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]]>क्यों पहनते है पीले रंग के वस्त्र-
बसंत उत्सव को प्रकृति का उत्सव माना जाता है. जिस प्रकार यौवन हमारे जीवन का बसंत है उसी प्रकार बसंत इस सृष्टि का यौवन है. गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’ कहकर ऋतुराज बसंत को अपनी विभूति माना है. शास्त्रों एवं पुराणों में वसंत पंचमी और माँ सरस्वती की पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है.
कथा कुछ इस प्रकार है की-
जब प्रजापति ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु की आज्ञा से सृष्टि की रचना की. और जब इस संसार को देखा तो उन्हें यहाँ पर चारों ओर सुनसान और निर्जन ही दिखाई दिया था. सम्पूर्ण वातावरण में उदासी छाई हुई थी. चारो ओर निरसता फैली थी. जैसे किसी की वाणी ही न हो. यह सब देखकर ब्रह्माजी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने का सोचा और अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का. ब्रम्हाजी द्वारा छिडके हर जल कणों के पड़ते ही पेड़ों से एक प्रकार की शक्ति उत्पन्न हुई जो अपने दोनों हाथों से वीणा का वादन कर रही थी तथा दो अन्य हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई थी. उस देवी ने जीवों को वाणी दान की. इसी कारण उस देवी शक्ति को सरस्वती कहा गया. और आज हम उस देवी माँ सरस्वती कहते है. जो ज्ञान की देवी भी कही जाती है.
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पीला रंग के वस्त्र पहनने के पीछे छुपा है राज
माँ सरस्वती विद्या और बुद्धि की दात्री है. इसी कारण बसंत पंचमी के दिन हर घर में माँ सरस्वती की पूजा की जाती है. वसंत ऋतू के आगमन पर प्रकृति चारों तरफ अपने रंग बिखेरने लगती है. शायद ही कोई ऐसा हो जो इस ऋतु आगमन पर खुश नही होता होगा. हर कोई खुशी से वसंत का स्वागत करता है. पीला रंग प्रकृति का माना जाता है. और चटख पीला रंग वसंत का भी होता है. इस दिन पीले रंग को पहनने का महत्व इसिलिये भी अधिक है क्योकि पीला रंग हमरे दिमाग को संक्रिय करता है. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार रंगों का हमारे जीवन से गहरा नाता है.. इस बात को वैज्ञानिक भी मानते हैं. पीला रंग उमंग बढ़ाने में सहायक होता है. इसीकारण इस दिन पीले वस्त्र को पहनने का अधिक महत्व दिया जाता है.
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आज है गजकेसरी योग-
वर्षभर में आने वाली छह ऋतुओं, बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर में बसंत को ऋतुराज अर्थात सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार इस बार बसंत पंचमी पर छात्रों के लिए शुभ विद्या योग और अन्य सभी के लिए गजकेसरी योग बन रहा है.
क्या है गज केसरी योग-
गजकेसरी” योग के सम्बन्ध में यह मान्यता है कि यह योग व्यक्ति को “गज के समान” स्वर्ण देने की संभावनाएं देता है. राजयोगों व धनयोगों के बाद गजकेसरी योग के फलों का विचार किया जाता है. गजकेसरी योग पूर्ण रुप से जब किसी व्यक्ति कि कुण्डली में बन रहा होता है तो व्यक्ति को गुरु व चन्द्र की दशा में इसके शुभ फल प्राप्त होते है.
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]]>The post बसंत पंचमी 2024 (तिथि, दिनांक, मुहूर्त, महत्व) पूजा विधि और कथा appeared first on Dil Se Deshi.
]]>माँ सरस्वती की आराधना का त्यौहार कहा जाने वाला बसंत पंचमी का त्यौहार, पूरे भारत वर्ष में यह बसंत के मौसम की शुरुआत और देवी सरस्वती के जन्म के दिन के रूप में मनाया जाता है. माँ सरस्वती जो ज्ञान, शिक्षा और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं, इस दिन इनकी पूजा करके आशीर्वाद माँगा जाता है.
यह दिन होली के रंगीन त्यौहार के आगमन की भी घोषणा करता है. इस दिन माँ सरस्वती के साथ-साथ सभी ग्रंथो, पुस्तकों और संगीत यंत्रों की भी पूजा की जाती हैं. बसंत पंचमी का त्यौहार केवल भारत में हिंदुओं द्वारा ही नहीं बल्कि नेपाल और बाली में भी मनाया जाता है.
हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती हैं. इस दिन मौसम के राजा बसंत का आगमन होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी ज्यादातर फरवरी माह में आती हैं. बसंत पंचमी का यह त्यौहार प्रकृति के बदलाव का प्रतीक हैं. प्रकृति के सभी प्राकृतिक बदलाव इस बसंत मौसम के आने के बाद शुरू होते हैं.
बसंत पंचमी की तारीख (Basant Panchami 2024 Date) | 13 फरवरी, 2024 |
वार (Day) | बुधवार |
बसंत पंचमी तिथि | माघ माह, शुक्ल पक्ष पंचमी, विक्रम संवत् 2075 |
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त ( Basant Panchami 2024 Time) | सुबह 07:00:50 बजे से दोपहर 12:35:33 तक |
कुल समय | 5घंटे 34 मिनिट |
जैसा की आप जानते है गत वर्ष हमारे समाज पर बहुत बड़ी विपदा आई थी और उसी के चलते कई लोगो ने अपने विवाह को टालकर आगे बड़ा दिया था. आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, शादी करनेवालो के लिए ये खुश खबरी है कि 13 फरवरी, 2024, बसंत पंचमी किसी भी शुभ काम के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है, इसलिए जो घोड़ी चड़ने के लिए उत्सुक है या जो डोली में विदा होने के लिए तैयार है वो लोग इस दिन शादी कर सकेंगे.
बसंत पंचमी के दिन के लिए बहुत सी कथाएँ प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार ब्रह्मा ने जब ब्रह्मांड की रचना की थी तब सम्पूर्ण धरती पर चारों तरफ मौन था. ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल की एक बूँद झिड़क कर माँ सरस्वती की रचना की. इस तरह सरस्वती जी ब्रह्माजी की पुत्री कहलायी.
