चमकी बुखार क्या हैं इसके लक्षण और बचने के उपाय | Chamki Fever Symptoms, Treatment and Precautions in Hindi | Chamki Fever Ke Lakshan aur Bachav Ke Upay
भारत के बिहार और उत्तरप्रदेश के कुछ जिलो में चमकी बुखार से व्यापक से रूप से पीड़ित है. इस बीमारी को दिमाग़ी बुखार और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम भी कहते हैं. यह बीमारी मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में छोटे बच्चों को ज्यादा प्रभावित करती हैं. जहाँ उचित स्वास्थ्य व्यस्था उपलब्ध नहीं हैं. इस बीमारी का अभी स्थाई इलाज उपलब्ध नहीं परन्तु उचित देखभाल की जाये तो इस बीमारी के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता हैं.
चमकी बुखार क्या हैं (What is Chamki Fever)
चमकी बुखार का वास्तविक नाम एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम हैं. जबकि गाँव की भाषा में इसे दिमागी बुखार, चमकी बुखार और जापानी बुखार भी कहा जाता हैं. यह बीमारी ग्रामीण इलाकों के बच्चो को ज्यादा प्रभावित करती हैं. क्योंकि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती हैं और वे आसानी से इस बुखार के चपेट में आ जाते हैं. यदि कोई व्यक्ति एच. आई. वी. से पीड़ित हैं तो वह भी इसके चपेट में आ सकता हैं. यह बीमारी जैपनीज़ इंसेफलाइटिस वायरस के संक्रमण से फैलती हैं. इसके अलावा यह गैर संक्रामक कारणों से भी फ़ैल सकती हैं. इस बीमारी पर किये गए शौध के मुताबिक यह बीमारी अप्रैल से जून के बीच अर्थात गर्मी के मौसम में अधिक फैलती हैं.
चमकी बुखार के लक्षण (Symptoms of Chamki Fever)
इस बुखार से पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता हैं. शरीर में अकड़न और ऐठन की समस्या हो जाती हैं. कमजोरी की वजह से पीड़ित को बार-बार चक्कर आते हैं. यह बुखार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर करता हैं. जिससे कई बार व्यक्ति का शरीर सुन्न हो जाता हैं और उसे किसी भी स्पर्श का एहसास नहीं होता हैं. जबकि सामान्य बुखार में ऐसा कुछ भी नहीं होता हैं.
चमकी बुखार से बचाव (Precautions for Chamki Fever )
जैसा कि हम सभी जानते हैं. गर्मी के मौसम तापमान अधिक होने के कारण खाने और भोजन की चीजों के ख़राब होने की अधिक संभावना होती हैं. यह बीमारी संक्रमण से भी फैलती हैं. इसलिए भोजन करने से पहले हाथ अच्छी तरह से धोना चाहिए. बच्चो के नाखून समय पर काटना चाहिए और गर्मी से बचने के उपाय करना चाहिए. आप जहाँ रह रहे वहां भी स्वच्छता और साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिए.
चमकी बुखार का इलाज (Chamki Fever Treatment)
इस बीमारी का स्थाई इलाज तो अभी तक नहीं हैं. परन्तु कुछ टीके,दवाइयों और ईलाज से इस पर काबू पाया जा सकता हैं. यह ध्यान रखना चाहिए कि ख़राब भोजन और फल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इस बीमारी से बचने के लिए अधिक-अधिक पानी और तरल पदार्थो का सेवन करना चाहिए. जिससे शरीर में पानी की कमी न हो. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों और वयस्कों में शुगर की कमी के लक्षण देखने को मिले हैं. इसलिए पीड़ित को थोड़ी-थोड़ी देर में तरल पेय देते रहना चाहिए.
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