राईवर) |
माता (Mother Name) | कृष्णा(एक गृहणी) |
पत्नी (Wife Name) | अर्चना सिंह (वि. 2011) |
जन्म स्थान (Birth Place) | कलुवास, भिवानी, हरियाणा |
शिक्षा (Education) | ग्रेजुएट |
संतान (Children) | 1 पुत्र |
डेब्यू (Debut) | Athens Summer Olympics (2004) |
शुरूआती जीवन परिचय (Vijender Singh Biography)
विजेंदर सिंह ने अपनी शुरूआती पढाई भिवानी से ही पूरी की. विजेंदर ने ग्रेजुएशन भी भिवानी जिले से किया. विजेंदर को कॉलेज के दिनों से ही मुक्केबाजी करने का शौक था. विजेंदर को मुक्केबाजी और कुश्ती देखने में बड़ा मज़ा आता था. वे कई बार अपने दोस्तों के साथ कुश्ती और मुक्केबाजी के मुकाबले देखने भी जाया करते थे. कुछ समय बाद विजेंदर ने भिवानी के ही बॉक्सिंग क्लब में प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया. बॉक्सिंग क्लब में उस समय के नेशनल प्लेयर जगदीश सिंह ट्रेनिंग दिया करते थे. उन्होंने ही विजेंदर को ट्रेनिंग दी थी. विजेंदर के सफल करियर की शुरुआत स्टेट लेवल जीतने के साथ हुई थी. 2000 में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर मैडल जीत कर सभी को चौका दिया था. विजेंदर सिंह 2003 में आल इंडिया यूथ बॉक्सिंग चैंपियन बने थे. उन्होने इंटरनेशनल लेवल के कई ट्रायल्स में हिस्सा भी लिया. पर वे सेलेक्ट होने में नाकामयाब रहे थे. वे अपने जीवन में माइक टाइसन और मोहम्मद अली से काफी प्रेरित हुए.
करियर (Vijender Singh Career)
विजेंदर सिंह ने मुक्केबाजी में भारत का नाम रोशन किया है. विजेंदर सिंह ने कई बार भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जिताए है. विजेंदर सिंह ने बॉलीवुड में अभिनय भी किया है. उन्हें अभिनय का शौक बचपन से ही था. विजेंदर ने अक्षय कुमार द्वारा निर्मित फिल्म फग्ली में अभिनय का डेब्यू किया. फिल्म ने बॉक्स-ऑफिस पर ठीक-ठाक कमाई की थी. सन् 2004 में विजेंदर ने एथेंस समर ओलिंपिक में वेल्टरवेट विभाग में भाग लिया था. पर आखिर में तुर्की के मुस्तफा करागोल्ला से 20-25 के स्कोर से हार गए थे.
सन् 2006 में विजेंदर ने कॉमनवेल्थ गेम्स के मुक्केबाजी के फाइनल में प्रवेश कर लिया था. पर फाइनल में उनकी बुरी तरह से हार हुई. फाइनल में विजेंदर सिंह को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा. उस फाइनल में हारने का कारण विजेंदर का वज़न था. विजेंदर सिंह ने तय किया की वे अपना वज़न घटाएंगे. लेकिन वजन घटने से भी विजेंदर को कोई फायदा नहीं हुआ. उसी साल एशियाई गेम्स में विजेंदर सिंह ने मुक्केबाजी में कांस्य पदक ही जीत पाए. उस दौरान उन्हें कई चोट भी लगी. पर वे 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में क्वालीफाई करने में सफल रहे. सन् 2007 में विजेंदर मुक्केबाजी की प्रैक्टिस के लिए जर्मनी गए. विजेंदर सिंह ने भारत के लिए ओलिंपिक में भी कांस्य जीता. लेकिन विजेंदर ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली थी. विजेंदर भारत के पहले मुक्केबाज़ थे जिन्होंने ओलिंपिक में मुक्केबाजी में पदक जीता था.
बीजिंग ओलिंपिक के कुछ समय बाद सन् 2009 में विजेंदर को राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से भी नवाज़ा गया था. विजेंदर ने अर्चना सिंह के साथ सन् 2011 में शादी की. इसी साल विजेंदर सिंह ने दक्षिण की एक फिल्म पटियाला एक्सप्रेस में अभिनय किया था. लेकिन फिल्म किसी निजी दिक्कत के कारण बंद हो गयी थी. साल 2012 के लन्दन ओलिंपिक में क्वाटर फाइनल में हारने के साथ ही विजेंदर को कोई पदक हाथ नहीं लगा.
ड्रग विवाद (Vijender Singh Drug Controversy)
6 मार्च 2012 को चंडीगढ़ के पास NRI रेजीडेंसी में पंजाब पुलिस ने 26 किलो हेरोइन और कुछ अन्य दवाएं ज़ब्त की थी. पंजाब पुलिस के मुताबिक ड्रग्स एक कार से बरामद हुई थी ये कार विजेंदर की पत्नी की थी. कार ड्रग डीलर अनूप सिंह कोहली के घर के बाहर मिली थी. कुछ समय बाद पंजाब पुलिस ने विजेंदर सिंह की भी जांच कराई. जांच में पता चला की विजेंदर ने 12 बार ड्रग्स लिए थे. लेकिन पुख्ता सबूत के लिए पुलिस ने विजेंदर के बाल और खून को जांच के लिए भेज दिया. पर 2013 में नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी ने विजेंदर को ऑल क्लीन का प्रमाण देकर दोष मुक्त कर दिया.
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