माँ सरस्वती के जन्म के साथ ही उनकी भुजाओं में वीणा, पुस्तक और आभूषण थे. जब माता सरस्वती से वीणा वादन का आग्रह किया गया. जैसे ही उन्होंने वीणा वादन शुरू किया. वीणा से उत्पन्न स्वर से पृथ्वी पर कम्पन्न हुआ और पृथ्वी का सूनापन समाप्त हुआ. इन स्वरों की वजह से ही मनुष्यों को वाणी की प्राप्ति हुई. पृथ्वी के चेतना के लिए आवश्यक तत्वों की उत्पत्ति माँ सरस्वती ने ही की थी.
एक और प्रचलित कथा के अनुसार जब प्रभु श्रीराम ने सीता माता की खोज में जब वह दंडकारण्य में पहुंचे थे. तब उन्होंने बसंत पंचमी के दिन ही शबरी के बेर खाकर समाज में एकात्मता का सन्देश दिया.
बसंत पंचमी कोट्स पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
अर्थ – कुन्द, चन्द्र, तुषार के हार के समान गौरवपूर्ण शुभ्र वस्त्र धारण करने वाली, वीणा के सुन्दर दण्ड से सुशोभित हाथों वाली, श्वेत कमल पर विराजित, ब्रहा, विष्णु, महेश आदि सभी देवों के द्वारा सर्वदा स्तुत्य, समस्त अज्ञान और जड़ता की विनाशनी देवी सरस्वती मेरी रक्षा करे.
पूरी सरस्वती वंदना हिंदी अर्थ सहित जानने के लिए यहाँ क्लिक करे – पूर्ण सरस्वती वंदना
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]]>The post वैभव पंवार का जीवन परिचय | Vaibhav Pawar Biography in Hindi appeared first on Dil Se Deshi.
]]>श्रेणी | विवरण |
---|---|
नाम | वैभव पंवार |
जन्म तिथि (DOB) | 13 अगस्त 1988 |
जन्म स्थान | बरघाट, जिला-सिवनी, मध्य प्रदेश |
गाँव | बरघाट |
शिक्षा | बीई (इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार), एमबीए (शहरी ग्रामीण प्रबंधन और मानव संसाधन) |
कॉलेज | राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय, बरकतुल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल |
वैवाहिक स्थिति | डॉ. नीलम पवार से विवाहित |
जाति | पंवार (क्षत्रिय) |
वर्तमान पद | भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के अध्यक्ष |
पार्टी संलग्नता | भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा) |
ऊचाई | 5′ 9″ फीट |
वजन | 176 पाउंड (80 किग्रा) |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
शौक | यात्रा करना |
राजनीतिक सफलता का सफर:
भाजपा में संलग्नता:
युवा नेता की सकारात्मक विशेषता का परिचय:
सामाजिक कार्यों में योगदान:
इस प्रकार, वैभव पंवार एक सक्रिय और समर्पित युवा नेता हैं, जो अपने सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में कार्यरत हैं और युवा पीढ़ी को समर्थन और प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं.
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]]>The post 26 जनवरी शायरी | Republic Day Shayari | Republic Day Status Hindi appeared first on Dil Se Deshi.
]]>आजादी का जोश कभी कम न होने देंगे,
जब भी जरूरत पड़ेगी देश के लिए जान भी लूटा देंगे,
भारत हमारा देश है अब दोबारा इस पर आंच न आने देंगे।
गांधी स्वप्न जब सत्य बना,
देश तभी जब गणतंत्र बना,
आज फिर से याद करें वो विरों का त्याग,
जिनसे भारत गणतंत्र बना…
Happy Republic Day
तैरना है तो समंदर में तैरो
नदी नालों में क्या रखा है,
प्यार करना है तो वतन से करो
इस बेवफ़ा लोगों में क्या रखा है ||
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं.
अलग है भाषा, धरम जात
और प्रांत, बेश, परिवेश…
परंतु
हम सबका है एक है गौरव
राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठ
मैं भारतवर्ष का सम्मान करता हूँ,
इसकी चांदनी और मिट्टी का गुणगान करता हूँ,
मैं चिंता नहीं करता स्वर्ग में जन्नत पाने की,
तिरंगा हो कफन मेरा बस यही अरमान रखता हूँ।
इस देश का ~ #लोकतंत्र लोभ 😋 तंत्र से उबर कर…!!
वास्तविक #लोकतंत्र 🤨 हो जाए ऐसी प्रभु 🕉️ से कामना है !!
चलो फिर से खुद को जागते है,
अनुसासन का डंडा फिर घुमाते है,
सुनहरा रंग है गणतंत्र का सहिदो के लहू से,
ऐसे सहिदो को हम सब सर झुकाते है ||
आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
कुछ कर गुजरने की गर तमन्ना उठती हो दिल में,
भारत माँ का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में
देश भक्तो की बलिदान से,
स्वतन्त्र हुए है हम,
कोई पूछे कोन हो,
तो गर्व से कहेंगे.
भारतीय है हम…
जाती अलग, धर्म अलग पर सबका एक ही नारा है,
भारत माता की रक्षा करना लक्ष्य यही हमारा है…
क्यों मरते हो यारो सनम के लिए,
ना देगी दुप्पटा कफ़न के लिए,
मरना है तो मारो वतन के लिए,
तिरंगा तो मिलेगा कफ़न के लिए.
यह बात हवाओं को बताये रखना,
रोशनी होगी, चिरागों को जलाये रखना,
लहू देकर जिसकी हिफाजत हमने की…
ऐसे तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना…
वतन हमारा ऐसा कोई न छोड़ पाये,
रिश्ता हमारा ऐसा कोई न तोड़ पाये,
दिल एक है एक है जान हमारी,
हिंदुस्तान हमारा है हम इसकी शान है
26 जनवरी शायरी
जय जवान, जय किसान,
East of west, India is the best…. ~
वंदे मातरम्
इंसाफ की डगर पर बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा नेता तुम ही हो कल के।
अनेकता में एकता ही हमारी शान हैं,
इसीलिए मेरा भारत महान हैं।
गणतंत्र दिवस मुबारक हो !!
भारतीय होने पर है हमको गर्व,
मिलकर मनायेंगे ये लोकतंत्र का पर्व।
मैं इसका हनुमान हूँ
ये देश मेरा राम है
छाती चीर के देश लो
अंदर बैठा हिंदुस्तान है
आओ झुक कर सलाम करे उनको,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,
खुशनसीब होता है वो खून जो देश के काम आता है…..!!
26 जनवरी शायरी
हम तो किसी दूसरे की धरती पर नज़र भी नहीं डालते…
लेकिन इतने नालायक बच्चे भी नहीं की कोई हमारी धरती माँ पर नज़र डाले
और हम चुप चाप देखते रहे।
जय हिन्द !!
