संस्कृत में 10 रोगों के नाम और उनकी संक्षिप्त जानकारी
10 Disease Name In Sanskrit And Hindi
मानव शरीर में बीमारियों का होना स्वाभाविक है लेकिन एक अच्छी दिनचर्या और पौष्टिक भोजन के द्वारा हम इन्हें नियंत्रित कर सकते हैं. कुछ बीमारियाँ ऐसे होती हैं जिनसे हम ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ बीमारियाँ ऐसी हैं जिनसे मुक्ति मिलना दुर्लभ हो जाता है. आइये जानते हैं कुछ रोगों के नाम संस्कृत व अंग्रेजी में –
1. अक्षिपीडा – आँख का आना – Conjunctivitis
आँख आना का संस्कृत नाम अक्षिपीडा है. इसे अंगेजी में Conjunctivitis कहते हैं. इस बीमारी में आँख के सफ़ेद भाग की बाहरी सतह और पलक की आंतरिक सतह पर सूजन हो जाती है. सूजन आने पर आँख गुलाबी या लाल दिखाई देती है. आँख आने पर दर्द तो होता ही है और पलकों में खुजली होती है. आँख से आंसू आते हैं व कीचड़ जम जाता है.
2. आमातिसारः – आंव – Dysentery
आंव को संस्कृत में आमातिसारः कहते हैं. इसमें दस्त के साथ खून भी आता है. इसे पेचिस भी कहा जाता है. यह संक्रमण होने की बजह से होता है जो आँतों में होता है. इसमें पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है. इसमें खान – पान ध्यान रखना आवश्यक होता है.
3. वमनम् / वमथुः – उल्टी – Vomiting
उल्टी को संस्कृत में वमनम्/वमथुः कहते हैं. संक्रमित भोजन करने से या किसी संक्रमित चीज़ के सम्पर्क में आने से हमारा प्रतिरक्षा तंत्र उसे उल्टी के रूप में शरीर से बाहर निकालता है. कभी – कभी ज्यादा भोजन कर लेने की बजह से भी उल्टी हो जाती है.
4. कफः – बलगम – Cough
बलगम को संकृत में कफः कहते हैं. इसमें गले में कफ जम जाता है जो मुँह के रास्ते से खांसते समय बाहर निकलता है. यह अन्दर फेंफडों में जमने वाला गाढ़ा पदार्थ होता है. इसमें श्वांस नाली में परेशानी होती है. कभी – कभी तो बलगम के साथ खून भी आ जाता है.
5. कुष्ठः – कोढ़ – Leprosy
कोढ़ को संस्कृत में कुष्ठः कहते हैं. यह एक लम्बे समय तक चलने वाला रोग है जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं की वजह से होता है. यह एक छुआ – छूत की बीमारी है. यह रोग त्वचा पर होता है जिसमें जीवाणु होते हैं और यह फैलता ही जाता है. कोढ़ की बजह से चमड़ी पर असर पड़ता है और व्यक्ति को हाथ या पाँव में लकवा भी लग जाता है.
6. विषव्रणम् – कैंसर – Cancer
कैंसर को संस्कृत में विषव्रणम् कहते हैं. हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर कई सारी कोशिकाओं से मिलकर बना है. हमारे शरीर को जितनी कोशिकाओं की जरुरत होती है उतनी कोशिकाएं बनती जाती हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि असामान्य कोशिकाएं बनती जाती हैं और सामान्य कोशिकाएं नियंत्रण खो देती हैं. यही असामान्य कोशिकाएं ऊतकों पर हमला कर देती हैं और ये शरीर के हिस्सों में जाकर कैंसर का रूप ले लेता है. यह एक गंभीर बीमारी है. रोगी को इससे बचाना मुश्किल हो जाता है.
7. कुब्जः – कुबड़ा – Humpback
कुबड़ा को संस्कृत में कुब्जः कहते हैं. इस बीमारी में पीठ पर आसामान्य बड़ा गोलाकार उभार बन जाता है जिसे कूबड़ कहते हैं. यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है. सामान्यतः बूड़े होने पर अक्सर यह महिलाओं को हो जाता है. यह रीढ़ की हड्डी में विकृति के कारण हो जाता है.
8. क्षयः – क्षयरोग – Tuberculosis
क्षयरोग को संस्कृत में क्षयः कहते हैं. क्षयरोग आमतौर पर फेंफडों में होता है. इसमें व्यक्ति खांसता है, छींकता हैं. खांसने व छीकने से यह बीमारी फैलती है, यह एक गंभीर बीमारी है. यह माइकोबैक्टीरियम के कारण होता है. इसका ईलाज संभव है.
9. पामा – खसरा – Measles
खसरा को संस्कृत में ‘पामा’ कहते हैं. यह श्वसन नली में होने वाला वायरल संक्रमण है. यह एक संक्रामक रोग है. यह खांसने, छीकने, लार, बलगम आदि से फैलता है. यह रोग पहले बहुत होता था लेकिन वैक्सीन आने पर अब इसका खतरा कम है.
10. वातरोगः – गठिया – Gout
गठिया को संस्कृत में वातरोगः कहते हैं. यह रोग जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा होने के कारण हो जाता है. इस रोग में जोड़ों में सूजन, लालिमा, गर्माहट, दर्द और अकड़न होने लगती है. यह पैर की उंगली को प्रभावित करता है.
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Apko sabse pahle sanskrit rogon ki suchi banane k liye bahut bahut badhai ho. Aise hi anwarat sanskrit se jude animal, fruit, transport, oil, etc. In sabhi pr write raho.