विष्णु खरे का जीवन परिचय, जन्म, भाषाशेली, काव्य
Vishnu Khare Biography, Poems, Awards, Rachnaye, Books in Hindi
भारतीय कवि, अनुवादक, साहित्यकार, पत्रकार, पठकथा लेखक थे. हिंदी साहित्य के रुप में जीवन चलाने का जो जरिया चुना था उस समय बो उनके लिए नाकाफी रहा जीवन भर हिंदी साहित्य की सेवा करने वाले इस सख्स की एक अलग ही पहचान है.
विष्णु खरे का जीवन परिचय | Vishnu Khare Biography, Poems in Hindi
एक विचारक के रूप में अपनी भूमिका बनाने वाले इस हिंदी साहित्यकार का जन्म सन 9 फ़रवरी सन 1940 में छिंद्बाडा जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था. विष्णु खरे एक मध्यम वर्गीय परिवार के सदस्य थे. इन्हें बाल्यकाल में अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ा. खरे जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा छिंद्बाडा मध्य प्रदेश में ही पूरी की. 1963 ईसवी में इन्होंने इंदौर के क्रिश्चियन कालेज से अंग्रेजी साहित्य में परस्नातक की उपाधि प्राप्त की. एम. ए. करने के बाद विष्णु खरे ने दैनिक समाचार, इंदौर समाचार में 1962-1963 के मध्य उप संपादक के रूप में अपनी सेवाओं को दिया और यहीं से विष्णु खरे ने पत्रकारिता की दुनिया में अपना कदम रखा.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | विष्णु खरे |
जन्म (Date of Birth) | 09/02/1940 |
आयु | 70 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | छिंद्बाडा, मध्य प्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | ज्ञात नहीं |
पेशा (Occupation ) | आर्मी अफसर |
बच्चे (Children) | ज्ञात नहीं |
मृत्यु (Death) | 19 सितम्बर 2018 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | दिल्ली |
अवार्ड (Award) | हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान |
इसके बाद पत्रकारिता को एक नया आयाम देने के लिए वे और अधिक प्रयास करने लगे. पत्रकारिता के साथ-साथ विष्णु खरे ने अपनी 1963 के मध्य दिल्ली एवं मध्य प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य प्रारम्भ कर दिया. अध्यापन कौशल के माध्यम से वे छात्रों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करने लगे. इसी के चलते खरे जी ने 1966-1967 ईसवी में अपनी लघु पत्रिका ‘’व्यास’’ का संपादन किया. हिंदी साहित्य के प्रति खरे जी का ज्ञान देखकर हिंदी साहित्य अकादमी मंडल ने इन्हें उप सचिव के पद पर नियुक्त किया.
उप सचिव के पद पर खरे जी ने 1976 से 1984 के मध्य तक अपनी सेवाएं प्रदान की. संपादन के कार्य के साथ – साथ ही विष्णु खरे ने दुनिया के प्रमुख कवियों की कविताओं का चयन किया और अपनी विशिष्ट शैली के माध्यम से उन सब कविताओं का आनुवाद किया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय कवियों की रचनाओं का स्वर सरलता पूर्वक एवं एक सरल भाषा शैली के माध्यम से भारतीय साहित्य प्रेमियों के बीच पहुँच सकें. विष्णु खरे जी पत्रकारिता और साहित्य दोनों ही दिशाओं में अपनी सेवाओं को देते रहे हैं. साहित्य में विष्णु खरे का बहुत बड़ा योगदान रहा है.
सम्मान
विष्णु खरे जी हिंदी साहित्य के प्रतिनिधि कवियों में से एक थे. वे प्रतिनिधि कवियों की एक सबसे अलग और प्रखर आवाज हुआ करते थे. उन्हें हिंदी साहित्य के ‘ऑर्डर ऑफ द व्हाइट रोज ऑफ़ फ़िनलैंड’ सम्मान, हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान, शिखर सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान, मैथलीशरण गुप्त सम्मान आदि सम्मानों से सम्मानित किया गया.
रचनायें
विष्णु खरे जी हिंदी साहित्य के विश्व प्रसिद्ध रचनाओं के अनुवादन के रूप में याद किये जाते हैं. विष्णु खरे जी की प्रमुख रचनाओं में ‘काल और अवधि के दरमियान, खुद अपनी आँख से, पिछला बाकी, लालटेन जलना, सब की आवाज के पर्दे में, आलोचना की पहली किताब आदि रचनाये शामिल हैं .
विष्णु खरे जी की मृत्यु | Vishnu Khare Death
मृत्यु के दौरान विष्णु खरे को लगभग दो हफ्ते पहले दिल्ली के मयूर विहार पर स्थित अपने ही घर में ब्रेन हेमरेज हो गया था. इसके बाद वे दिल्ली के जी.बी. पंत सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती किया गया. ब्रेन हेमरेज की बजह से उनके शरीर के एक भाग में लकवा लग गया था, उसकी वजह से वे कोमा में चले गए थे. उनकी ऐसी हालत की बजह से ट्रीटमेंट के लिए कई सीनियर डाक्टर भी वहाँ मौजूद थे. उनकी हालत और भी गंभीर होती गयी और इस दौरान सन 19 सितम्बर 2018 को इसी लम्बीं बीमारी के चलते उनका स्वर्गवास हो गया.
विष्णु खरे जी के अतुलनीय कार्य और हिंदी साहित्य में अपूर्व योगदान के लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है. वास्तव में वे एक महान साहित्यकार थे.
इसे भी पढ़े
visanu khare ki death Delhi me hu yeh mhan kavi me se ak ha enoho ne kae kavy likha ha jo asdhunik kaal ko darsat ta ha