Happy Republic Day
मै भारत बरस का हरदम अमित सम्मान करता हूँ,
यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ,
मुझे चिंता नही है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ
गांधी स्वप्न जब सत्य बना,
देश जब गणतंत्र बना,
आज फिर से याद करें वो वीरों का त्याग,
जिनसे भारत गणतंत्र बना
वो फिर आया नए सवेरे के साथ,
मिल जुल कर रहेंगे हम एक दूजे के साथ,
वो तिरंगा कितना प्यारा और है सबसे न्यारा,
दे देंगे आहुति पर आने न देंगे इसपे आंच।
हल्की सी धुप बरसात के बाद,
थोड़ी सी ख़ुशी हर बात के बाद,
इसी तरह मुबारक हो आप को,
आज़ादी एक दिन के बाद…
Wishing You Happy Republic Day in Advanced.
चढ़ गये जो हँसकर सूली,
खायी जिन्होंने सीने पर गोली,
जो मिट गये देश पर हम उन सबको सलाम करते है।
26 जनवरी शायरी
देश भक्तो की बलिदान से,
स्वतंत्रा हुए है हम,
कोई पूछे कोन हो,
तो गर्व से कहेंगे,
भारतीय है हम,
Happy Gantantra Diwas
गांधी स्वपन जब सत्य बना
देश तभी गणतंत्र बना
जरा याद करों वीरो की कुर्बानी
जिससे देश गणतंत्र बना
Happy republic day 2021
सरफ़रोशी की तमन्ना
अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजु ए कातिल में है
चंदन है इस देश की माटी,
तपोभूमि हर ग्राम है,
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा-बच्चा राम है।। जय हिंद
इतनी-सी बात हवायों को बताए रखना,
रोशनी होगी चिरागो को जलाए रखना,
लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने,
ऐसे तिरंगे को सदा अपने दिल में बसाये रखना
ज़र्रे जर्रे में छुपा है हौसलेवालों का जोश
पैदा होते है इसी मिट्टी से ही सरफ़रोश
ना #सरकार मेरी है!
ना # रौब मेरा है!
ना बड़ा-सा #नाम मेरा है!
मुझे तो सिर्फ एक बात का #गर्व है,
मैं #भारत का हूँ और #भारत मेरा है
तीन रंग का है तिरंगा
ये ही मेरी पहचान है
शान देश की, आन देश की
हम तो इसकी ही सन्तान हैं
26 जनवरी शायरी
विकसित होता राष्ट्र हमारा,
रंग लाती हर कुर्बानी है फक्र से अपना परिचय देते,
हम सारे हिन्दोस्तानी है.
ना जियो घर्म के नाम पर,
ना मरों धर्म के नाम पर,
इंसानियत ही है धर्म वतन का
बस जियों वतन के नाम !!
वतनवालों, कुछ कर गुजरने की गर तमन्ना उठती हो दिल में,
भारत माँ का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में
गुलामी क्या थी ये हम क्या जानें,
हमने तो हमेशा आजादी में सांस् ली है,
गुलामी क्या है ये तो वे ही बता पायेंगे,
जिन्होंने आजादी के लिए कुर्बानी दी है।
26 जनवरी शायरी
चलो फिर से खुद को जगाते हैं
अनुशासन का डंडा फिर से घुमाते हैं
सुनहरा रंग है गणतंत्र का शहीदों के लहू से
ऐसे शहीदों को हम सब सर झुकाते हैं
क्यों मरते हो यारो सनम के लिए,
ना देगी दुप्पटा कफ़न के लिए,
मरना है तो मारो वतन के लिए,
तिरंगा तो मिलेगा कफ़न के लिए.
क्यु मरते हो यारो “Sanam” के लिये,
यें न देगी दुपट्टा “Kafan” के लिये,
मरना हो तो मरो “Watan” के लिये,
“Tiranga” तो मिलेगा “Kafan” के लिये
आज मैं आपसे अपने दिल की बात कहना चाहता हूं,
हां वही अलफाज जो आप सुनना चाहते है,
हां वही तीन अलफाज जो आपके दिल को छु ले,
“Happy Republic Day 2021”
Aaj Salam Hai Unko,
Jinke Kaaran Yeh Din Aata Hai,
Khushnaseeb Hoti Hai Woh Maa,
Jinke Baccho Ka Balidan
Is Desh Ke Kaam Aata Hai
भारत माता तेरी गाथा
सबसे ऊंची तेरी शान
तेरे आगे शीश झुकाएं
दें तुझको हम सब सम्मान
भारत माता की जय
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
आज सलाम है उनको,
जिनने ये दिन लाया है,
खुशनसीब होती है वो माँ,
जिनके बच्चों का बलिदान,
इस देश के काम आया है।
72वां गणतंत्र दिवस मुबारक हो
इतनी सी बात हवाओं को बताये रखना,
रोशनी होगी चिरागों को जलाये रखना,
लहू देकर की गई हो जिसकी हिफाज़त,
ऐसे तिरंगे को हमेशा दिल में बसाये रखना।।
गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जय हिन्द
मेरे मुल्क की हिफाज़त ही मेरा फ़र्ज है और मेरा मुल्क ही मेरी जान है,
इस पर कुर्बान है मेरा सब कुछ, नही इससे बढ़कर मुझको अपनी जान है
आजाद भारत में जीते हैं हम,
आगे बढ़ने का ख्वाब देखते हैं हम,
भारत फिर से सोने की चिड़िया बन जाए,
ऐसी कोशिश करते हैं हम।।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
26 जनवरी शायरी
ना पुछो जमाने को, क्या हमारी कहानी है,
हमारी पहचान तो सिर्फ ये है कि हम सिर्फ हिंदुस्तान है
इंसाफ की डगर पे, बच्चो दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के !!
मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए
जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए
और जब मरुं तो तिरंगा कफन चाहिए
Happy Republic Day 2021
भूख, गरीबी, लाचारी को,
इस धरती से आज मिटायें,
भारत के भारतवासी को,
उसके सब अधिकार दिलायें
आओ सब मिलकर नये रूप में गणतंत्र दिवस मनायें
*गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें*
देशभक्तों से ही देश की शान है
देशभक्तों से ही देश का मान है
हम उस देश के फूल हैं यारों
जिस देश का नाम हिंदुस्तान है
Happy Republic Day 2021
आइये मिलकर लोकतंत्र का जश्न मनाएं
घर-घर तिरंगा लहराए
देश के प्रति सम्मान जताएं.
