हमारे प्राचीन ग्रंथों में ऋषियों की आयु के बारे में उल्लेखित है कि हमारे प्राचीन ऋषि-मुनि अधिक लंबे समय तक स्वस्थ्य और जवान रहते थे. ऋषि मुनि एक जगह बैठकर कई वर्षो तक तपस्या भी कर सकते थे. वे बहुत ही अधिक उम्र तक जीवित रह सकते थे. हमारे ऋषि-मुनियों के लंबे समय तक सेहतमंद और स्वस्थ रहने के कई कारण थे. इन कारणों में एक उनका खान-पान भी था. ऋषि-मुनियों का खान-पान बहुत ही संयमित होता था इसी कारण वे स्वस्थ और दीर्घायु होते थे.
आइए हम आपको बताते है कि हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों का खान पान क्या था-
1. कंद- प्राचीन समय में ऋषि-मुनि जमीन के नीचे उगने वाले कंद खाते थे. कांड खाने से उर्जा मिलती थी किन्तु ज्यादा कैलोरी और फैट जमा नही होता था.
2. मूल- ऋषि-मुनि हमेशा खाने में मूल अर्थात कई प्रकार के पौधो की जड़ों का उपयोग करते थे. जड़ो को खाने से उनके शरीर को आवश्यक विटामिन की पूर्ति होती थी. और उनको बीमारियों से बचाव होता था.
3. फल- चूँकि आज हम भी कई प्रकार के फल खाते है पर ऋषि मुनियों को ताजे फल खाने को मिलते थे. ताजे फलों के खाने से उनके शरीर को उर्जा और न्यूट्रिएंट्स के अलावा फाइबर्स भी मिलते थे.
4. आंवला- आंवला का उपयोग ऋषि मुनि खाने और औषधि दोनों के रूप में करते थे. आंवले से उनकीं त्वचा स्वस्थ रहती थी. और उनके बाल भी लंबें समय तक काले रहते थे.
5. शहद- जंगलो में रहने के कारण शहद ऋषि-मुनि के खाने में आता ही था. क्योंकि जंगल में शहद प्रचुर मात्रा में मिलता है. इसलिए ये उनके खाने का अहम हिस्सा था. एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल के रूप में शहद कई बीमारियों से सुरक्षा करता है.
6. दूध- अभी ऋषि-मुनि अपने आश्रम में गाय जरुर पालते थे और प्रतिदिन दूध पीते थे. इससे उनकी हड्डियां मजबूत रहती थी. और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है और बीमारियों से रक्षा होती है.
7. घी- प्राचीन समय में सिर्फ देशी गाय ही ऋषि-मुनियों के पास हुआ करती थी और देशी गाय का घी का सेवन प्रतिदिन करते थे. घी से उन्हें जरुरी फैट और एनर्जी मिलती थी. और इससे उनकी त्वचा दमकती रहती थी.
8. दही- दही भी ऋषि-मुनि के प्रतिदिन के खाने में जरूर शामिल होता था. दही से डाइजेशन अच्छा होता था और पेट की बीमारियों से सुरक्षा होती थी.
9. सब्ज़ियां- ऋषि-मुनि की भोजन में अधिकांश भाग हरी पत्तेदार सब्जियों का होता था. सब्जियों के कारण उन्हें उन्हें जरुरी विटामिन्स और मिनरल्स के साथ फाइबर्स भी मिलते थे.
10. साबुत अनाज- सभी ऋषि-मुनि पका हुआ खाना कम ही खाते थे किन्तु साबुत अनाज वे जरुर खाते थे. इनमें उपस्थति न्यूट्रिएंट्स से ह्रदय स्वस्थ रहता था. और कई बीमारियों से सुरक्षा होती थी.