नकारात्मक विचारों का जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव और कैसे इससे छुटकारा पाया जा सकता हैं | Impact of Nagetive Thoughts on health and how to overcome this in Hindi
इंसानी जीवन तन और मन का एक ऐसा मेल होता है, जहाँ किसी भी एक को हटा दिया जाए तो इंसान का अस्तित्व नही रहता है. मन इंसान के शरीर को चलाता है. हम जो विचार करते है, वैसे ही कार्य करते है. शरीर तो हम सबके पास एक जैसा ही होता है, लेकिन वह मन ही है जो इंसान को सफल और असफल बनाता है. इसलिए हमें अपने मन की सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. यदि हमारे मन मे ऐसे विचार बहुतायत में आते है, जो जीवन में तरक्की के लिए बाधा बन रहे है, तो यह बीमार मन को दर्शाता है. ऐसे विचारों को नकारात्मक विचार कहते है. इन नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाना बहुत जरूरी है, अन्यथा ये विचार हमे अंदर से बहुत कमजोर बना देते है, और हम खुद को असहाय मानने लगते है.
नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाए बिना जीवन मे किसी भी प्रकार की सफलता हासिल करना लगभग असंभव है. चाहे विद्यार्थी हो, जॉब करते हो, बिज़नेस चलाते हो, या रिश्तों को मधुर बनाना चाहते हो, इन सभी क्षेत्रों में सफलता तभी मिल पाएगी जब व्यक्ति नकारात्मक विचारों से छुटकारा पा ले.
सकारात्मक विचार और नकारात्मक विचार में क्या अंतर है? (Differenece Betweeen Positive and Negative Thoughts)
सकारात्मक विचारों और नकारात्मक विचारों की पहचान करना बहुत ही आसान है. सकारात्मक विचारों से भरा हुआ व्यक्ति सब कुछ खो भी दे तो भी हार नही मानता. उसको इस बात पर भरोसा होता है कि एक न एक दिन वह सफल हो कर ही रहेगा. जबकि नकारात्मक विचारों से भरा व्यक्ति हार के बाद ही खुद में कमियां निकालना शुरू कर देता है, और धीरे धीरे उसकी सोच यह बन जाती है कि वह इस काम को कर ही नही सकता है.
इसलिए कहा जाता है, की हम जैसा विचार करते है वैसे ही बन जाते है.
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि यदि हम खुद को शिव समझे तो शिव बन जायेंगे, बुद्ध समझे तो बुद्ध बन जायेंगे. इंसानी जीवन बस विचारों का खेल है. इसलिए विचारों को सकारात्मक रखना जरूरी है, क्योंकि दिमाग मे सकारात्मक विचार होंगे, तो हम खुद ही नकारात्मक विचारों से छुटकारा पा जाएँगे.
नकारात्मक विचारों के नुकसान (Losses of Negative Thoughts)
नकारात्मक विचारों के अंतर्गत भय, ईर्ष्या, खुद को कम समझना, घमंड, किसी को नुकसान पहुंचाने की भावना इनके अलावा और भी बहुत से विचार है, जो हमे सुख का रास्ता दिखाने के बजाए मन को हमेशा दुखी रखते है. ऐसे नकारत्मक विचारों से छुटकारा पाना बहुत ही आवश्यक है.
इसे भी पढ़े :
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय
- बुरी नजर उतारने का मंत्र और टोटके
- गठिया रोग के लक्षण और घरेलू उपचार
नकारात्मक विचारों से छुटकारा (Overcome Negative Thoughts)
सुबह की शुरुआत
पहला कदम ही निर्धारित करता है कि हम किस दिशा में जा रहे है. यही बात यहाँ भी लागू होती है. सुबह, पूरे दिन के लिए एक पहले कदम के समान है. सुबह की शुरुआत यदि बेहतर हुई तो आप पूरा दिन सकारात्मक महसूस करेंगे. सुबह को एक बेहतर सुबह बनाने के लिए सबसे पहली बात जो जरूरी है वह यह कि सुबह के समय से सिर्फ 15 मिनट पहले उठे. ऐसा करने से आपके मन मे अपना लक्ष्य पाने की खुशी होगी, जो सफलता का एहसास कराएगी.
इस तरह से आपको जल्दी उठने की आदत पड़ जाएगी. सुबह के कम से कम 2 घंटे खुद को दे. जिसमे आप योग, व्यायाम, सुबह की सैर, कोई अच्छी लेकिन मोटिवेशनल किताब पढ़ना जैसे कई काम कर सकते है जो आपको सकारात्मकता से भर देंगे.
निर्णय लेना सीखे
नकारात्मक विचार, एक ऐसी स्थिति को जन्म देता है, जहाँ पर व्यक्ति निर्णय लेने के काबिल खुद को नही समझता, क्योंकि उसका आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है.
ऐसी स्थिति में व्यक्ति बड़े निर्णय लेने की जगह लगातार कई छोटे छोटे निर्णय ले और उन निर्णयों को सफल बनाने की कोशिश करें. ऐसा करने से खुद के निर्णय क्षमता पर विश्वास बढ़ने लगेगा.
नकारात्मक लोगो से दूरी बनाकर रखे
कभी-कभी नकारात्मकता न चाहते हुए भी आपके अंदर किसी खास मित्र या आफिस में साथ काम करने वाले के द्वारा चली आती है. ऐसे इंसानो की पहचान करे. ज्यादा से ज्यादा उन लोगो का साथ करे, जो सकारात्मक विचारों वाले हो. नकारात्मक विचारों के लोगो का साथ या तो बिल्कुल छोड़ दे या फिर बहुत कम रखे.
ईश्वर का स्मरण करे
कहते है प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है. जो जीवन की सारी समस्याओं को खत्म कर देती है. पर असल में होता यह है कि जब हम ईश्वर की शरण में होते है, और कुछ देर उनका ध्यान करते है, तो उस वक़्त हमारा यह अटूट विश्वास होता है कि कोई एक ऐसी सत्ता है, जो हम सबसे बहुत शक्तिशाली है, और हमारी जिंदगी बदल सकती है. यह अटूट विश्वास ही सकारत्मकता देता है.
संगीत सुने
संगीत में बहुत शक्ति होती है. यदि मन की बात की जाए, तो मन एक भावनाओं का सागर है, जहाँ हर तरह के विचार रहते है. कुछ ताकतवर विचार हमारे व्यक्तिव में समा जाते है तो वही कुछ विचार होते तो है लेकिन छुपे हुए होते है या बहुत कमजोर होते है. संगीत इन्ही भावनाओ को पोषण देने का काम करता है. हम जैसा संगीत सुनेंगे वैसी ही भावना हमारे भीतर जन्म लेगी, इसलिए ऐसे संगीत सुने जो सकारात्मकता से भरे हो.
बच्चो के साथ खेले या उन्हें खेलते हुए देखे
बच्चो के साथ थोड़ा वक़्त जरूर बिताए. बच्चो में कभी भी नकारात्मक विचार नही आते है. चाहे वह हारे या जीते वो तो बस खेल का आनंद उठा रहे होते है. बच्चो के साथ वक़्त बिताने से आप के अंदर भी ऐसी ही भावना जन्म लेती है. जहाँ न हार होती है, न जीत, होता है तो बस आनंद.
मदिरा और मांसाहार का सेवन ना करे
मदिरा और मांसाहार एक तरह का नकारात्मक भोजन माना जाता है. मदिरा का सेवन जहा इंसान को जानवर की तरह बना सकता है, वही मांसाहार किसी जीव हत्या के बाद आता है. कहा भी गया है कि जैसा अन्न वैसा मन.