हैप्पी रिपब्लिक डे 2021.
ना सर झुका है कभी और ना झुकाएंगे कभी
जो अपने दम पे जिए सच में जिंदगी है वही
गणतंत्र दिवस की बधाई
संस्कार, संस्कृति और शान मिले,
ऐसे हिंदू, मुस्लिम और हिन्दुस्तान मिले,
रहे हम सब ऐसे मिल-झूल कर,
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में भगवान् मिले।
26 जनवरी शायरी
बंद करो ये तुम 👬👭 आपस में, खेलना अब खून 🤢 की होली !..
उस #माँ 👩👦👦को याद करो, जिसने.. खून से अपनी चुनर 🧣भिगोली
चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें,
चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें,
शहीदों के दिलो में थी जो वो ज्वाला याद कर लें,
जिसमे बहकर आजादी पहुंची थी किनारे,
जिसमे बहकर आजादी पहुची थी किनारे,
देशभक्ति के खून की वो धारा याद कर लें.
किसी गजरे 🌸 की #खुशबू 🌹को महकता छोड़ आया हूँ,
अपनी नन्ही सी #चिड़िया 👧कोचहकता छोड़ आया हूँ *
मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारतमाँ
मैं अपनी माँ 👵की बाहों को #तरसता छोड़ आया हूँ
26 जनवरी पर शायरी पढ़ने के अलावा आप हमारी वेबसाइट पर गणतंत्र दिवस पर भाषण की भी तैयारी कर सकते हो. और यदि यदि आप गणतंत्र दिवस पर निबंध ढूंढ रहे है तो वो भी आपको यहाँ आसानी ने उपलब्ध होगा.
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]]>The post गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर क्यों मनाया जाता हैं | Why Republic day celebrate on 26 January in hindi appeared first on Dil Se Deshi.
]]>भारत में हर वर्ष दो तारीखों 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व (National Holiday) मनाया जाता हैं. 15 अगस्त के बारें में तो आप अच्छे से जानते होंगे कि इस दिन हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था और 26 जनवरी के बारे में भी अपने पढ़ा होगा कि इस दिन हमारा संविधान लागू हुआ था लेकिन आपको शायद यह मालूम नहीं होगा कि यह केवल एक कारण नहीं हैं जिसके कारण हम 26 जनवरी मनाते हैं. चलिए तो आइए हम आपको बताते हैं कि रिपब्लिक डे के बारे में कुछ ऐसे फैक्ट्स जो शायद ही आप जानते होंगे.
कारण 1
26 जनवरी की पहली नीव सरदार भगत सिंह के कारण पड़ी थी. साल 1927 में भगत सिंह और हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोशियशन की भारतीय राजनीति में मांग बढ रही थी. इस दौरान भगत सिंह ने कांग्रेस से अलग पूर्ण स्वराज की बात रखी. इससे पूर्व कांग्रेस नेता डोमिनन स्टेटस के पक्ष में थे. जिसके तहत यूके का मोनार्च ही भारतीय संविधान का अध्यक्ष होने जा रहा था. भगत सिंह ने पूर्ण स्वराज की मांग रखी जिससे युवा नेता सुभाषचंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरु प्रभावित हो गए. उन्होंने कांग्रेस से मांग की वे भी पूरी आजादी की मांग करे लेकिन उनकी ये आवाज़ सुनी नहीं गई.
कारण 2
इसी क्रम में आगे दिसंबर 1928 को कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटश की मांग करते हुए एक प्रस्ताव लाई, और ब्रिटिश सरकार को एक साल का समय दिया. ब्रिटिश ने इस विचार को नकार दिया, ये कहते हुए कि भारत डोमिनन स्टेटस के लिए अभी तैयार नहीं है. तब इससे कांग्रेस नाराज हो गई.
इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस का अधिवेशन 1929 को लाहौर में हुआ. जहाँ पर कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटस से अलग पूर्ण स्वराज के लिए वोट किया. इसके बाद एक प्रस्ताव पारित हुआ कि 1930 में जनवरी के आखिरी रविवार को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जायेगा. जनवरी का आखिरी रविवार 1930 में 26 तारीख को पड़ा. इस दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा फहराया. इस तरह भारत ने अपना पहला स्वाधीनता दिवस मनाया.
कारण 3
15 अगस्त को जब हमें पूर्ण स्वतंत्रता मिली इसके बाद भारत का संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई और 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया, लेकिन तब जो नेता थे उन्होने दो महीने और रुकने और 26 जनवरी को लागू करने का निर्णय लिया क्योंकि इसी दिन भारत ने अपनी पूर्ण स्वतंत्रता की कल्पना की थी. 26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया.
यह भी देखे :
भारत के गणतंत्र दिवस पर अथितियों की आने की परंपरा देश के पहले गणतंत्र दिवस से ही शुरू हो गयी थी. पहले गणतंत्र दिवस पर भारत की ओर से इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘सुकर्णो’ को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था. पहले गणतंत्र दिवस पर आज की तरह होने वाली परेड का आयोजन नहीं किया था. इस दिन भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और इरविन स्टेडयिम में भारतीय तिरंगा फहराया था. भारत का सविंधान लागु होने के 6 मिनिट के बाद भारत को 10:24 पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में पहले राष्ट्रपति मिले थे.
वर्ष 1955 से पूर्व भारत के पास गणतंत्र दिवस को मनाने के लिए कोई निश्चित जगह नहीं थी. शुरू में इसे लाल किला, नेशनल स्टेडियम, किंग्सवे कैंप और फिर रामलीला मैदान में आयोजित किया गया था. गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी. जिसके बाद प्रतिवर्ष यह परंपरा चलती आ रही हैं. राजपथ परेड के पहले मुख्य अतिथि पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे.
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]]>The post स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल विचार | Swami Vivekananda Quotes, Slogan, Thoughts In Hindi appeared first on Dil Se Deshi.
]]>स्वामी विवेकानंद जी भारत के साथ पूरी दुनिया के महापुरूष है. इन्होंने अपना पूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित किया है. इनका जन्म 12 जनवरी को हुआ जिसे हम युवा दिवस के रूप में मनाते है. विवेकानंद जी के द्वारा शिकागो की धर्म संसद में दिया हुआ भाषण आज भी विश्व प्रसिद्ध है. इनके विचार समाज के सभी वर्गों के लोगो विशेषकर युवाओं एवं विद्यार्थियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है. जिनकी सहायता जीवन को उत्कृष्ट बनाया जा सकता है. इस लेख में हम स्वामीजी के अनमोल प्रेणादायी विचारों को जानने का प्रयास करेंगे.
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.
पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता. एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान. ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है.
उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो.
जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है.
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता. तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं. आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं.
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है.
किसी की निंदा ना करें: अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं.
अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये.
जो व्यक्ति गरीबों और असहाय के लिए रोता है, वही महान आत्मा है, अन्यथा वो दुरात्मा है.
कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है.
अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.
“जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं.
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है.
पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता, यह तीनों सफलता के लिए परम आवश्यक हैं.
यदि आपके लक्ष्य मार्ग पर कोई समस्या न आये तो आप यह सुनिश्चित करले कि आप गलत रास्ते में जा रहे हैं.
यदि हम ईश्वर को अपने हृदय में और प्रत्येक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते, तो हम खोजने कहां जा सकते हैं.
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं.
हजारों ठोकरें खाने के बाद ही एक अच्छे चरित्र का निर्माण होता है.
एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो.
उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता.
जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते.
सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा.
विश्व एक व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं.
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सके, मनुष्य बन सके ,चरित्र गठन कर सके और विचारों की सामंजस्य कर सकें. वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है.
इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है.
हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा, और परमात्मा उसमे बसेंगे.
बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है.
भगवान् की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए, इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर.
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं.
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
आकांक्षा, अज्ञानता और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं.
जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो.
सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए, पर किसी के लिए भी सच्चाई नहीं छोड़ना चाहिए.
मनुष्य की सेवा ही भगवान की सेवा है.
अपने इरादों को मज़बूत रखो. लोग जो कहेंगे उन्हें कहने दो. एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे.
अभय हो! अपने अस्तित्व के कारक तत्व को समझो, उस पर विश्वास करो. भारत की चेतना उंसकी संस्कृति है. अभय होकर इस संस्कृति का प्रचार करो.
जो किस्मत पर भरोसा करते हैं वो कायर हैं, जो अपनी किस्मत खुद बनाते हैं वो मज़बूत हैं.
अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है. जब तक जीवन है सीखते रहो.
बड़ी योजना की प्राप्ति के लिए, कभी भी ऊंची छलांग मत लगाओ. धीरे धीर शुरू करो, अपनी ज़मीन बनाये रखो और आगे बढ़ते रहो.
संघर्ष करना जितना कठिन होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी.
चिंतन करो, चिंता नहीं , नए विचारों को जन्म दो.
यह कभी मत कहो कि ‘मैं नहीं कर सकता’, क्योंकि आप अनंत हैं. आप कुछ भी कर सकते हैं.
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]]>स्वामी विवेकानद ने कहा
“लुढ़कते पत्थर में काई नहीं लगती वास्तव में वे धन्य है जो शुरू से ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लेते है. जीवन की संध्या होते होते उन्हें बड़ा संतोष मिलता है कि उन्होंने निरूद्देश्य जीवन नहीं जिया तथा लक्ष्य खोजने में अपना समय नहीं गवाया. जीवन उस तीर की तरह होना चाहिए जो लक्ष्य पर सीधा लगता है और निशाना व्यर्थ नहीं जाता.”
स्वामी विवेकानंद ने कहा
जिस उद्देश्य एवं लक्ष्य कार्य में परिणत हो जाओ, उसी के लिए प्रयत्न करो. मेरे साहसी महान बच्चों काम में जी जान से लग जाओ अथवा अन्य तुच्छ विषयों के लिए पीछे मत देखो स्वार्थ को बिल्कुल त्याग दो और कार्य करो.
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा
जब कभी भारत के सच्चे इतिहास का पता लगाया जायेगा. तब यह संदेश प्रमाणित होगा कि धर्म के समान ही विज्ञान दर्शन संगीत साहित्य गणित ललित कला आदि में भी भारत समग्र संसार का आदि गुरु रहा है.
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा
हम हिन्दू चाहे जिस नाम से पुकारे जाते हो, कुछ सामान विचार सूत्रों से बंधे हुवे हैं, अब वह समय आ गया है कि अपने तथा अपने हिन्दू जाति के कल्याण के लिए अपने आपस के झगड़ो एवं मतभेदों को त्यागकर हम एक हो जाएँ.
स्वामी विवेकानन्द
जब कोई मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे, तब समझ लेना उसका अंत हो गया. मैं यद्धपि हिन्दू जाति का नगण्यघटक हूँ, किन्तु मुझे अपने धर्म पर गर्व है, अपने पूर्वजों पर गर्व है. मैं स्वयं को हिन्दू कहने में गर्व का अनुभव करता हूँ.
स्वामी विवेकानन्द
लोग जीते जी ही मुर्दे हो रहे हैं. हमारे देश के लिए इस समय आवश्यकता है, लोहे कि तरह ठोस मांस पेशियां और मजबूत स्नायु वाले शरीरों की. आवश्यकता है इस तरह इच्छा-शक्ति सम्पन्न होने की, ताकि कोई भी उसका प्रतिरोध करने में समर्थ न हो.
स्वामी विवेकानन्द
भारत में हमारे विकास पथ में दो बड़ी बाधाएं है, सनातन परम्पराओं की कमजोरियाँ और यूरोपीय सभ्यता की बुराइयाँ. मैं दोनों में से सनातन परम्पराओं की कमजोरियाँ अपनाना पसंद करूँगा.
स्वामी विवेकानन्द
एक लक्ष्य निर्धारित कीजिये, उस लक्ष्य को ही अपना जीवन बनाइये. उस पर हमेशा विचार कीजिये, उसको पूरा करने का ही स्वप्न देखिये. उस लक्ष्य के लिए ही जियें और अन्य सभी बातों को छोड़ दें. सफलता का यही मार्ग है.
स्वामी विवेकानन्द
आगामी पचास वर्षों में हमारा केवल एक ही विचार केन्द्र होगा और वह है, हमारी महान मातृ-भूमि भारत. हमारा भारत, हमारा राष्ट्र केवल यही हमारा देवता है. वह अब जाग रहा है, हर जगह जिस के हाथ हैं, हर जगह पैर हैं, हर जगह कान हैं, जो सब वस्तुओं में व्याप्त है. इस महान देवता की पूजा में सब देवों की पूजा है.
स्वामी विवेकानन्द
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों का सामंजस्य कर सकें, वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है.
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]]>स्वामी विवेकानंद भारतीय वैदिक सनातन संस्कृति की जीवंत प्रतिमूर्ति थे. जिन्होंने संपूर्ण विश्व को भारत की संस्कृति, धर्म के मूल आधार और नैतिक मूल्यों से परिचय कराया. स्वामी जी वेद, साहित्य और इतिहास की विधा में निपुण थे. स्वामी विवेकानंद को सयुंक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में हिन्दू आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार प्रसार किया. उनका जन्म कलकत्ता के के उच्च कुलीन परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था. युवावस्था में वह गुरु रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आये और उनका झुकाव सनातन धर्म की और बढ़ने लगा.
गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिलने के पहले वह एक आम इंसान की तरह अपना साधारण जीवन व्यतीत कर रहे थे. गुरूजी ने उनके अन्दर की ज्ञान की ज्योति जलाने का काम किया. उन्हें 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में दिए गए अपने भाषण के लिए जाना जाता हैं. उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत “मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों” कहकर की थी. स्वामी विवेकानंद की अमेरिका यात्रा से पहले भारत को दासो और अज्ञान लोगों की जगह माना जाता था. स्वामी जी ने दुनिया को भारत के आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन कराये.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | स्वामी विवेकानंद |
वास्तविक नाम (Real Name) | नरेन्द्र दास दत्त |
पिता का नाम (Father Name) | विश्वनाथ दत्त |
माता का नाम (Mother Name) | भुवनेश्वरी देवी |
जन्म दिनांक (Birth Date) | 12 जनवरी 1863 |
जन्म स्थान (Birth Place) | कलकत्ता |
पेशा (Profession) | आध्यात्मिक गुरु |
प्रसिद्दी कारण (Known For) | संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार |
गुरु का नाम (Guru/Teacher) | रामकृष्ण परमहंस |
मृत्यु दिनांक (Death) | 4 जुलाई 1902 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | बेलूर मठ, बंगाल |
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में हुआ. स्वामी जी के बचपन का नाम नरेन्द्र दास दत्त था. वह कलकत्ता के एक उच्च कुलीन परिवार के सम्बन्ध रखते थे. इनके पिता विश्वनाथ दत्त एक नामी और सफल वकील थे. वह कलकत्ता में स्थित उच्च न्यायालय में अटॅार्नी-एट-लॉ (Attorney-at-law) के पद पर पदस्थ थे. माता भुवनेश्वरी देवी बुद्धिमान व धार्मिक प्रवृत्ति की थी. जिसके कारण उन्हें अपनी माँ से ही हिन्दू धर्म और सनातन संस्कृति को करीब से समझने का मौका मिला.
स्वामी जी आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में पले और बढे. उनके पिता पाश्चात्य संस्कृति में विश्वास करते थे इसीलिए वह उन्हें अग्रेजी भाषा और शिक्षा का ज्ञान दिलवाना चाहते थे. उनका कभी भी अंग्रेजी शिक्षा में मन नहीं लगा. बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के बावजूद उनका शैक्षिक प्रदर्शन औसत था. उनको यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी, एफए में 46 फीसदी और बीए में 56 फीसदी अंक मिले थे.
माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थी वह नरेन्द्रनाथ (स्वामीजी के बचपन का नाम) के बाल्यकाल में रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करती थी. जिसके बाद उनकी आध्यात्मिकता के क्षेत्र में बढते चले गयी. कहानियाँ सुनते समय उनका मन हर्षौल्लास से भर उठता था.रामायण सुनते-सुनते बालक नरेन्द्र का सरल शिशुहृदय भक्तिरस से भऱ जाता था. वे अक्सर अपने घर में ही ध्यानमग्न हो जाया करते थे. एक बार वे अपने ही घर में ध्यान में इतने तल्लीन हो गए थे कि घर वालों ने उन्हें जोर-जोर से हिलाया तब कहीं जाकर उनका ध्यान टूटा.
वह 25 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपना घर और परिवार को छोड़कर संन्यासी बनने का निर्धारण किया. विद्यार्थी जीवन में वे ब्रह्म समाज के नेता महर्षि देवेंद्र नाथ ठाकुर के संपर्क में आये. स्वामी जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए उन्होंने नरेन्द्र को रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी.
स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी दक्षिणेश्वर के काली मंदिर के पुजारी थे. परमहंस जी की कृपा से स्वामी जी को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और वे परमहंस जी के प्रमुख शिष्य हो गए.
1885 में रामकृष्ण परमहंस जी की कैंसर के कारण मृत्यु हो गयी. उसके बाद स्वामी जी ने रामकृष्ण संघ की स्थापना की. आगे चलकर जिसका नाम रामकृष्ण मठ व रामकृष्ण मिशन हो गया.
11 सितम्बर 1893 के दिन शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन का आयोजन होने वाला था. स्वामी जी उस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
जैसे ही धर्म सम्मेलन में स्वामी जी ने अपनी ओजस्वी वाणी से भाषण की शुरुआत की और कहा “मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनों” वैसे ही सभागार तालियों की गडगडाहट से 5 मिनिट तक गूंजता रहा. इसके बाद स्वामी जी ने अपने भाषण में भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति के विषय में अपने विचार रखे. जिससे न केवल अमेरीका में बल्कि विश्व में स्वामीजी का आदर बढ़ गया.
स्वामी जी द्वारा दिया गया वह भाषत इतिहास के पन्नों में आज भी अमर है. धर्म संसद के बाद स्वामी जी तीन वर्षो तक अमेरिका और ब्रिटेन में वेदांत की शिक्षा का प्रचार-प्रसार करते रहे. 15 अगस्त 1897 को स्वामी जी श्रीलंका पहुंचे, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ.
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जब स्वामी जी की ख्याति पूरे विश्व में फैल चुकी थी. तब उनसे प्रभावित होकर एक विदेशी महिला उनसे मिलने आई. उस महिला ने स्वामी जी से कहा- “मैं आपसे विवाह करना चाहती हूँ.” स्वामी जी ने कहा- हे देवी मैं तो ब्रह्मचारी पुरुष हूँ, आपसे कैसे विवाह कर सकता हूँ? वह विदेशी महिला स्वामी जी से इसलिए विवाह करना चाहती थी ताकि उसे स्वामी जी जैसा पुत्र प्राप्त हो सके और वह बड़ा होकर दुनिया में अपने ज्ञान को फैला सके और नाम रोशन कर सके.
उन्होंने महिला को नमस्कार किया और कहा- “हे माँ, लीजिये आज से आप मेरी माँ हैं.” आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल गया और मेरे ब्रह्मचर्य का पालन भी हो जायेगा. यह सुनकर वह महिला स्वामी जी के चरणों में गिर गयी.
4 जुलाई 1902 को स्वामी जी ने बेलूर मठ में पूजा अर्चना की और योग भी किया. उसके बाद वहां के छात्रों को योग, वेद और संस्कृत विषय के बारे में पढाया. संध्याकाल के समय स्वामी जी ने अपने कमरे में योग करने गए व अपने शिष्यों को शांति भंग करने लिए मना किया और योग करते समय उनकी मृत्यु हो गई.
मात्र 39 वर्ष की आयु में स्वामी जी जैसे प्रेरणा पुंज का प्रभु मिलन हो गया. स्वामी जी के जन्मदिवस को पूरे भारतवर्ष में “युवा दिवस“ के रूप में मनाया जाता हैं.
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]]>भारत एक ऐसा देश है जहाँ त्यौहारों को पूरे हर्ष और उल्लास के साथ बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. यहाँ कई तरह के त्यौहार मनाये जाते है जो अपने-अपने धर्म पर निर्भर करते है. ऐसे ही एक त्यौहार को हम आपके सामने लेकर आये है. उसका नाम है मकर संक्रांति.
मकर संक्रांति हिन्दू धर्म में एक पर्व की तरह मनाया जाता है. ये त्यौहार भी अपने आप में बड़ा पर्व होता है. ऐसा मानना है पौष माह में सूर्य धनु राशी को छोड़ मकर राशी पर आता है तब ये पर्व मनाया जाता है और इसीलिए हम इसे मकर संक्रांति भी कहते है.
मकर संक्रांति का पर्व जनवरी मास में पूरे 14 दिन बाद यानि चौहदवे दिन पड़ता है. ऐसा कहा जाता है की इस दिन सूर्य उत्तरायणी में आता है इसीलिए इस पर्व को भारत के कुछ राज्यों में उत्तरायणी पर्व भी कहा जाता है. भारत के एक राज्य तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से भी जाना जाता है.
हिन्दू धर्म के अनुसार शास्त्रों में दक्षिणायण को गलत चीजों (यानि नकारात्मकता) का प्रतिक कहा गया है और इसी तरह उत्तरायण को अच्छी बातो का (यानि सकारात्मकता) प्रतिक कहा गया है और ये पर्व सकारात्मकता का प्रतिक है. इसीलिए जितने भी अच्छे काम है यानि जप, ताप, दान, विद्या, स्नान ,तर्पण आदि क्रियाओ मकर संक्रांति के दिन करना शुभ माना जाता है. हिन्दू धर्म मे ऐसी धारणा है की आज के दिन जो भी अच्छा करते है भगवान उसके 100 गुना हमें देता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते है, शनि देव जो की मकर राशी के स्वामी में के रूप जाने जाते है. अगर हम बात करे महाभारत की तो उस काल में भीष्म पितामाह ने अपनी देह यानि अपनी जान त्यागने के लिए मकर संक्रांति का चयन किया था. इस दिन गंगा माता सागर में जाकर मिली थी.
इस त्यौहार पर दान करना बहुत शुभ माना जाता है भारत में लोग अपने घर में तिल के लड्डू और खिचड़ी बना कर इसे मानते है, भारत के राज्य गुजरात में पतंग उड़ाकर मकर संक्रांति मानाने का चलन है. उत्तरप्रदेश के गौरखपुर जिले में एक गौराखनाथ मंदिर है जहाँ हर साल इस पावन पर्व के दिन मेला लगाया जाता है. वहां ये पर्व खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. तो अब आप लोग जान गये की क्या महत्व होता है मकर संक्रांति का, अब देखिये उनसे जुड़े कुछ शुभकामना संदेश…
यादें अक्सर होती है सताने के लिए,
कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए
रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नही,
बस दिलो में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए!!
आप को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं..
खुले आसमा में जमी से बात न करो..
ज़ी लो ज़िंदगी ख़ुशी का आस न करो..
हर त्यौहार में कम से कम हमे न भूलो करो..
फ़ोन से न सही मैसेज से ही संक्राति विश किया करो !!
पल पल सुनहरे फूल खिले,
कभी न हो काँटों से सामना,
जिंदगी आपकी खुशियो से भरी रहे,
यही है संक्रांति पर हमारी शुभकामना!
इस वर्ष की मकर संक्रांति,
आपके लिए हो तिल लड्डू जैसी मीठी !
मिले कामयाबी पतंग जैसी उँची,
इसी कामना वाली मकर संक्राति !!
काट ना सके कभी कोई पतंग आपकी,
टूटे ना कभी डोर विश्वास की,
छू लो आप ज़िन्दगी की सारी कामयाबी,
जैसे पतंग छूती है ऊंचाइयां आसमान की.
मकर संक्राति की हार्दिक शुभकामनाएं!!
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]]>The post मकर संक्रांति 2024 का महत्व, शुभ मुहूर्त और कथा | Makar Sankranti Significance History and Story in Hindi appeared first on Dil Se Deshi.
]]>भारतवर्ष में प्रतिदिन कोई ना कोई त्यौहार अवश्य मनाया जाता है. प्रत्येक त्यौहार सिर्फ एक परंपरा नहीं है परंतु उन्हें मनाए जाने का प्रामाणिक वैज्ञानिक कारण भी उपलब्ध है. प्रतिवर्ष जनवरी माह में मकर सक्रांति (Makar Sankranti) का उत्सव मनाया जाता है. मकर सक्रांति का यह फलसफा है भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. जैसे खिचड़ी (बिहार और उत्तर प्रदेश में), लोहड़ी, पिहू और पोंगल.
मकर संक्रांति तिथि | 15 जनवरी, 2024 |
वार | सोमवार |
मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त | 07:15:13 से 12:30:00 तक |
पुण्य काल अवधि | 5 घंटे 14 मिनट |
संक्रांति महापुण्य काल मुहूर्त | 07:15:13 से 09:15:13 तक |
महापुण्य काल अवधि | 2 घंटे 0 मिनट |
पौष माह में जब सूर्य देव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. तब हिंदू धर्म का यह पर्व मकर सक्रांति के रूप मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपनी उत्तरायणी गति प्रारंभ करता है. इसलिए इस पर वह को उत्तरायणी पर्व भी कहा जाता है. भगवान शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं और इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इस दिन जप, तप, ध्यान और धार्मिक क्रियाकलापों का अधिक महत्व होता हैं. इसे फसल उत्सव भी कहा जाता हैं.
इस दिन से पहले सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध पर सीधी किरणें डालता है. जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में रात्रि बड़ी और दिन छोटा होता है. इसी वजह से ठंड का मौसम भी रहता है. इसी दिन से सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ना शुरू होता है. जिसके कारण मौसम में परिवर्तन होता है और यह कृषकों की फसलों के लिए फायदेमंद होता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध पर स्थित हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूँकि शनि मकर राशी के देवता हैं इसी कारन इसे मकर संक्रांति कहा जाता हैं.
महाभारत युद्ध के महान योद्धा और कौरवों की सेना के सेनापति गंगापुत्र भीष्म पितामह को इच्छा मुत्यु का वरदान प्राप्त था. अर्जुन के बाण लगाने के बाद उन्होंने इस दिन की महत्ता को जानते हुए अपनी मृत्यु के लिए इस दिन को निर्धारित किया था. भीष्म जानते थे कि सूर्य दक्षिणायन होने पर व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त नहीं होता और उसे इस मृत्युलोक में पुनः जन्म लेना पड़ता हैं. महाभारत युद्ध के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुआ तभी भीष्म पितामह ने प्राण त्याग दिए. भीष्म के निर्वाण दिवस को भीष्माष्टमी भी कहते हैं.
एक धार्मिक मान्यता के अनुसार सक्रांति के दिन ही माँ गंगा स्वर्ग के अवतरित होकर रजा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई गंगासागर तक पहुँची थी. धरती पर अवतरित होने के बाद राजा भागीरथ ने गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों का तर्पण किया था. इस दिन पर गंगा सागर पर नदी के किनारे भव्य मेले का आयोजन किया जाता हैं.
माता यशोदा ने संतान प्राप्ति (श्रीकृष्ण) के लिए ही इसी दिन व्रत रखा था. इस दिन महिलाएं तिल, गुड आदि दूसरी महिलाओं को बाँटती हैं. ऐसा माना जाता हैं कि तिल की उत्पत्ति भगवान् विष्णु से हुई थी. इसलिये इसका प्रयोग पापों से मुक्त करता हैं. तिल के उपयोग से शरीर निरोगी रहता है और शरीर में गर्मी का संचार रहता हैं.
भारत में फसलों का मौसम और मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का त्यौहार बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है. भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा किसानों का है. इसलिए, देश के अन्य हिस्सों संक्रांति अलग-अलग तरीके से मनाई जाती हैं.
तमिलनाडु में मनाया जाने वाला थाई पोंगल, भगवान इंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए चार दिनों का उत्सव है. यह त्यौहार भगवान इंद्र को भरपूर बारिश के लिए धन्यवाद देने का एक माध्यम है और इसलिए उपजाऊ भूमि और अच्छी उपज की कामना स्वरुप यह मनाई जाती हैं. थाई पोंगल समारोह भगवान सूर्य और भगवान इंद्र के लिए किए गए प्रसाद के बिना अधूरा है. थाई पोंगल के दूसरे दिन, ताजा पका हुआ चावल दूध में उबाला जाता है और इसे भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है. तीसरे दिन, मट्टू पोंगल ‘बसवा’- भगवान शिव के बैल को घंटियों, फूलों की माला, माला और पेंट के साथ सजाकर पूजा की जाती है. पोंगल के चौथे दिन, कन्नुम पोंगल मनाया जाता है जिसमें घर की सभी महिलाएँ एक साथ विभिन्न अनुष्ठान करती हैं.
इसे “बैसाखी” भी कहा जाता है, पंजाब में यह बहुत उत्साह के साथ मनाया जाने वाला एक फसल त्यौहार है. यह वसंत ऋतु के अनुरूप पंजाबी नववर्ष को भी चिह्नित करता है. यह त्यौहार एक दूसरे को स्वीकार करने और अच्छी फसल की कामना के लिए देवताओं को अर्पित करके के साथ मनाया जाता है. इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं.
गुजरात राज्य में मकर संक्रांति को उत्तरायण नाम से जाना जाता हैं. इसे विशेष रूप से गुजरात में अच्छी फसल के मौसम की शुरुआत के प्रतीक स्वरूप माना जाता हैं. इस त्यौहार पर पतंग उड़ाने, गुड़ और मूंगफली की चिक्की का दावत के रूप में लुफ्त उठाया जाता है. विशेष मसालों के साथ भुनी हुई सब्जी उत्तरायण के अवसर का मुख्य व्यंजन है.
भोगली या माघ बिहू असम का एक सप्ताह लंबा फसल त्यौहार है. यह पूह महीने के 29 वें दिन से शुरू होता है, जो 13 जनवरी को पड़ता है और लगभग एक सप्ताह तक चलता है. इस त्यौहार पर लोग हरे बांस और घास के साथ बनी विशेष संरचना “मेजी” (एक प्रकार की अलाव(Bon Fire)) का निर्माण करते हैं और जलाते हैं. इस त्यौहार पर चावल के केक की दावत मुख्य व्यंजन होता है जिसे ‘शुंग पिठा’, ‘तिल पिठा’ और नारियल की मिठाइयों को ‘लारू’ कहा जाता है. असम के मूल निवासी टेकेली भोंगा जैसे खेलों का आयोजन करते हैं, जिसमें पॉट ब्रेकिंग और भैंस की लड़ाई शामिल है.
यादें अक्सर होती है सताने के लिए,
कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए
रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नही,
बस दिलो में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए!!
आप को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं..
खुले आसमा में जमी से बात न करो..
ज़ी लो ज़िंदगी ख़ुशी का आस न करो..
हर त्यौहार में कम से कम हमे न भूलो करो..
फ़ोन से न सही मैसेज से ही संक्राति विश किया करो !!
काट ना सके कभी कोई पतंग आपकी,
टूटे ना कभी डोर विश्वास की,
छू लो आप ज़िन्दगी की सारी कामयाबी,
जैसे पतंग छूती है ऊंचाइयां आसमान की.
मकर संक्राति की हार्दिक शुभकामनाएं!!
पल पल सुनहरे फूल खिले,
कभी न हो काँटों से सामना,
जिंदगी आपकी खुशियो से भरी रहे,
यही है संक्रांति पर हमारी शुभकामना!
खुले आसमा में जमी से बात न करो..
ज़ी लो ज़िंदगी ख़ुशी का आस न करो..
हर त्यौहार में कम से कम हमे न भूलो करो..
फ़ोन से न सही मैसेज से ही संक्राति विश किया करो !!
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